Amitabh Bachchan: बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन के जीवन से जुड़ी तमाम घटनाएं व कहानियां अक्सर सोशल मीडिया पर वायरल होती रहती है और लोग उन घटनाओं से सीख भी हासिल करते हैं. इसी तरह उनके जीवन से जुड़ी एक और घटना सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें लोग अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.
ये तो सभी जानते हैं कि अमिताभ बच्चन करोड़ों युवाओं के दिल में बसते हैं और जब उनसे जुड़ा कोई घटनाक्रम सोशल मीडिया पर वायरल होता है तो लोग उससे मिली सीख को अपने जीवन में उतारने की कोशिश करते हैं. इसी तरह इस घटनाक्रम को भी लोग इसी नजर से देख रहे हैं और नम्र व उदार बनने की सीख हासिल कर रहे हैं.
तो आइए हम बताते हैं आपको कि क्या वो घटना थी…
अमिताभ बच्चन ने एक बार बताया था-“अपने करियर के चरम पर, मैं एक बार हवाई जहाज से यात्रा कर रहा था. मेरे बगल वाली सीट पे एक साधारण से सज्जन व्यक्ति बैठे थे. उन्होंने एक साधारण शर्ट और पैंट पहन रखी थी. वह मध्यम वर्ग के लग रहे थे और बेहद शिक्षित दिख रहे थे.” अपनी स्टोरी सुनाते हुए अमिताभ बच्चन ने कहा था कि अन्य यात्री मुझे पहचान रहे थे कि मैं कौन हूँ, लेकिन यह सज्जन मेरी उपस्थिति के प्रति अंजान लग रहे थे. वह अपना पेपर पढ़ रहे थे, खिड़की से बाहर देख रहे थे और जब चाय परोसी गई, तो उन्होंने इसे चुपचाप पी लिया.
अमिताभ बच्चन ने इस घटना के बारे में आगे बताया था कि उनके साथ बातचीत करने की कोशिश में मैं उन्हें देख कर मुस्कुराया. वह मेरी ओर देखकर विनम्रता से मुस्कुराए और ‘हैलो’ कहा. हमारी बातचीत शुरू हुई और मैंने सिनेमा और फिल्मों के विषय को उठाया और पूछा, ‘क्या आप फिल्में देखते हैं?’ उन्होंने जवाब दिया, ‘ओह, बहुत कम. मैंने कई साल पहले एक फिल्म देखी थी.’
मैंने उल्लेख किया कि मैंने फिल्म उद्योग में काम किया है. उन्होंने जवाब दिया.. “ओह, यह अच्छा है. आप क्या करते हैं?”, मैंने जवाब दिया, ‘मैं एक अभिनेता हूं’, उन्होने सिर हिलाया और कहा, ‘ओह, यह अद्भुत है!’ तो यह बात हैं. जब हम उतरे, तो मैंने हाथ मिलाते हुए कहा, “आपके साथ यात्रा करना अच्छा था.
अभिनेता ने आगे कहा, वैसे मेरा नाम अमिताभ बच्चन है!” वह हाथ मिलाते हुए मुस्कुराए और कहा “थैंक्यू, आपसे मिलकर अच्छा लगा. मैं जेआरडी टाटा (टाटा का चेयरमैन) हूं!” इस पर अमिताभ बच्चन ने कहा था कि मैंने उस दिन सीखा कि आप चाहे कितने भी बड़े हो. हमेशा आप से ‘कोई बड़ा’ होता है. नम्र बनो, इसमें कुछ भी खर्च नहीं है. मीडिया सूत्रों के मुताबिक ये घटना 1978 की बताई जा रही है.
-भारत एक्सप्रेस
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