Ayodhya Thakur Will Wear Turban After 500 years: राम मंदिर उद्घाटन को लेकर अयोध्या तैयारियां जोरों से चल रही है. 22 जनवरी को पीएम मोदी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे. तब अयोध्या से 15 किमी. दूर सरायरासी गांव में महिलाएं घी के दीपक जलाएंगी. सरायरासी गांव में 90 प्रतिशत घर सूर्यवंशी ठाकुरों के हैं. ये सभी स्वयं को श्रीराम का वंशज मानते हैं.
जानकारी के अनुसार 1528 में बाबर का सेनापति मीर बाकी अयोध्या में मस्जिद बनवा रहा था. इसके लिए उसने रामकोट को चुना. रामकोट में भगवान राम का मंदिर था. जिस मीर बाकी ने तुड़वा दिया. ऐसे में सरायरासी गांव के ठाकुर गजराज सिंह को यह बात खाए जा रही थी. उन्होंने 90 हजार क्षत्रियों को इकट्ठा किया और बाबर की सेना से लड़ने चले गए. दोनों में 10 दिन तक युद्ध चला. 80 हजार क्षत्रिय मारे गए. युद्ध में ठाकुरों की हार हुई.
जब युद्ध हारकर गजराज सिंह लौटे तो उन्हें महिलाओं ने धिक्कारा. महिलाओं ने पगड़ी की ओर इशारा कर कहा जब तुम लोग मंदिर नहीं बचा पाए तो यह पगड़ी किस काम की. तभी ठाकुरों ने सौगंध ली जब तक रामलला का मंदिर नहीं बन जाता तब तक पगड़ी नहीं पहनेंगे. 500 साल बीत गए ठाकुरों के 126 गांवों में अब तक किसी ने पगड़ी नहीं पहनी है.
सरायरासी गांव के ठाकुर चंद्रभूषण सिंह बताते हैं कि वे गजराज सिंह की 9वीं पीढ़ी हैं. उन्हें खुशी है कि उनके पूर्वजों की कसम पूरी होने का वक्त आ गया है. इन गांवों में 500 सालों से बेटियों की शादी में मंडप नहीं छाया जाता. लड़के दूल्हा बनकर भी पगड़ी नहीं पहनते हैं. ना ही कोई चमड़े के जूते पहनता है और ना ही कोई शान दिखाने वाला काम होता है.
सरायरासी गांव के ठाकुरों की बाबर की सेना से युद्ध का वर्णन लखनऊ गजेटियर के 66वें अंक के पेज नंबर 3 पर भी है. ब्रिटिश राइटर कनिंघम ने इस गजेटियर के रचनाकार थे. उन्होंने लिखा कि अयोध्या से 6 मील दूर सूर्यवंशी क्षत्रियों ने बाबर की सेना पर चढ़ाई की थी. युद्ध में हजारों हिंदू शहीद हुए थे.
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