फाइल फोटो-सोशल मीडिया
Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनकर तैयार हो रहा है. 22 जनवरी को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होने जा रही है. इसको लेकर अनुष्ठान भी जारी है. तो इसी बीच राम मंदिर अयोध्या पर फहराने के लिए खास ध्वज को लेकर खबर सामने आ रही है. जानकारी सामने आ रही है कि ध्वज में सूर्य के साथ खास पेड़ कोविदार को अंकित किया गया है. जहां एक ओर सूर्य भगवान राम के वंश को दर्शाता है. तो वहीं, कोविदार वृक्ष को अयोध्या साम्राज्य की शक्ति व संप्रभुता का प्रतीक माना जाता है. इसे अयोध्या का राजवृक्ष भी कहा जाता है. तो वहीं शोधकर्ता ललित मिश्रा के शोध ने इस वृक्ष के बारे में तमाम जानकारी एकत्र की है. इसमें पता चला कि त्रेता युग में अयोध्या साम्राज्य के ध्वज पर कोविदार का सुंदर वृक्ष बना था.
मीडिया सूत्रों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग के अयोध्या शोध संस्थान के डायरेक्टर डॉ. लवकुश द्विवेदी ने शोधाकर्ता ललित मिश्रा को देश भर में बाल्मीकि रामायण पर बने चित्रों का अध्ययन करने के लिए कहा है. इसी के साथ ही श्लोकों से मिलाकर परखने का निर्देश दिया है. तो वहीं शोध में सामने आया है कि त्रेता युग में अयोध्या साम्राज्य के ध्वज पर कोविदार का सुंदर वृक्ष बना था. बाद के समय में महाराणा प्रताप के वंशज राणा जगत सिंह ने संपूर्ण वाल्मीकि रामायण पर चित्र बनाए. शोध में ये भी सामने आया है कि इनमें से एक में भरत के सेना सहित चित्रकूट आकर भगवान राम को अयोध्या वापस चलने के आग्रह का प्रसंग है. ललित मिश्रा के शोध में ये भी पाया गया है कि भारद्वाज आश्रम में श्रीराम शोर सुनकर लक्ष्मण से देखने को कहते हैं. लक्ष्मण उत्तर से आ रही सेना के रथ पर लगे ध्वज पर कोविदार वृक्ष देखते हैं. उन्हें पता चल जाता है कि सेना अयोध्या साम्राज्य की है. बाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड के 84वें सर्ग में निषादराज गुह के कोविदार वृक्ष से अयोध्या की सेना पहचाने का प्रसंग है.
सरकार को भेजा प्रस्ताव
शोध में जहां पाया गया है कि बाल्मीकि रामायण के 96वें सर्ग के 18वें श्लोक में लक्ष्मण जी को सेना के ध्वज का कोविदार वृक्ष दिखता है. श्लोक 21 में लक्ष्मण कहते हैं कि भरत को आने दीजिए. हम उन्हें हराकर ध्वज को अधीन कर लेंगे. तो वहीं अधिकतर लोगों का मानना है कि ध्वज में बना कोविदार वृक्ष और कचनार वृक्ष एक ही हैं. दूसरी ओर बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. ज्ञानेश्वर चौबे ने सरकार को प्रस्ताव भेजकर इस तथ्य में सुधार करने को कहा. उन्होंने अपने शोध में दोनों वृक्षों को अलग बताया है. भावप्रकाश निघंटू में कचनार और कोविदार को अलग पेड़ बताया गया है. इसको लेकर मंथन जारी है. हालांकि आयुर्वेद में कोविदार और कचनार को अलग-अलग माना गया है. फिर भी एक कुल के होने के कारण दोनों के गुण और आकार-प्रकार एक जैसे हो सकते हैं. हालांकि अयोध्या में राम मंदिर पर लगाए जाने वाले ध्वज को रीवा में तैयार किया जा रहा है. इस ध्वज में कोविदार का वृक्ष और सूर्य को अंकित किया गया है.
-भारत एक्सप्रेस
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