Govardhan Puja 2023: साल 2023 में 12 नवंबर को पड़ने वाली दिवाली पर जहां कई शुभ संयोग बन रहे हैं, वहीं दिवाली के बाद पड़ने वाले गोवर्धन पूजा की महत्ता का हिंदू धर्म ग्रंथों में विशेष रुप से वर्णन किया गया है. दिवाली के अगले दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पूजा या अन्नकूट का त्योहार मनाया जाता है. इस साल उदयातिथि के अनुसार 14 नवंबर को गोवर्धन पूजा की जाएगी. इस दिन लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन को बनाते हैं और उसकी पूजा करते हैं.
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गाय की पूजा करने का विशेष महात्म्य है. भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली वृंदावन और मथुरा के साथ ही पूरे बृज में इस दिन यह पर्व पूरे जोर-शोर से मनाया जाता है. मंदिरों में अन्नकूट महोत्सव कार्तिक प्रतिपदा से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक मनाया जाता है. गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्री कृष्ण को 56 या 108 तरह के पकवानों का भोग भी लगाया जाता है.
गोवर्धन पूजा को प्रकृति की पूजा के दिन सभी जीवों की आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाली प्रकृति को आधार मानकर गोवर्धन पर्वत की पूजा किए जाने का विधान है. वहीं इस दिन शुभ मुहूर्त में गायों की पूजा भी की जाती है.
गोवर्धन पूजा से जुड़ी कथा
ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने बृजवासियों की रक्षा के लिए विशाल गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली से उठाकर हजारों जीव-जतुंओं और बृजवासियों को देवराज इंद्र के प्रकोप से बचाया था. पौराणिक ग्रन्थों में इस बात का जिक्र मिलता है कि भागवान श्रीकृष्ण ने इन्द्र के घमंड को चूर करने के बाद गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी. इसके बाद से ही गोवर्धन पूजा की जाने लगी.
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गोवर्धन पूजा के दिन लगता है छप्पन भोग
पौराणिक मान्यता के अनुसार, गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग लगाया जाता है. मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण जब बृज में रहते थे तो मां यशोदा जी उनको आठ प्रहर का भोजन कराती थीं. भगवान श्रीकृष्ण ने बृजवासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को सात दिनों तक उठाए रखा था. ऐसे में जब ईंद्र देव ने अपनी हार मान ली और वे वापस अपने घर आए तो सात दिनों के हिसाब से मां यशोदा ने उनके लिए छप्पन प्रकार के व्यंजन तैयार किए थे. यही कारण है कि इस दिन भगवान को छप्पन भोग लगाया जाता है. माना जाता है कि इस दिन छप्पन प्रकार के भोग भगवान को लगाने से हर मनोकामना पूरी होती है.
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