आज करवाचौथ है.ये पर्व महिलाओं के लिए बेहद खास है.इस दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं. असल में आज उदिया तिथि है,इस वजह से ये पर्व आज ही है. करवाचौथ पर सुहागिन महिलाएं चांद को देखने के बाद ही व्रत खोलती हैं. चांद के दीदार का इस दिन महिलाओं को बेसब्री से इंतजार रहता है. इस साल करवाचौथ पर चंद्रोदय का समय रात 8 बजकर 9 मिनट बताया जा रहा है.
करवाचौथ 2 शब्दों से मिलकर बना है,’करवा’ यानि कि मिट्टी का बर्तन ‘चौथ’ यानि गणेशजी की प्रिय तिथि चतुर्थी. प्रेम,त्याग और विश्वास के इस अनोखे महापर्व पर मिट्टी के बर्तन यानि करवे की पूजा का विशेष महत्त्व है,जिससे रात्रि में चंद्रदेव को जल अर्पित किया जाता है.
करवा चौथ में महिलाएं दिनभर निराहार और निर्जला व्रत रखते हुए अपने पति की लंबी आयु और सुखी जीवन की कामना करती हैं. उपवास के दौरान महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण करती हैं और दिन भर उपवास रखते हुए शाम के समय करवा माता की पूजा,आरती और कथा सुनती हैं. इसके बाद शाम को चंद्रमा के निकलने का इंतजार करती हैं.जब चांद के दर्शन होते हैं तो सभी सुहागिन महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देते हुए अपने पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत खोलती हैं. सभी सुहागिन महिलाएं व्रत पूरा करने के बाद अपने सास-ससुर और बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते हुए करवा चौथ का पारण करती हैं.
हिंदू पंचांग के अनुसार करवा चौथ का त्योहार हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है.महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रहते हुए भगवान शिव, माता पार्वती,स्वामी कार्तिकेय,भगवान गणेश और चंद्रदेव की पूजा करती हैं. करवाचौथ पर शुभ मुहूर्त में करवा माता की पूजा,आरती और कथा सुनने का विधान होता है. फिर महिलाएं चंद्रमा के दर्शन करते हुए अर्घ्य देकर व्रत खोलती है.
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