Mauni Amavasya 2023: हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या के दिन का विशेष महत्व हैं. माघ मास के कृष्ण पक्ष की इस अमावस्या को माघी अमावस्या भी कहा जाता है. माघ मास की इस अमावस्या के दिन स्नान और दान की विशेष मान्यता है. कई धार्मिक ग्रंथों में इस दिन के महत्व को बताते हुए काफी कुछ लिखा गया है. प्रयागराज में लाखों की संख्या में लोग मौनी अमावस्या के दिन देश के कोने-कोने से संगम स्नान के लिए आते हैं.
नाम के अनुरूप ही मौनी अमावस्या के दिन मौन धारण करते हुए व्रत रखने की मान्यता है. इस दिन किये गए धार्मिक कार्यों से मिलने वाला पुण्य, आम दिनों की अपेक्षा कई गुना अधिक होता है. वहीं कहा जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन स्नान मात्र से ही मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.
इस माह में मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज समेत तमाम गंगा जैसी पवित्र नदियों के किनारे स्थित धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है. इस साल मौनी अमावस्या तिथि की शुरुआत 21 जनवरी शनिवार के दिन सुबह 06 बजकर 17 मिनट पर होगी. वहीं इसका समापन 22 जनवरी रविवार को सुबह 2 बजकर 22 मिनट पर होगा.
इस दिन इन मुहूर्त में स्नान करना शुभ रहता है. वहीं इस दिन मौन रहकर ही स्नान भी करना चाहिए. माना जाता है कि इस दिन मुंह से ईश्वर का जाप करने से कई गुना ज्यादा पुण्य मौन रहकर ईश्वर का सुमिरन और अन्य मंत्रों का जाप करने से मिलता
मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान का है महत्व
मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान से मिलने वाले पुण्य की मान्यता बहुत ज्यादा है. वहीं गंगा तट पर नहीं जा पाने पर घर पर ही नहाने वाले जल में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं. कहा जाता है कि इस दिन गंगा का जल अमृत के समान हो जाता है. वहीं मौनी अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है.
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मौनी अमावस्या के दिन इन नियमों का करें पालन
चूंकि मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान का महत्व सबसे अधिक है, इसलिए स्नान से पहले संकल्प जरूर करें. इसके लिए जल को सिर पर लगाकर प्रणाम करने के बाद ही स्नान करें. इस दिन स्नान के बाद साफ कपड़े पहने और जल में काले तिल को डालने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें.
इसके बाद सूर्य देव से संबंधित मंत्रों का जाप करें और फिर जरूरतमंदों को दान करें. मौनी अमावस्या के दिन आपको क्रोध करने से बचना होगा. वहीं इस दिन अपनी वाणी पर संयम रखें.
मौनी अमावस्या पर क्यों रहते हैं मौन
मौनी अमावस्या के दिन व्रत रखने पर मौन रहने का एक खास महत्व है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन यदि अगर कोई व्यक्ति संकल्प लेकर पूरी आस्था से मौन व्रत रखेगा तो उसे उसके पापों के लिए क्षमादान मिलता है. अगर कोई श्रद्धालु मौनी अमावस्या के पूरे दिन मौन व्रत नहीं रख सकता है तो स्नान और दान-पुण्य करने से पहले सवा घंटे तक जरूर मौन व्रत रखे. मान्यता है कि ऐसा करने से इस दिन किए जाने वाले दान का पुण्य का कई गुना अधिक मिलता है.
दरअसल मौन या शांत रहने का मतलब यह है कि व्यक्ति बाहरी जीवन से दूर रहकर स्वयं के अंदर क्या चल रहा है उसका आत्ममंथन करे. मौन का तात्पर्य मन को एकाग्रचित कर प्रभु के नाम का स्मरण करना होता है. इस दिन मन के भीतर नजर आ रही कमियों को ईश्वर की आराधना में लीन होकर दूर करें. इससे मन में पनप रही नकारात्मकता दूर होगी और आध्यात्मिक प्रवृत्ति का विकास होगा.
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