Shardiya Navratri Maha Ashtami 2024: शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा का विधान है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां महागौरी भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं. मान्यता है कि माता महागौरी की विधिवत पूजा-अर्चना करने से जीवन के तमाम कष्ट दूर हो जाते हैं. साथ ही मां महागौरी की कृपा से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है. शारदीय नवरात्रि में अष्टमी तिथि का बेहद खास महत्व है. इस कई लोग कन्या पूजन करते हैं. ऐसे में महाअष्टमी तिथि को लेकर हर किसी की उत्सुकता रहती है.
इस बार नवरात्रि में महा अष्टमी तिथि को लेकर कंफ्यूजन की स्थिति है. दरअसल सोशल मीडिया पर इस तिथि को लेकर भक्तों में भम्र की स्थिति व्याप्त है. ऐसे में आइए जनते हैं कि अष्टमी तिथि कब है, इसके लिए शुभ मुहूर्त क्या है.
पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि का आरंभ 10 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से होगा. जबकि, इस तिथि का समापन 11 अक्तूबर को दोपहर 12 बजकर 06 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि की मान्यता के अनुसार महा अष्टमी 11 अक्टूबर को मानी जाएगी. इस संबंध में शास्त्रों के जानकार बता रहे हैं कि सप्तमी तिथि से युक्त अष्टमी तिथि ग्रह्य नहीं होता, जबकि नवमी युक्त अष्टमी तिथि ग्रह्य होती है. ऐसे में आप इस कंफ्यूजन से बाहर निकल गए होंगे कि अष्टमी का व्रत 11 अक्टूबर को ही रखा जाना शास्त्रोचित होगा.
मां दुर्गा का आठवां स्वरूप पूर्ण गौर वर्ण है. माता के इस स्वरूप की उपमा शंख, चक्र और कुंद के फूल के दी गई है. इनके सभी आभूषण और वस्त्र सपेद हैं. यही वजह है कि इन्हें श्वेतांबरा कहा जाता है. चार भुजाओं में माता अपने वाहन वृषभ पर सवार हैं, इसलिए उन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है.
सबसे पहले चौकी पर माता महागौरी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें.
चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका(सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें.
इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा माता महागौरी सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें.
इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, – नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें.
अगर आपके घर अष्टमी पूजी जाती है तो आप पूजा के बाद कन्याओं को भोजन भी करा सकते हैं. यह शुभ फल देने वाला माना गया है.
श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा
जय महागौरी जगत की माया।
जया उमा भवानी जय महामाया॥
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरी वहां निवासा॥
चंद्रकली ओर ममता अंबे।
जय शक्ति जय जय माँ जगंदबे॥
भीमा देवी विमला माता।
कौशिकी देवी जग विख्यता॥
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती सत हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी माँ ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥
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