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Olympics में भारतीय हॉकी टीम का स्वर्णिम इतिहास, इस बार खत्म हो सकता है गोल्ड का इंतजार

ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी का स्वर्णिम इतिहास रहा है. भारत को ओलंपिक में पहली बार हॉकी खेलने का मौका 1928 में मिला और टीम ने ध्यानचंद के 14 गोल के दम पर पहली बार में ही गोल्ड जीता. यहां से हॉकी इंडिया की ओलंपिक में स्वर्णिम दास्तान शुरू होती है, जिसके बाद टीम ने 1932 और 1936 में भी हॉकी का गोल्ड जीता. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ओलंपिक खेलों की वापसी के बाद भारतीय हॉकी टीम ने 1948, 1952, और 1956 में लगातार 3 गोल्ड जीते.

भारत ने 1964 और 1980 में भी गोल्ड हासिल किया था. इसके बाद से टीम हॉकी में गोल्ड नहीं जीत पाई है. हालांकि टोक्यो ओलंपिक में टीम ने जिस तरह से कांस्य पदक जीतकर हॉकी में देश की भावना को जिंदा किया है, उसके बाद गोल्ड की संभावना और महत्वाकांक्षा दोनों बढ़ गई हैं.

इस बार भारत की हालिया फॉर्म बहुत अच्छी नहीं होने के बावजूद टीम से ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही है, तो इसका कारण महज खिलाड़ियों की कड़ी ट्रेनिंग, हार्ड वर्क और जोश ही नहीं है, बल्कि बड़े मंच पर यह टीम बड़ा प्रदर्शन करने का दिलचस्प रिकॉर्ड रखती है. भारत ने एशियन गेम्स के फाइनल में जापान को 5-1 से हराकर यह बात साबित की थी. उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में भी जर्मनी जैसी मजबूत टीम को मात दी थी.

इस बार टीम को वरुण कुमार की कमी खलेगी, लेकिन टीम में युवाओं और अनुभवी खिलाड़ियों का बढ़िया मिश्रण है. गोलकीपर पीआर श्रीजेश और मिडफील्डर मनप्रीत सिंह अपना चौथा ओलंपिक खेलने के लिए तैयार हैं. वहीं डिफेंडर जरमनप्रीत सिंह, फॉरवर्ड अभिषेक ऐसे खिलाड़ी हैं, जो बिल्कुल नए हैं. टीम का यह संयोजन मैदानी प्रदर्शन में बड़ी अहम भूमिका निभाएगा.

भारत के पास ओलंपिक में ऐसा पूल है जिसमें बेल्जियम, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और आयरलैंड जैसी टीमें शामिल हैं. इनमें बेल्जियम और ऑस्ट्रेलिया जैसी टीमें भले ही आसान प्रतिद्वंदी नहीं हैं, लेकिन भारत न्यूजीलैंड, आयरलैंड और अर्जेंटीना जैसे प्रतिद्वंदियों के खिलाफ अनुकूल रिजल्ट की उम्मीद कर सकता है.

खास बात यह है कि भारत को शुरुआती तीन मैच न्यूजीलैंड, अर्जेंटीना और आयरलैंड के खिलाफ खेलने हैं. भारत इन मैचों में सिर्फ अपेक्षित प्रदर्शन करके भी जीत सकता है. भारत को अगले दौर में प्रवेश करने के लिए इन मैचों की तीन जीत काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. उसके बाद वे ऊंचे मनोबल के साथ बाकी के दो मैच बेल्जियम और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेल सकते हैं.

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-भारत एक्सप्रेस

Vikash Jha

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