भारतीय क्रिकेट में जो लोकप्रियता मौजूदा समय में कपिल देव, एमएस धोनी, रोहित शर्मा और विराट कोहली की है, उससे भी कहीं ज्यादा लोकप्रियता लाला अमरनाथ की रही थी. वो भारतीय क्रिकेट के दिग्गजों में शुमार हैं. लाला अमरनाथ एक शानदार क्रिकेटर थे. उन्हें मैदान पर जीत से इतर कुछ और मंजूर नहीं था.
आजाद भारत के बाद भारतीय टीम के पहले कप्तान लाला अमरनाथ के नाम अनेकों रिकॉर्ड हैं. वो टेस्ट क्रिकेट में शतक जड़ने वाले पहले भारतीय थे. इन्हीं की कप्तानी में भारत ने पहली टेस्ट सीरीज जीती थी. कुल मिलाकर इनके बिना भारतीय क्रिकेट टीम का इतिहास अधूरा है.
5 अगस्त यानी आज लाला अमरनाथ की पुण्यतिथि है. 88 साल की उम्र में साल 2000 में लाला अमरनाथ का निधन हुआ था. भारतीय क्रिकेट बोर्ड और टीम आज वैश्विक मंच पर एक बड़ी शक्ति है, इसमें कोई शक नहीं है. लेकिन इसकी नींव लाला अमरनाथ जैसे दिग्गजों ने रखी थी.
पहला विवाद जो भारतीय क्रिकेट टीम में हुआ था, उसमें भी इनकी भूमिका थी. अमरनाथ को 1936 के इंग्लैंड दौरे से कप्तान, विजयनगरम के महाराजकुमार द्वारा “अनुशासनहीनता” के लिए विवादास्पद रूप से वापस भेज दिया गया था. अमरनाथ और अन्य लोगों का आरोप है कि यह राजनीति के कारण था.
क्रिकेट की राजनीति फिर से उनके खिलाफ हो गई. अमरनाथ ने बोर्ड पर आरोप लगाया की मेहमान टीमों को शाही सुविधाएं दी जाती हैं और भारतीय टीम को द्वितीय श्रेणी के होटलों में ठहराया जाता था. इसको लेकर अमरनाथ का बोर्ड के शक्तिशाली सचिव एंथनी डी मेलो से झगड़ा हो गया और उन्हें लगातार दुर्व्यवहार और अनुशासन भंग करने के लिए निलंबित कर दिया गया.
नानिक अमरनाथ भारद्वाज, जिन्हें लाला अमरनाथ के नाम से हर कोई जानता है, का जन्म 11 सितंबर 1911 को पंजाब के कपूरथला में हुआ था. लाहौर में एक गरीब पृष्ठभूमि से आने वाले, जब वह अभी भी भारत का हिस्सा था, उन्होंने 1933-34 में MCC के खिलाफ दक्षिणी पंजाब के लिए 109 रन बनाकर प्रसिद्धि प्राप्त की, और कुछ ही सप्ताह बाद भारत के लिए अपने टेस्ट पदार्पण में शतक के साथ स्टार बन गए, जो भारत का घरेलू मैदान पर पहला टेस्ट था, जो बम्बई के पुराने जिमखाना मैदान पर खेला गया था.
लाला अमरनाथ सिर्फ बल्लेबाजी में ही नहीं बल्कि गेंदबाजी (दाएं हाथ के मध्यम तेज गेंदबाज) में भी अव्वल थे. वो दुनिया के इकलौते ऐसे गेंदबाज थे जिन्होंने विश्व के सर्वकालिक महान बल्लेबाज सर डॉन ब्रेडमैन को हिट विकेट आउट किया था. अपने पूरे करियर में सिर्फ 70 बार आउट होने वाले ब्रेडमैन सिर्फ 1 बार ही हिट विकेट हुए थे और वह गेंद लाला अमरनाथ की थी.
इस दिग्गज क्रिकेटर से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा उनके बेटे मोहिंदर अमरनाथ से भी जुड़ा है. 1983 का क्रिकेट विश्व कप याद है आपको? वेस्ट इंडीज जैसे दिग्गज टीम को फाइनल में हराकर भारत ने पहली बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया था. उस टूर्नामेंट में मोहिंदर अमरनाथ टीम इंडिया के हीरो रहे थें. उन्होंने फाइनल में वेस्टइंडीज के खिलाफ 26 रन और 3 विकेट के योगदान से भारत को चैंपियन बनाया और उस मैच में ‘प्लेयर ऑफ़ द मैच’ का खिताब भी जीता.
क्या आप जानते हैं कि मोहिंदर अमरनाथ के पिता उनकी ट्रेनिंग को लेकर कितने कट्टर थे? कई बार मोहिंदर अमरनाथ इस बात को सबके सामने स्वीकार कर चुके हैं कि जब वो किसी गलत शॉर्ट के कारण आउट होते थे या उनका प्रदर्शन खराब रहता था, तो लाला उन्हें खूब लताड़ लगाते थे.
लाला अमरनाथ ने 1933 में डेब्यू किया था. वो 1955 तक भारतीय टीम के लिए खेले. उन्होंने अपने करियर में कुल 24 टेस्ट मैच खेले, जिनमें उनके नाम 878 रन और 45 विकेट हैं. फर्स्ट क्लास करियर की बात करें तो 186 मैचों में उनके नाम 10,426 रन और 463 विकेट शामिल हैं. भारत सरकार ने उन्हें 1991 में पद्म भूषण के नागरिक सम्मान से सम्मानित किया. अमरनाथ को 1994 में पहला सी. के. नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार मिला, जो बीसीसीआई द्वारा किसी पूर्व खिलाड़ी को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान था.
-भारत एक्सप्रेस
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