दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने हाल ही में उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मांग की गई थी कि वह भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को निर्देश दे कि उसके इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के दौरान प्रदान की गई सुरक्षा व्यवस्था के लिए दिल्ली पुलिस को खर्च की लागत दे.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने कहा कि पैसा वसूलना राज्य का काम है. इस मुद्दे पर अदालत कोई निर्देश नहीं दे सकती. कोर्ट ने यह भी कहा कि आईपीएल आयोजित करने वाले राज्य के लिए कर और अन्य राजस्व लाता है. राज्य सरकार लागत की रकम वसूलने में बहुत सक्षम है. यह उन पर निर्भर करता है कि वह लागत वसूले या न. हम इसमें हस्तक्षेप करने वाले कौन होते हैं.
पीठ ने ऐसे खेल आयोजनों के फायदों के बारे में भी बताया. उसने कहा कि जब आप विदेश जाते हैं तो आप पाएंगे कि वहां की राज्य सरकारें अपने राज्यों में इस तरह का आयोजन करने के लिए संबंधित निकायों को लुभाती है. वह बताती है कि आयोजन करने पर वह कितने किस तरह की रियायतें देगा. क्योंकि इस तरह का आयोजन बहुत बड़ा राजस्व लाता है. लेकिन हम अभी भी एक अलग मानिसकता में जी रहे हैं.
कोर्ट ने उक्त टिप्पणी करते हुए हैदर अली की याचिका को निरस्त कर दिया. याचिकाकर्ता ने कहा था कि आईपीएल मैचों के आयोजन के दौरान सुरक्षा प्रदान करने के लिए दिल्ली पुलिस पर 60 करोड़ से अधिक खर्च हुआ है. लेकिन सरकार इस पैसे की वसूली के लिए कार्रवाई नहीं कर रही है. जबकि मुंबई और पुणे पुलिस प्रति मैच लगभग 66 लाख रुपए वसूलती है. कोर्ट ने कहा कि हर बात के लिए जनिहत याचिका नहीं हो सकती और याचिका खारिज कर दी.
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-भारत एक्सप्रेस
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