कहते हैं कि अगर कोई भी चाहे तो वह मुश्किल से मुश्किल राह को भी पार कर सकता है. ठीक ‘लहरों की रानी’ गर्ट्रूड एडरले की तरह. जिसने साल 1926 में 6 अगस्त के दिन इंग्लिश चैनल को तैरकर पार किया था.
गर्ट्रूड एडरले इंग्लिश चैनल तैरकर पार करने वाली पहली महिला थीं. तब महज 20 साल की थीं और इस उपलब्धि ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई. इस 20 साल की युवती ने आने वाली पीढ़ियों के लिए संभावनाओं के द्वार खोल कर रख दिए. एडरले जुझारू थीं, धुन की पक्की भी और हौसलों से बुलंद भी!
गर्ट्रूड एडरले का जन्म 23, अक्टूबर 1905 में अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में हुआ था. गर्ट्रूड एडरले को बचपन से ही तैराकी का शौक था. उन्होंने स्विमिंग पूल और समुद्र तट पर तैरना सीखा. तैराकी के जुनून के कारण उन्होंने स्कूल छोड़ दिया और वह महिला तैराकी संघ में शामिल हो गई. जब वह 16 साल की थी, तब उन्होंने स्थानीय प्रतियोगिता में पुरस्कार जीता. दो साल बाद उन्होंने 1924 के ओलंपिक में हिस्सा लिया.
18 वर्षीय एडरले ने 1924 के पेरिस ओलंपिक में एक स्वर्ण और दो कांस्य पदक जीते. पेरिस ओलंपिक में मिली कामयाबी से उनके हौसले और भी बुलंद हो गए. गर्ट्रूड का अगला लक्ष्य इंग्लिश चैनल को पार करने वाली पहली महिला बनना था. इंग्लिश चैनल इंग्लैंड और यूरोप के बीच मौजूद एक समुद्र है. 1925 तक कई पुरुष चैनल को तैरकर पार कर चुके थे. इस दौरान कई महिलाओं ने कोशिश की थी, लेकिन कोई भी सफल नहीं हुई.
उन्होंने पहली बार 1925 में इंग्लिश चैनल पार करने की कोशिश की. लेकिन, इसमें वह कामयाब नहीं हो पाईं. जब वह 20 साल की हुईं तो उन्होंने इंग्लिश चैनल फिर से पार करने का फैसला किया. गर्ट्रूड ने 6 अगस्त, 1926 को फिर से कोशिश की. वह फ्रांस से पानी में उतरी. उन्होंने खुद का डिजाइन किया सूट पहन रखा था. इंग्लिश चैनल पार करने के लिए 14.5 घंटे का समय लिया और उनके नाम कम समय में इंग्लिश चैनल को पार करने का रिकॉर्ड दर्ज हो गया. रिकॉर्ड भी ऐसा जिसे 1950 तक कोई भी नहीं तोड़ पाया.
20 वर्षीय गर्ट्रूड एडरले का अमेरिका लौटने पर जोरदार स्वागत किया गया. करीब दो मिलियन से अधिक लोग न्यूयॉर्क की सड़कों पर उनके स्वागत के लिए इकट्ठा हुए थे.
वे तैराकी में सबसे कम उम्र की विश्व रिकॉर्ड धारक बन गईं. उन्होंने आठ और विश्व रिकॉर्ड बनाए, जिनमें से सात 1922 में ब्राइटन बीच पर बनाए. इसके बाद एडरले ने 1921 से 1925 तक 29 अमेरिकी राष्ट्रीय और विश्व रिकॉर्ड बनाकर नया इतिहास रच दिया.
“लहरों की रानी” कही जाने वाली गर्ट्रूड एडरले को उपलब्धियों के साथ शारीरिक दिक्कतें भी मिलीं. उन्हें कम सुनाई देने लगा. हालांकि, तैराकी को लेकर उनका प्यार बरकरार रहा. एडरले को 1965 में ऑनर स्विमर के रूप में इंटरनेशनल स्विमिंग हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया. इसके बाद उन्हें 2003 में राष्ट्रीय महिला हॉल ऑफ फेम में जगह मिली. उन्होंने साल 2003 में दुनिया को अलविदा कह दिया.
-भारत एक्सप्रेस
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