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पांच ग्राम यूरेनियम के इस्तेमाल से इतने सालों तक सरपट दौड़ेगी आपकी बाइक; जानें बिजली पैदा करने में है कितना सहायक?

Uranium: क्या आप जानते हैं कि जरा से यूरेनियम के इस्तेमाल से हमारी बाइक और हमारे घर की बिजली कितने सालों तक चल सकती है? तो आइए आज हम आपको इसके बारे में बताते हैं. हालांकि चिंता की बात ये भी है कि अगर हम इसका इस्तेमाल फ्यूल की तरह लगातार करते रहे तो फिर ये 80 साल के भीतर पूरी दुनिया से खत्म हो जाएगा. यही कारण है कि इसका इस्तेमाल केवल कुछ चुनिन्दा जगहों पर ही किया जाता है.

यूरेनियम की खासियत को लेकर सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि एक ग्राम यूरेनियम इतनी बिजली पैदा कर सकता है जितना कि 3000 किलो कोयला भी इतनी बिजली पैदा नहीं कर सकता. यानी 10 लाख आबादी वाले शहर को 3 साल तक बिजली मिल सकती है. ये प्रमुख रूप से आस्ट्रेलिया और रूस जैसे देशों में पाया जाता है.

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इसी के साथ ही वीडियो में ये भी दावा किया गया है कि अगर बाइक में फ्यूल की जगह पर 5 ग्राम यूरेनियम को इस्तेमाल किया जाए तो 10 साल तक बाइक नहीं रुक सकती, लेकिन चिंता की बात ये है कि अगर इसे फ्यूल की जगह पर लगातार इस्तेमाल किया जाएगा तो आने वाले 80 साल में यूरेनियम पूरी दुनिया से खत्म हो जाएगा. यही कारण है कि इसे न्यूक्लियर रिएक्ट और सबमरीन में ईंधन के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है.

जानें क्या है यूरेनियम

यूरेनियम की परिभाषा बताती है कि यह एक धातु तत्व है जिसका परमाणु क्रमांक 92 और प्रतीक U है. यह पृथ्वी पर पाया जाने वाला एक प्राकृतिक तत्व है. यह सभी प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले तत्वों में सबसे भारी है और इसे एक्टिनाइड के रूप में वर्गीकृत किया गया है. कमरे के तापमान पर, यूरेनियम एक ठोस पदार्थ है.

संकेंद्रित ऊर्जी के तौर पर 60 वर्षों से किया जा रहा है इस्तेमाल

मिली जानकारी के मुताबिक, यूरेनियम अधिकांश चट्टानों में 2 से 4 भाग प्रति मिलियन की सांद्रता में पाया जाता है और पृथ्वी की पपड़ी में टिन, टंगस्टन और मोलिब्डेनम जितना ही आम है. यूरेनियम समुद्री जल में पाया जाता है और इसे महासागरों से हासिल किया जा सकता है. यूरेनियम का इस्तेमाल 60 वर्षों से अधिक समय से संकेन्द्रित ऊर्जा के प्रचुर स्रोत के रूप में किया जा रहा है.

जानें कब हुई थी इसकी खोज

यूरेनियम के उच्च घनत्व का अर्थ है कि इसका उपयोग नौकाओं की कीलों में, विमान नियंत्रण सतहों के लिए प्रतिभार के रूप में, तथा विकिरण परिरक्षण के लिए भी किया जाता है. इसकी खोज 1789 में जर्मन रसायनज्ञ मार्टिन क्लैप्रोथ ने पिचब्लेंड नामक खनिज में की थी. इसका नाम यूरेनस ग्रह के नाम पर रखा गया था, जिसे आठ साल पहले खोजा गया था. इसका निर्माण करीब 6.6 बिलियन वर्ष पहले सुपरनोवा में हुआ था. फिलहाल यह सौर मंडल में आम नहीं है लेकिन आज इसका धीमा रेडियोधर्मी क्षय पृथ्वी के अंदर गर्मी का मुख्य स्रोत प्रदान करता है, जिससे संवहन और महाद्वीपीय बहाव होता है. यूरेनियम का गलनांक 1132°C है. यूरेनियम का रासायनिक प्रतीक U है.

-भारत एक्सप्रेस

Archana Sharma

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