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डिजिटल लेनदेन की संख्या चार साल में पहुंच सकती है 439 अरब, UPI की होगी 91% हिस्सेदारी: रिपोर्ट

UPI Payment: डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल आज के समय सभी लोग करते हैं. देश में UPI (Unified Payments Interface) से लेनदेन की संख्या वित्त वर्ष 2028-29 तक 439 अरब पहुंच सकती है, जो कि पिछले वित्त वर्ष में 131 अरब थी. एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.

PwC इंडिया द्वारा जारी ‘इंडियन पेमेंट्स हैंडबुक’ नाम की रिपोर्ट में बताया गया है कि बीते आठ वर्षों में भारत के डिजिटल भुगतान क्षेत्र में बड़ी प्रगति देखने को मिली है और आने वाले वर्षों में इस इंडस्ट्री के तीन गुना होने की संभावना है. इस कारण वित्त वर्ष 2028-29 तक डिजिटल लेनदेन की संख्या 481 अरब तक पहुंच सकती है, जो कि वित्त वर्ष 2023-24 में 159 अरब थी. इस दौरान लेनदेन की वैल्यू भी 265 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 593 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच सकती है.

2028-29 तक बढ़कर 439 अरब पर पहुंच सकती है

रिपोर्ट में बताया गया कि यूपीआई लगातार डिजिटल पेमेंट क्षेत्र का नेतृत्व कर रहा है. यूपीआई लेनदेन की संख्या में सालाना आधार पर 57 प्रतिशत की बढ़त देखने को मिल रही है. पीडब्ल्यूसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “वित्त वर्ष 2023-24 में यूपीआई लेनदेन की संख्या 131 अरब थी, जो कि वित्त वर्ष 2028-29 तक बढ़कर 439 अरब पर पहुंच सकती है. यूपीआई की भारत में कुल रिटेल पेमेंट में हिस्सेदारी 80 प्रतिशत है, जो कि वित्त वर्ष 2028-29 तक बढ़कर 91 प्रतिशत हो सकती है.”

क्रेडिट कार्ड संख्या 20 करोड़ तक

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि वित्त वर्ष 2023-24 में क्रेडिट कार्ड्स क्षेत्र में जबरदस्त वृद्धि देखने को मिली थी. इस दौरान 1.6 करोड़ नए कार्ड्स जारी हुए थे. इसके कारण क्रेडिट कार्ड से होने वाले लेनदेन की संख्या में 22 प्रतिशत और वैल्यू में 28 प्रतिशत का इजाफा हुआ. वित्त वर्ष 2028-29 में क्रेडिट कार्ड की संख्या 20 करोड़ तक पहुंच सकती है. हालांकि, डेबिट कार्ड का इस्तेमाल आने वाले समय में कम होता जाएगा. इसकी लेनदेन की संख्या और वैल्यू दोनों में कमी देखने को मिलेगी.

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छोटे शहरों में भी हो रहा UPI का इस्तमाल

क्यूआर कोड का इस्तेमाल महानगरों और टियर-1 शहरों के साथ छोटे शहरों में भी बढ़ रहा है. ऑनलाइन व ऑफलाइन कारोबार करने वाले लोग इसके लिए छोटे शहरों तक में बुनियादी ढांचों का विस्तार कर रहे हैं. 2023-24 में क्यूआर कोड की साल-दर-साल वृद्धि दर करीब 30 फीसदी रही.

-भारत एक्सप्रेस 

निहारिका गुप्ता

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