झारखंड के पूर्व सीएम चंपई सोरेन जल्द ही बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. उन्होंने राज्य की हेमंत सोरेन सरकार से इस्तीफा दे दिया है. जिसे राज्यपाल ने स्वीकार कर लिया है. इसी बीच चंपई सोरेन ने राज्य में हो रही बांग्लादेशी घुसपैठ और आदिवासियों की स्थिति को लेकर हेमंत सोरेन सरकार पर जमकर हमला बोला.
उन्होंने एक्स पर एक पत्र शेयर किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि “पिछले हफ्ते (18 अगस्त) एक पत्र द्वारा झारखंड समेत पूरे देश की जनता के सामने अपनी बात रखी थी. उसके बाद, मैं लगातार झारखंड की जनता से मिल कर, उनकी राय जानने का प्रयास करता रहा. कोल्हान क्षेत्र की जनता हर कदम पर मेरे साथ खड़ी रही, और उन्होंने ही संन्यास लेने का विकल्प नकार दिया. पार्टी में कोई ऐसा फोरम/मंच नहीं था, जहां मैं अपनी पीड़ा को व्यक्त कर पाता तथा मुझ से सीनियर नेता स्वास्थ्य कारणों से राजनीति से दूर हैं.”
चंपई सोरेन ने आगे लिखा है कि “आज बाबा तिलका मांझी और सिद्धो-कान्हू की पावन भूमि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है. इस से दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है कि जिन वीरों ने जल, जंगल व जमीन की लड़ाई में कभी विदेशी अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की, आज उनके वंशजों की जमीनों पर ये घुसपैठिए कब्जा कर रहे हैं. इनकी वजह से फूलो-झानो जैसी वीरांगनाओं को अपना आदर्श मानने वाली हमारी माताओं, बहनों व बेटियों की अस्मत खतरे में है.”
उन्होंने आगे लिखा, “आदिवासियों एवं मूलवासियों को आर्थिक तथा सामाजिक तौर पर तेजी से नुकसान पहुंचा रहे इन घुसपैठियों को अगर रोका नहीं गया, तो संथाल परगना में हमारे समाज का अस्तित्व संकट में आ जायेगा. पाकुड़, राजमहल समेत कई अन्य क्षेत्रों में उनकी संख्या आदिवासियों से ज्यादा हो गई है. राजनीति से इतर, हमें इस मुद्दे को एक सामाजिक आंदोलन बनाना होगा, तभी आदिवासियों का अस्तित्व बच पाएगा.”
पूर्व सीएम ने कहा, “इस मुद्दे पर सिर्फ भाजपा ही गंभीर दिखती है और बाकी पार्टियां वोटों की खातिर इसे नजरअंदाज कर रही है. इसलिए आदिवासी अस्मिता एवं अस्तित्व को बचाने के इस संघर्ष में, मैने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में आस्था जताते हुए भारतीय जनता पार्टी से जुड़ने का फैसला लिया है.”
चंपई सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार आदिवासियों की सुरक्षा और खत्म हो रही उनकी पहचान को बचाने के लिए कोई भी कदम नहीं उठा रही है. आदिवासियों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है. जल, जंगल और जमीन पर घुसपैठिए कब्जा कर रहे हैं, लेकिन सरकार कोई भी कार्रवाई नहीं कर रही है.
-भारत एक्सप्रेस
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