उत्तर प्रदेश सरकार गैंगस्टर कानून को लेकर नए दिशा-निर्देश तैयार कर रही है. यह जानकारी गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान दी गई. सरकार ने बताया कि नए दिशा-निर्देश लगभग तैयार हैं और इन्हें जल्द लागू किया जाएगा. साथ ही, वर्तमान में दर्ज मामलों की भी समीक्षा की जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने सरकार से कहा कि इस कानून के कुछ प्रावधान कठोर लगते हैं. सरकार को यह देखना चाहिए कि यह कानून कहां लागू होना चाहिए और कहां नहीं.
सरकार का पक्ष रख रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने अदालत को आश्वासन दिया कि नए दिशा-निर्देश अदालत के पहले के आदेशों के अनुसार बनाए जा रहे हैं. मौजूदा मामलों पर भी ध्यान दिया जाएगा ताकि यह तय हो सके कि इन पर गैंगस्टर कानून लागू होना चाहिए या नहीं.
इस मामले की सुनवाई जनवरी में होगी. सुप्रीम कोर्ट गोरख नाथ मिश्रा की याचिका पर विचार कर रही है. मिश्रा ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के मई 2023 के आदेश को चुनौती दी है. हाई कोर्ट ने उनकी एफआईआर रद्द करने की अपील खारिज कर दी थी.
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य पीठ ने भी गैंगस्टर कानून को सख्त करार दिया था. चार दिसंबर को जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने इस कानून की कठोरता पर सवाल उठाए थे.
उत्तर प्रदेश गैंगस्टर और असामाजिक गतिविधियां रोकथाम अधिनियम 1986 में लागू हुआ था. इस कानून के तहत दो से 10 साल तक की सजा और कम से कम 5000 रुपये जुर्माने का प्रावधान है. अगर कोई सरकारी कर्मचारी गैंगस्टर की मदद करता है, तो उसे तीन से 10 साल की जेल की सजा हो सकती है.
-भारत एक्सप्रेस
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