Krishna Janmabhoomi Shahi Eidgah Mosque Case: उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी. यह फैसला हाईकोर्ट ने गुरुवार दोपहर को सुनाया. हाईकोर्ट ने कहा कि अब हिंदू पक्ष की ओर से दायर 18 याचिकाएं एक साथ सुनी जाएंगी.
बता दें कि हिंदू पक्ष की ओर से यह दावा करते हुए याचिका डाली गई थी कि शाही ईदगाह का ढाई एकड़ का एरिया मस्जिद नहीं है. वह भगवान कृष्ण का गर्भगृह है. वहीं, मुस्लिम पक्ष ये दलील दे रहा था कि 1968 में हुए समझौते के तहत मस्जिद के लिए जगह दी गई थी. मुस्लिम पक्ष की ओर से यह भी कहा गया कि हिंदू पक्ष की याचिकाएं सुनवाई लायक नहीं है. मगर, हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिकाओं को सुनवाई योग्य माना है.
मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद के मामले में हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सुनवाई की, जहां जस्टिस मयंक कुमार जैन की बेंच ने यह फैसला सुनाया कि हिंदू पक्ष की याचिकाएं सुनवाई के योग्य हैं. अब हिंदू पक्ष की 18 याचिकाओं की एक साथ सुनवाई होगी. जानकारी के मुताबिक, ज्यादातर याचिकाओं का नेचर यानी प्रकृति एक जैसी ही है.
हिन्दू पक्ष वर्षों से यह दावा करता आ रहा है कि जिस जगह पर आज ईदगाह है वहां कभी श्रीकृष्ण का भव्य ‘केशव देव मंदिर’ था. धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि भगवान स्वयं द्वापर युग में श्रीकृष्ण के रूप में मानव अवतार लिए थे…तब यहां राक्षसराज कंस की जेल हुआ करती थी. श्रीकृष्ण ने बाल्यवस्था में ही कंस और उसके खतरनाक राक्षसों का वध कर दिया था. द्वापर युग की समाप्ति के साथ ही श्रीकृष्ण अपने परमधाम को चले गए. उसके बाद कलयुग में उन्हीं के वंशजों ने मथुरा में भव्य मंदिर का निर्माण कराया. कलयुग शुरू हुए अब तक 5 हजार वर्षों से ज्यादा हो चुके हैं और इतने वर्षों में यहां कई बार मंदिर टूटकर फिर से बन चुका है.
16वीं सदी में इस्लामिक आक्रांता (मुगल) भारत आए तो उन्होंने यहां मंदिर को तुड़वाया और औरंगजेब ने मस्जिद बनवा दी. इस बात के ऐतिहासिक प्रमाण मिलते हैं कि मुगलों ने यहां का भव्य मंदिर तुड़वाकर मस्जिद बनवा दी थी. हालांकि, अब मुस्लिम समुदाय के लोग इस सच को नहीं मानते. वो कहते हैं कि इस शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण किसी हिन्दू मन्दिर को तोड़ कर नहीं किया गया और बेवजह विवाद पैदा किया जा रहा है.
मुस्लिम समुदाय को जब कुछ इतिहासकारों ने 27 जनवरी 1670 का औरंगजेब का फरमान दिखाया तो वे बगलें झांकने लगे. फारसी भाषा में मौजूद औरंगजेब के फरमान का अनुवाद इतिहासकार जदुनाथ सरकार ने अपनी किताब “मासिर ए आलमगीरी” में किया है. जिसमें बताया गया है कि अपने शासन में औरंगजेब यह फरमान देता है कि रमजान के पाक महीने में मथुरा स्थित केशव देव मन्दिर को तोड़ दिया जाए. साथ ही मूर्तियों और कीमती जवाहरात को आगरा स्थित बेगम साहिब मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दफना दिया जाए. इसके अलावा इसी फरमान में औरंगजेब मथुरा का नाम बदल कर इस्लामाबाद करने का भी आदेश देता है.
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— भारत एक्सप्रेस
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