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Krishna Janmabhoomi: श्रीकृष्ण की अवतरण-स्थली पर बने मुगलों के ईदगाह मामले पर उच्च न्यायालय में 29 को सुनवाई, जानिए कब-कैसे तोड़ा गया था मंदिर

मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर मौजूद मुगलों की शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग वाली याचिका पर उच्च न्यायालय (इलाहाबाद हाईकोर्ट) सुनवाई करेगा. इसके लिए आज दोनों पक्षों को सुनवाई की तारीख बता दी गई है.

Krishna Janmabhoomi Mathura

श्रीकृष्ण की अवतरण-स्थली पर मुगलों ने बनवाई थी मस्जिद, जिसे शाही ईदगाह कहते हैं.

Krishna Janmabhoomi Shahi eidgah Mosque Case: भगवान के मानव-अवतार श्रीकृष्ण की अवतरण-स्थली मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद का मामला जोर पकड़ रहा है.​ हिंदु अनुयायियों ने मुगलों की इस मस्जिद को हटाने की मांग की है. इसके लिए हिंदु पक्ष की ओर से अदालत में कई याचिकाएं लगाई गई हैं. आज उच्च न्यायालय (इलाहाबाद हाईकोर्ट) ने एक याचिका पर सुनवाई की तारीख दे दी है.

उच्च न्यायालय में आगामी 29 फरवरी को शाही ईदगाह मस्जिद मामले की सुनवाई होगी. शुक्रवार (23 फरवरी) को उच्च न्यायालय ने यह निर्देश जारी किया. हिंदू-मुस्लिम दोनेां पक्षों को 29 फरवरी को न्यायालय में उपस्थित रहना होगा.

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यहीं भगवान ने लिया था मनुष्य अवतार

हिन्दू पक्ष वर्षों से यह दावा करता आ रहा है कि जिस जगह पर आज ईदगाह है वहां कभी श्रीकृष्ण का भव्य ‘केशव देव मंदिर’ था. धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि भगवान स्वयं द्वापर युग में श्रीकृष्ण के रूप में मानव अवतार लिए थे…तब यहां राक्षसराज कंस की जेल हुआ करती थी. श्रीकृष्ण ने बाल्यवस्था में ही कंस और उसके खतरनाक राक्षसों का वध कर दिया था. द्वापर युग की समाप्ति के साथ ही श्रीकृष्ण अपने परमधाम को चले गए. उसके बाद कलयुग में उन्हीं के वंशजों ने मथुरा में भव्य मंदिर का निर्माण कराया. कलयुग शुरू हुए अब तक 5 हजार वर्षों से ज्यादा हो चुके हैं और इतने वर्षों में यहां कई बार मंदिर टूटकर फिर से बन चुका है.

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कालांतर में कई बार टूटा और फिर बना मंदिर

16वीं सदी में इस्लामिक आक्रांता (मुगल) भारत आए तो उन्होंने यहां मंदिर को तुड़वाया और औरंगजेब ने मस्जिद बनवा दी. इस बात के ऐतिहासिक प्रमाण मिलते हैं कि मुगलों ने यहां का भव्य मंदिर तुड़वाकर मस्जिद बनवा दी थी. हालां​कि, अब मुस्लिम समुदाय के लोग इस सच को नहीं मानते. वो कहते हैं कि इस शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण किसी हिन्दू मन्दिर को तोड़ कर नहीं किया गया और बेवजह विवाद पैदा किया जा रहा है.

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ऐतिहासिक प्रमाण- मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई

मुस्लिम समुदाय को जब कुछ इतिहासकारों ने 27 जनवरी 1670 का औरंगजेब का फरमान दिखाया तो वे बगलें झांकने लगे. फारसी भाषा में मौजूद औरंगजेब के फरमान का अनुवाद इतिहासकार जदुनाथ सरकार ने अपनी किताब “मासिर ए आलमगीरी” में किया है. जिसमें बताया गया है कि अपने शासन में औरंगजेब यह फरमान देता है कि रमजान के पाक महीने में मथुरा स्थित केशव देव मन्दिर को तोड़ दिया जाए. साथ ही मूर्तियों और कीमती जवाहरात को आगरा स्थित बेगम साहिब मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दफना दिया जाए. इसके अलावा इसी फरमान में औरंगजेब मथुरा का नाम बदल कर इस्लामाबाद करने का भी आदेश देता है.

— भारत एक्सप्रेस

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