उत्तर प्रदेश में हाल ही में नौ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में बहुजन समाज पार्टी (BSP) के एक भी सीट न जीतने के बाद पार्टी प्रमुख मायावती (Mayawati) ने रविवार को कड़ा रुख अपनाया. उन्होंने चुनाव प्रक्रिया में अनियमितताओं (Irregularities in the Election Process) का आरोप लगाते हुए घोषणा की कि जब तक चुनाव आयोग फर्जी मतदान पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम नहीं उठाता, तब तक उनकी पार्टी उपचुनावों में हिस्सा नहीं लेगी.
मायावती ने लखनऊ में संवाददाता सम्मेलन के दौरान उपचुनाव के नतीजों पर सवाल उठाते हुए कहा, “नौ सीटों पर हुए मतदान और परिणामों को लेकर जनता में व्यापक चर्चा है. यह कोई नया मुद्दा नहीं है. पहले बैलेट पेपर (Ballot Paper) और अब ईवीएम (EVM) के माध्यम से फर्जी मतदान की घटनाएं लोकतंत्र के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई हैं.” उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता का दुरुपयोग करके फर्जी वोटिंग की घटनाएं न केवल लोकसभा और विधानसभा चुनावों (Loksabha and Assembly Elections) में, बल्कि उपचुनावों (By-elections) में भी तेजी से हो रही हैं.
बसपा प्रमुख ने कहा कि उनकी पार्टी ने यह फैसला किया है कि जब तक चुनाव आयोग फर्जी मतदान को रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाता, तब तक BSP उपचुनावों से दूरी बनाए रखेगी. हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आम चुनावों में उनकी पार्टी पूरी मजबूती और तैयारी के साथ हिस्सा लेगी. मायावती के अनुसार, आम चुनावों में सुरक्षा व्यवस्था बेहतर होती है, क्योंकि सत्ता परिवर्तन की संभावना के कारण सरकारी मशीनरी ज्यादा सतर्क रहती है.
मायावती ने 2007 में उत्तर प्रदेश में BSP की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनने को याद करते हुए कहा कि इससे कांग्रेस(Congress), भाजपा (BJP) और अन्य जातिवादी दलों को बड़ा झटका लगा था. उन्होंने आरोप लगाया कि इन पार्टियों ने गुप्त रूप से गठजोड़ करके दलित समुदाय के कुछ स्वार्थी लोगों को अपनी ओर मोड़ने की कोशिश की और उनके माध्यम से बसपा को कमजोर करने का प्रयास किया.
मायावती ने विपक्षी दलों पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये पार्टियां फंडिंग और उम्मीदवार चयन प्रक्रिया के जरिए BSP को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रही हैं. उन्होंने कहा, “ये दल अपने स्वार्थ के लिए दलित समुदाय के कुछ लोगों को आगे बढ़ा रहे हैं और उनके चुनाव प्रचार को फंडिंग देकर उनका इस्तेमाल कर रहे हैं.”
BSP प्रमुख ने समाज के सभी वर्गों से अपील करते हुए कहा कि जाति, समुदाय या निजी संबंधों के आधार पर भटकाव से बचें और ऐसी पार्टियों को वोट न दें जो लोकतंत्र को कमजोर करने का काम करती हैं.
मायावती ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी सदस्यता और जन योगदान के माध्यम से फंड जुटाने में विश्वास रखती है. उन्होंने स्पष्ट किया कि BSP लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों में पूरी तैयारी के साथ हिस्सा लेगी और जातिवादी राजनीति के खिलाफ अपना संघर्ष जारी रखेगी. यह बयान ऐसे समय में आया है जब बसपा ने उपचुनावों में सभी नौ सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन एक भी सीट जीतने में नाकाम रही. इस घटनाक्रम ने बसपा की रणनीति और भविष्य की दिशा को लेकर नई चर्चा छेड़ दी है.
-भारत एक्सप्रेस
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