24 मई 1971 की सुबह संसद भवन स्थित भारतीय स्टेट बैंक में घटी एक घटना ने पूरे देश में सनसनी फैला दी थी. इस घटना को फिल्मी अंदाज में अंजाम देते हुए बैंक से 60 लाख रुपये ठग लिए गए थे. ये ठगी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम से की गई थी. आइये आपको सिलसिलेवार तरीके से बताते हैं कि किस तरह से इस ठगी को अंजाम दिया गया था.
सोमवार का दिन होने की वजह से बैंक में काफी हलचल थी. बैंक के चीफ मैनेजर वेद प्रकाश मल्होत्रा अपनी केबिन में किसी क्लाइंट के साथ मीटिंग कर रहे थे. तभी उनकी टेबल पर रखे तीन टेलीफोन में से एक की घंटी बजी. जिसका नंबर था 45468. नंबर देखते ही वेद प्रकाश एक पल में समझ गए कि ये एक डायरेक्ट लाइन है. मल्होत्रा ने जैसे ही फोन उठाया, दूसरी तरफ से आवाज आई…प्रधानमंत्री के सेक्रेटरी आप से कुछ बात करना चाहते हैं. करीब 2-3 सेकेंड की चुप्पी के बाद फिर आवाज आई, मल्होत्रा जी, मैं पीएम का सेक्रेटरी पीएन हक्सर बोल रहा हूं.
वेद प्रकाश मल्होत्रा जवाब में बोले- क्या आदेश है सर? पीएन हक्सर ने कहा, आपसे एक बहुत ही सीक्रेट मामले पर बात करनी है. अगर आपके आसपास कोई है, उसे वहां से हटने के लिए बोल दीजिए. वेद प्रकाश मल्होत्रा ने फोन को कान से हटाते हुए अपने क्लाइंट को बाहर जाने के लिए कहा, ये क्लाइंट थे, दिल्ली के मजिस्ट्रेट मथुरा दास, मथुरा दास को वेद प्रकाश का ये रवैया बिल्कुल भी पसंद नहीं आया, हालांकि वह केबिन से बाहर निकल गए.
हार्पर कॉलिन्स से प्रकाशित द स्कैम दैट शुक ए नेशन (The Scam that Shook a Nation) में रशीद किदवई और प्रकाश पात्रा लिखते हैं कि पीएम के सेक्रेटरी पीएन हक्सर ने चीफ मैनेजर से कहा कि प्रधानमंत्री का आदेश है कि तत्काल 60 लाख रुपये कैश चाहिए. जिसे एक सीक्रेट मिशन के लिए बाहर भेजना है. पैसे लेने के लिए एक आदमी आएगा, उन्हें रुपये दे दीजिएगा. इतना सुनते ही मल्होत्रा ने पूछा, पीएम चेक भेज रही हैं या रसीद?
पीएन हक्सर ने उधर से जवाब दिया, प्रधानमंत्री ने फिलहाल इतना ही आदेश दिया है, रसीद या फिर चेक की बात बाद में देखी जाएगी. हक्सर ने आगे कहा, आप पैसे को एक वैन में रखकर फ्री चर्च के पास लेकर पहुंचिए, क्योंकि इसे तत्काल वायुसेना के विमान से बांग्लादेश भेजना है. इसके साथ ही पीएन हक्सर ने आखिर में कहा- ये ध्यान रखिएगा कि यह सीक्रेट मिशन है, इसलिए इसके बारे में किसी को भी भनक तक नहीं लगनी चाहिए.
वेद प्रकाश मल्होत्रा के सामने असमंजस की स्थिति पैदा हो गई, उनसे 60 लाख रुपये की मांग की गई थी, जबकि इसके बारे में किसी से चर्चा करने को भी मना किया गया और रकम के बदले में कोई रसीद या चेक भी नहीं दिया गया. मल्होत्रा ने हक्सर को जवाब दिया, ये काफी मुश्किल काम है, जिसपर पीएन हक्सर ने कहा, लीजिए फिर आप प्रधानमंत्री से बात कर लीजिए. कुछ पल में ही आवाज आई, मैं प्रधानमंत्री बोल रही हूं…मल्होत्रा को आवाज एकदम जानी-पहचानी लगी, पीएम ने कहा, जैसा कि मेरे सेक्रेटरी ने आपको बताया है, हमें अभी 60 लाख रुपये कैश चाहिए. जिसे सीक्रेट मिशन के लिए बांग्लादेश भेजना है. आप पैसे तैयार कीजिए, मैं आदमी भेज रही हूं.
प्रधानमंत्री का फोन पर बात करना, मल्होत्रा के लिए कोई शक की गुंजाइश नहीं रह गई, मल्होत्रा ने पूछा, उस आदमी की पहचान कैसे होगी? प्रधानमंत्री ने जवाब दिया, हमारा आदमी आपसे कोड वर्ड में बात करेगा, वह आपसे कहेगा, “मैं बांग्लादेश का बाबू हूं.” इसके बाद आप रुपये उसे दे दीजिएगा. उसके बाद आप मेरे आवास पर आकर रसीद ले जाइयेगा.
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रशीद किदवई और प्रकाश पात्रा अपनी किताब में आगे लिखते हैं कि फोन कटने के तुरंत बाद स्टेट बैंक के मैनेजर वेद प्रकाश मल्होत्रा अपनी केबिन से बाहर निकले और पहले मथुरा दास से माफी मांगते हुए कहा कि “अभी मैं बहुत जरूरी काम से बाहर जा रहा हूं, आपसे लौटकर मिलता हूं.”
वेद प्रकाश मल्होत्रा बिना समय गंवाए रुपये लेकर बताए पते पर पहुंच गए. जहां पर एक लंबे कद का आदमी पहले से मौजूद था. उसने मल्होत्रा को वही कोड वर्ड बताया, जो पीएम ने मल्होत्रा को फोन पर बताया था. इसके बाद वेद प्रकाश मल्होत्रा ने 60 लाख रुपये उस शख्स को सौंप दिए. रुपये देने के बाद जब मल्होत्रा पीएम आवास पहुंचे तो मानो किसी ने उनके पैरों के नीचे से जमीन खींच ली हो, उन्हें वहां बताया गया कि ऐसा किसी भी तरह का कोई फोन नहीं किया गया है. इसके बाद उन्होंने आनन-फानन में अपने शीर्ष अधिकारियों को इस ठगी के बारे में जानकारी दी. बाद में संसद थाने में इस ठगी को लेकर FIR कराई गई. हालांकि पुलिस ने उसी रात ठगी करने वाले इस शख्स को गिरफ्तार कर लिया, जिसका नाम था रुस्तम नागरवाला. उसके पास से पुलिस ने 59 लाख 95 हजार रुपये भी बरामद कर लिए.
-भारत एक्सप्रेस
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