विशेष

क्या था ऑपरेशन पोलो? जिसमें भारतीय सेना ने रजाकारों को चटाई थी धूल

15 अगस्त, 1947 को भारत को ब्रिटिश शासन से आजादी तो मिल गई थी, लेकिन इसके बाद भी देश को पूर्ण तरह से स्वतंत्र होने में काफी समय लगा. अंग्रेजों ने भारत को दो हिस्सों (पाकिस्तान और भारत) में बांट दिया था, लेकिन इसके साथ ही 500 से अधिक रियासतों को भी बीच मझधार में छोड़ दिया था. उन्हें एकजुट करने की चुनौती उस समय देश के कर्ता-धर्ता के सामने एक बड़ी परेशानी का सबब था.

भारत में विलय से किया इनकार

अंग्रेजों की कूटनीति का फायदा उठाते हुए कई रियासतों ने अकेले और स्वतंत्र रहने का फैसला किया. आजाद भारत के लिए इन रियासतों का जिद पर अड़े रहना सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक रूप से बिल्कुल ठीक नहीं था. लगभग सभी रियासतों को गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने एकजुट कर दिया था, लेकिन जम्मू-कश्मीर, जूनागढ़ और हैदराबाद इस लिस्ट में सबसे टॉप के बागी थे.

विलय के प्रस्ताव को निजाम ने ठुकराया

कई प्रयासों के बाद जम्मू-कश्मीर और जूनागढ़ का भारत में विलय हो गया, लेकिन इसके बाद भी हैदराबाद रियासत के निजाम किसी भी कीमत पर भारत में विलय के प्रस्ताव को स्वीकार करने पर सहमत नहीं थे. आखिरकार वल्लभ भाई पटेल के अडिग सैन्य कार्रवाई का असर हुआ. निजाम ने भारत सरकार के सामने सरेंडर करते हुए भारत में विलय की घोषणा की. मगर, क्या यह इतना आसान था?

सेना ने शुरू किया ऑपरेशन पोलो

दरअसल, 11 सितंबर को पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की मौत हुई और उसके एक दिन बाद यानि 12 सितंबर को भारतीय सेना ने हैदराबाद में सैन्य अभियान शुरू किया. 13 सितंबर 1948. ये वो तारीख है जब भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन पोलो’ की शुरुआत की और रजाकारों को उनकी औकात दिखाई.

यह भी पढ़ें- गठबंधन राजनीति के प्रबल पैरोकार थे सीताराम येचुरी, जानें कैसा रहा उनका सियासी सफर

सरदार पटेल ने हैदराबाद को ‘भारत के पेट में कैंसर’ कहा था और राज्य में शांति व्यवस्था और सुरक्षा बनाए रखने के लिए सैन्य कार्रवाई की ठानी. ऑपरेशन की योजना बहुत सावधानी से बनाई गई थी. भारतीय सेना को स्थानीय आबादी का भी समर्थन प्राप्त था, जो निजाम के शासन के अंत को देखने के लिए उत्सुक थे.

पांच दिन चला ऑपरेशन

13 सितंबर, 1948 की सुबह 4 बजे भारतीय सेना मेजर जनरल जे एन चौधरी के नेतृत्व में हैदराबाद अभियान शुरू कर चुकी थी. महज पांच दिन के अंदर 17 सितंबर, 1948 की शाम 5 बजे निजाम उस्मान अली ने रेडियो पर संघर्ष विराम और रजाकारों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की. इसके साथ ही, हैदराबाद में भारत का पुलिस एक्शन समाप्त हो गया.

रजाकारों ने किया आत्मसमर्पण

17 सितंबर की शाम 4 बजे हैदराबाद रियासत के सेना प्रमुख मेजर जनरल एल ईद्रूस ने अपने सैनिकों के साथ भारतीय मेजर जनरल जे एन चौधरी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. इसके बाद हैदराबाद रियासत की भारत संघ में विलय की घोषणा की.

-भारत एक्सप्रेस

आईएएनएस

Recent Posts

Jammu Kashmir Election Live: 24 सीटों पर आज डाले जा रहे वोट, पहले चरण में महबूबा की बेटी इल्तिजा समेत 219 उम्मीदवार, 110 करोड़पति, 36 पर क्रिमिनल केस

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के फर्स्ट फेज में आज कुलगाम, पुलवामा और डोडा के मतदान केंद्रों…

1 hour ago

BharatPe के सह-संस्थापक और पूर्व MD अशनीर ग्रोवर और उनकी पत्नी को विदेश जाने की मिली अनुमति

भुगतान ऐप भारतपे के सह-संस्थापक और पूर्व प्रबंध निदेशक अशनीर ग्रोवर और उनकी पत्नी माधुरी…

9 hours ago

दिल्ली शराब नीति घोटाला: मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार अमित अरोड़ा और अमनदीप ढल को मिली जमानत

ईडी और सीबीआई के अनुसार दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 को संशोधित करते समय अनियमितताएं बरती…

9 hours ago

लैंड फॉर जॉब मामला: दिल्ली हाईकोर्ट ने लालू यादव के करीबी सहयोगी अमित कत्याल को दी जमानत

लैंड फॉर जॉब से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद लालू प्रसाद…

9 hours ago

महिला के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने से हाई कोर्ट का इनकार, पूर्व पति से 25 लाख रुपये और कार लेने की आरोपी है महिला

न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि आरोपों की पुष्टि के लिए प्राथमिकी दर्ज की…

9 hours ago

मनी लॉन्ड्रिंग मामला: आप नेता अमानतुल्लाह खान ने गिरफ्तारी को हाईकोर्ट में दी चुनौती

अमानतुल्लाह 23 सितंबर तक फिलहाल न्यायिक हिरासत में है. खान के खिलाफ धन शोधन का…

10 hours ago