यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन ( ईएईयू ) ने भारत के साथ प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते में तेजी लाने का फैसला किया है जो भारतीय कंपनियों को संसाधन संपन्न यूरेशिया तक पहुंच प्रदान करेगा जहां चीन गहरी पैठ बना रहा है. बुधवार और गुरुवार को मॉस्को में रूस की अध्यक्षता में ईएईयू की बैठक में यह फैसला लिया गया. ईएईयू में रूस, आर्मेनिया, बेलारूस, कजाकिस्तान और किर्गिस्तान शामिल हैं.
ईएईयू की बैठक, जिसमें 2,000 से अधिक प्रतिनिधियों के अलावा रूस, कजाकिस्तान और किर्गिस्तान के राष्ट्रपतियों ने भाग लिया, जुलाई में भारत में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन से पहले समूह और ब्रिक्स-एससीओ के बीच तालमेल और ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत और चीन) अगस्त में दक्षिण अफ्रीका में शिखर सम्मेलन पर भी चर्चा की.
विदेश मंत्री एस जयशंकर की रूसी राजदूत से मुलाकात
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार शाम यहां रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव से मुलाकात की. जहां उन्होंने आईआरआईजीसी-टीईसी ढांचे सहित द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा की. वहीं उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों की आगामी बैठक के बारे में भी बात की.
पिछले महीने अपनी भारत यात्रा के दौरान, रूसी उप प्रधान मंत्री डेनिस मंटुरोव ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ एफटीए पर विस्तार से चर्चा की थी. फिक्की द्वारा आयोजित एक संवाद के दौरान, मंटुरोव और जयशंकर ने कहा था कि उन्होंने एफटीए पर “उन्नत वार्ता” में प्रवेश किया है. “हम अपने देशों के बाजारों में उत्पादन की पारस्परिक पहुंच के मुद्दों पर विशेष ध्यान देते हैं. यूरेशियन आर्थिक आयोग के साथ मिलकर हम भारत के साथ एक मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत को तेज करने की उम्मीद कर रहे हैं,” मंटुरोव ने ईएईयू के कार्यकारी निकाय का जिक्र करते हुए कहा था.
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भारत और रूस
जयशंकर ने संदेश दिया था कि भारत और रूस के नेतृत्व वाले ईएईयू के बीच एफटीए वार्ता कोविड महामारी से बाधित हुई थी. उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय बातचीत को फिर से शुरू करने के पक्ष में है क्योंकि प्रस्तावित समझौता “व्यापार संबंधों में वास्तविक अंतर लाएगा”.
जयशंकर ने यह भी उल्लेख किया था कि कैसे भारत और रूस 2025 के लक्ष्य वर्ष से पहले ही 30 अरब डॉलर के अपने द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य को पूरा कर चुके हैं. उन्होंने आगे कहा कि अप्रैल 2022 और फरवरी 2023 के बीच दोतरफा व्यापार बढ़कर 45 अरब डॉलर हो गया.
रूसी विशेषज्ञों का कहना है कि भारत-ईएईयू एफटीए भारत के लिए बेहतर है क्योंकि ऐसा महसूस होता है कि रूसी कंपनियों के भारत में उतनी मजबूती से प्रतिस्पर्धा करने की संभावना नहीं है जितनी चीनियों के साथ होगी.
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