फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के करीबी सहयोगी फ्रांस्वा बायरू (Francois Bayrou) को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है. 73 वर्षीय बायरू 2017 से मैक्रों के साथ जुड़े हुए हैं और उनकी डेमोक्रेटिक मूवमेंट (MoDem) पार्टी मैक्रों की सेंट्रिस्ट पार्टी की सहयोगी रही है. तीन बार राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रहे बायरू को लंबे समय से प्रधानमंत्री पद के लिए संभावित दावेदार माना जा रहा था.
बायरू राष्ट्रपति मैक्रों के कार्यकाल में छठे प्रधानमंत्री बने हैं और पिछले एक साल में 4 बार प्रधानमंत्री बदले गए हैं. अब बायरू के सामने काफी मुश्किलें होंगी. संसद ने 4 दिसंबर को पिछले प्रधानमंत्री मिशेल बार्नियर को हटा दिया था. अब तक मैक्रों के जितने भी प्रधानमंत्री रहे हैं, उनका कार्यकाल पहले वाले से छोटा रहा है. इसका मुख्य कारण फ्रांस में किसी भी राजनीतिक पार्टी के पास बहुमत न होना हो सकता है. देश की नेशनल असेंबली (संसद) में मौजूदा राजनीतिक स्थिति को देखते हुए, यह भी तय नहीं है कि बायरू बार्नियर से ज्यादा समय तक इस पद पर रह पाएंगे. बार्नियर केवल तीन महीने के लिए प्रधानमंत्री रह सके थे.
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के कार्यकाल में फ्रांस्वा बायरू छठे प्रधानमंत्री बने हैं. उनसे पहले मिशेल बार्नियर इस पद पर थे, लेकिन 4 दिसंबर को संसद ने उन्हें अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटा दिया। पिछले 62 साल के फ्रांस के इतिहास में पहली बार किसी प्रधानमंत्री को अविश्वास प्रस्ताव में हार का सामना करना पड़ा है. जुलाई में हुए संसदीय चुनावों में 577 सीटों वाली फ्रांसीसी संसद में किसी भी राजनीतिक पार्टी को बहुमत नहीं मिला था, जिसके बाद मैक्रों ने बार्नियर को प्रधानमंत्री चुना था.
हालांकि, प्रधानमंत्री के रूप में बार्नियर की कार्यशैली विपक्ष के लिए असंतोष का कारण बनी. यह नाराजगी तब और बढ़ गई जब उन्होंने फ्रांसीसी संविधान के अनुच्छेद 49.3 का उपयोग करके नेशनल असेंबली में बिना वोटिंग के सामाजिक सुरक्षा बजट पारित करवा दिया. इसके चलते, संसद के निचले सदन के 331 सदस्यों ने उनकी अल्पमत सरकार को हटाने के पक्ष में वोट दिया. परिणामस्वरूप, बार्नियर मात्र 91 दिनों तक प्रधानमंत्री पद पर रह सके. उनकी जगह अब राष्ट्रपति मैक्रों ने फ्रांस्वा बायरू को प्रधानमंत्री नियुक्त किया है.
बायरू पर उनकी पार्टी के संसदीय सहायकों की धोखाधड़ी से जुड़ा मामला चल रहा था. फरवरी में उन्हें “संदेह का लाभ” देते हुए बरी कर दिया गया. हालांकि, इस फैसले के खिलाफ अब भी अपील लंबित है. 2017 में, मैक्रों ने उन्हें अपनी सरकार में न्याय मंत्री बनाया था. लेकिन जब यह मामला खुला, तो उन्हें उसी साल इस्तीफा देना पड़ा. इसके बावजूद, वह पर्दे के पीछे मैक्रों के भरोसेमंद सहयोगी बने रहे.
बायरू ने अपने करियर में कई बड़े नेताओं के साथ काम किया है. उन्होंने पूर्व दक्षिणपंथी राष्ट्रपति वैलेरी गिस्कार द’एस्तेंग और जैक शिराक के साथ काम किया और 2012 में फ्रांस्वा ओलांद का समर्थन किया. वह दक्षिण-पश्चिमी शहर पॉ के मेयर रहे हैं. कैथोलिक होने के बावजूद वह फ्रांस की धर्मनिरपेक्षता के बड़े समर्थक रहे हैं.
बायरू 2002 के राष्ट्रपति चुनाव में तब चर्चा में आए जब एक बच्चे ने उनकी जेब से पैसे निकालने की कोशिश की और उन्होंने थप्पड़ मार दिया. उस चुनाव में उन्हें सात प्रतिशत से कम वोट मिले और वह पहले दौर में ही बाहर हो गए. राजनीति के अलावा, बायरू एक लेखक भी हैं. उन्होंने 16वीं और 17वीं शताब्दी के फ्रांसीसी राजा हेनरी IV की जीवनी लिखी है.
-भारत एक्सप्रेस
पूर्व भारतीय क्रिकेटर विनोद कांबली ने कपिल देव के इलाज की पेशकश पर सकारात्मक प्रतिक्रिया…
नालसा ने 2024 की चौथी राष्ट्रीय लोक अदालत में 1.45 करोड़ मामलों का सौहार्दपूर्ण समाधान…
दिल्ली हाईकोर्ट ने होटल एवं रेस्तरां में भोजन बिल पर सेवा शुल्क वसूलने पर रोक…
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिव्यागों एवं वरिष्ठ नागरिकों के लिए फुट ओवरब्रिज तथा अन्य सार्वजनिक सुविधाओं…
जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि के अलावा जूना अखाड़े के महंत संरक्षक महंत…
जानकारों ने कहा कि अक्टूबर और नवंबर में लगातार बिकवाली के बाद दिसंबर में एफआईआई…