चीन द्वारा सैन्य स्तर पर ताइवान को घेरने की कोशिश के बीच एक ऐसी खबर आ रही है जो वाकई हैरान कर सकती है. हाल ही में चीन की गतिविधियां ताइवान को लेकर आक्रामक दिख रही हैं. वहीं ताइवान में विपक्ष नियंत्रित संसद ने मंगलवार को संशोधन विधेयकों को पारित किया है, जो राष्ट्रपति की शक्तियों को कम करते हैं. इस कदम को चीन के पक्ष में देखा जा रहा है और इसे लेकर पूरे ताइवान में विरोध प्रदर्शन हो रहा है और हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं.
क्या है संसोधन विधेयक में
ताइवान की संसद में पारित ये संशोधन विधेयक विपक्षी नेशनलिस्ट पार्टी और उसके सहयोगी लाए थे और ये संसद को रक्षा खर्च समेत बजट को नियंत्रित करने के लिए व्यापक शक्तियां प्रदान करेंगे. इसे कई लोग चीन के पक्ष में देख रहे है. हालांकि, यह साफ नहीं है कि ये विधेयक कानून बन पाएंगे या नहीं. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली सरकार की कार्यकारी शाखा ‘एग्जिक्यूटिव युआन’ विधेयकों पर वीटो कर सकती है या इसे राष्ट्रपति के पास भेज सकती है. यदि ‘एग्जिक्यूटिव युआन’ या राष्ट्रपति फैसला नहीं करते हैं तो विधेयक कानून नहीं बन पाएंगे.
ताइवान में हुए इन संशोधनों के खिलाफ हज़ारों लोग संसद के बाहर इकट्ठे हो गए. नेशनलिस्ट पार्टी चीन के साथ एकीकरण पर आधिकारिक तौर पर समर्थन दे चुकी है. 1949 में गृह युद्ध के दौरान ताइवान चीन से अलग हो गया था. इस साल जनवरी में हुए चुनाव के बाद नेशनलिस्ट पार्टी को संसद में बहुमत मिल गया, लेकिन राष्ट्रपति पद पर डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के लाइ चिंग ते ने जीत दर्ज की थी. डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी ताइवान की स्वतंत्रता की पक्षधर है.
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