इटली ने केमिकल कैस्ट्रेशन या रासायनिक बधियाकरण (Chemical Castration) को वैध बनाने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है. सांसदों ने एक समिति के गठन को मंजूरी दे दी, जो हिंसक यौन अपराधियों के खिलाफ कानून का मसौदा तैयार कर सकेगी.
रोम में संसद के निचले सदन ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें कहा गया कि इलाज सहमति से होना चाहिए और इसका उद्देश्य दोबारा अपराध करने के जोखिम को कम करना होना चाहिए. इसने सरकार को संबंधित समिति की स्थापना करने के लिए प्रतिबद्ध किया है.
प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी (Giorgia Meloni) का दक्षिणपंथी प्रशासन कानून और व्यवस्था के मामले में सख्त दिखने की कोशिश कर रहा है. 2022 में सत्ता में आने के बाद से उनकी सरकार ने दर्जनों नए अपराध और बढ़ी हुईं सजाएं देने वाले कानून पेश किए हैं.
मालूम हो कि पिछले साल नेपल्स के किनारे स्थित कैवानो शहर में दो नाबालिग बहनों के सामूहिक बलात्कार की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. इस मामले में 5 लोगों को दोषी ठहराया गया था. मेलोनी ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि अगले कुछ महीनों के लिए सुरक्षा उनकी ‘प्राथमिकता’ है.
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जॉर्जिया मेलोनी के शासकीय गठबंधन का हिस्सा दक्षिणपंथी लीग ने बाल यौन शोषण करने वालों और बलात्कारियों के लिए केमिकल कैस्ट्रेशन पर कानून बनाने का प्रस्ताव रखा था. लीग के प्रस्तावों के तहत दोषी ठहराए गए यौन अपराधियों को हार्मोन अवरोधक इलाज के बदले में निलंबित सजा (Suspended Sentence: एक न्यायिक सजा जो तब तक लागू नहीं होती जब तक कि निर्दिष्ट अवधि के दौरान कोई और अपराध न किया जाए) मिल सकती है.
लीग के प्रमुख मटेओ साल्विनी ने इस खबर का स्वागत करते हुए एक्स पर लिखा, ‘लीग की जीत! बढ़िया… न्याय के लिए हमारी ऐतिहासिक लड़ाई में एक और महत्वपूर्ण कदम: बलात्कारियों और पीडोफाइल (बच्चों के प्रति यौन रूप से आकर्षित होने वाला शख्स) के प्रति जीरो टॉलरेंस.’
मालूम हो कि केमिकल कैस्ट्रेशन में पुरुष यौन अपराधियों के खिलाफ ऐसी दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है, जो टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन के लिए अंडकोष (Testicles) को उत्तेजित करने वाले हार्मोन के स्राव को रोकती हैं, जिससे कामेच्छा कम हो जाती है.
रूस और पोलैंड के अलावा कुछ अमेरिकी राज्यों में कुछ अपराधों के लिए अनिवार्य केमिकल कैस्ट्रेशन की अनुमति है. हालांकि दोबारा अपराध करने से रोकने में इसकी प्रभावशीलता पर भी संदेह है. विशेषज्ञों का कहना है कि इसके शारीरिक और मनोवैज्ञानिक दुष्प्रभाव हो सकते हैं. नारीवादी समूहों ने चेतावनी दी है कि बलात्कार जैसे हिंसक यौन अपराधों के पीछे कारण अनियंत्रित यौन इच्छाएं नहीं, बल्कि सांस्कृतिक कारक हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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