अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के साथ ही तमाम बदलाव होने की उम्मीद की जा रही है. इसी बीच चर्चा ये भी शुरू हो गई है कि डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए में भी फेरबदल कर सकते हैं. सीआईए को नया चीफ मिल सकता है, जिसके लिए भारतीय मूल के कश्यप काश पटेल का नाम रेस में सबसे आगे चल रहा है. काश पटेल का सीआईए चीफ बनना तय माना जा रहा है, क्योंकि काश पटेल डोनाल्ड ट्रंप के काफी भरोसेमंद लोगों में से एक हैं. ऐसे में आइये जानते हैं कि सीआईए का गठन कब और क्यों किया गया था?
अमेरिका का विदेशी सूचनाएं इकट्ठा करने का इतिहास वैसे तो अमेरिकी क्रांति के युद्धों तक जाता है, लेकिन दूसरे वर्ल्ड वॉर के पहले तक विदेशी खुफिया गतिविधियों का सरकार समन्वय नहीं करती थी. दूसरे विश्व युद्ध से पहले डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट, फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) और यूएस आर्म्ड सर्विसेज (UAS) अपने-अपने तरीके से खुफिया सूचनाएं जुटाती थीं, इसके अलावा इन एजेंसियों के बीच भी किसी तरह का कोई तालमेल नहीं था.
साल 1947 अमेरिकी इंटेलिजेंस के इतिहास में एक क्रांतिकारी और मील का पत्थर साबित हुआ. सेंट्रल इंटेलीजेंस ग्रुप (CIG) की स्थापना के तुरंत बाद युद्ध के खत्म होने पर तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रूमैन को एक ऐसे इंटेलिजेंस यूनिट की जरूरत महसूस हुई जो युद्ध के समय या फिर किसी भी आपात स्थिति में खुफिया सूचनाओं का संकलन करने में सबसे तेज और भरोसेमंद हो. ऐसे में उन्होंने नेशनल सिक्योरिटी एक्ट पर हस्ताक्षर किए. इस एक्ट के तहत 18 सितंबर 1947 को सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी की स्थापना की गई. सीआईए को एक स्वतंत्र नागरिक खुफिया एजेंसी के तौर पर मान्यता दी गई. सीआईए को राष्ट्रीय इंटेलिजेंस एक्टिविटी के कोआर्डीनेशन के साथ ही अन्य जिम्मेदारी दी गईं, जो देश की सुरक्षा के लिए जरूरी थीं.
नेशनल सिक्योरिटी एक्ट के तहत डायरेक्टर ऑफ सेंट्रल इंटेलिजेंस के पद को गठित किया गया, जो CIA और अमेरिकी इंटेलिजेंस कम्युनिटी, दोनों का नेतृत्व कर सके. इसके साथ ही DCI ने खुफिया मुद्दों को लेकर प्रेसीडेंट के चीफ एडवाइजर के रूप में भी कार्य करना शुरू कर दिया. सीआईए की कमान सीआईजी के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर रोश एच. हेलिंकोटर को दी गई.
सीआईए में जितने भी लोगों को शामिल किया गया था, उसमें से एक तिहाई लोग ऑफिस ऑफ स्ट्रेटेजिक सर्विसेज (ओएसएस) में काम कर चुके थे, करीब दो साल बाद राष्ट्रपति ट्रूमैन ने सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी एक्ट पर साइन कर सीआईए को और भी शक्ति दे दी, जिसमें इनके खुफिया ऑपरेशन के लिए खुफिया तरीके से फंड देने के अलावा देश के बाहर जाकर लोगों को तैयार करने जैसे अधिकार शामिल थे.
एजेंसी का पहला मुख्यालय वाशिंगटन डीसी में बनाया गया, लेकिन बाद में जब कर्मचारियों की संख्या बढ़ी तो वर्जीनिया के लांगले में इसे शिफ्ट कर दिया गया. पहला मुख्यालय का भवन मुख्य रूप से इसके अधिकारियों के लिए डिजाइन किया गया था, साल 2004 में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने इंटेलिजेंस रीफॉर्म एंड टेरोरिज्म प्रिवेंशन एक्ट पर हस्ताक्षर किए, जिसके बाद डीसीआई की भूमिका में बदलाव हो गया.
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इस एक्ट के तहत डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस (DNI) का नया पद बनाया गया, जिसके अंडर में सीआईए समेत अमेरिका की 17 खुफिया एजेंसियां काम करती हैं. हालांकि, सीआईए के डायरेक्टर के जिम्मे अब भी स्वतंत्र रूप से सूचनाएं एकत्रित करने, उनका विश्लेषण करने और अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कोवर्ट ऑपरेशन करने का जिम्मा होता है.
-भारत एक्सप्रेस
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