अलगाववादी संगठन खालिस्तान कमांडो फोर्स (केसीएफ) के चीफ परमजीत सिंह पंजवड़ को शनिवार सुबह लाहौर के सनफ्लावर सोसाइटी जौहर टाउन में मार दिया गया. लाहौर स्थित अपने घर के पास जब पंजवड़ टहल रहा था, उसी वक्त बाइक पर आए अज्ञात हमलावरों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसानी शुरू कर दी. मोस्ट वॉन्टेड ख़ालिस्तानी आतंकी परमजीत सिंह के खिलाफ भारत में हत्या और हथियारों की तस्करी समेत कई मामले दर्ज थे. इस हमले में परमजीत सिंह के दो बॉडीगार्ड भी मारे गए हैं.
वह पूर्व सेना प्रमुख जनरल एएस वैद्य की हत्या और लुधियाना में देश की सबसे बड़ी बैंक डकैती के मामले में भी वॉन्टेड था. खालिस्तानी आतंकी एक समय में आईएसआई का करीबी रहा था. कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, परमजीत सिंह तरनतारन के पास पंजवड़ गांव का रहने वाला था. जब वह खालिस्तान कमांडो फोर्स में शामिल हुआ, उसके पहले वह सोहल में केंद्रीय सहकारी बैंक में काम करता था. 1986 में वह केसीएफ में शामिल हो गया जिसका कमांडर और उसके चचेरे भाई लाभ सिंह का उस पर खासा प्रभाव था. लाभ सिंह के रास्ते पर चलते हुए वह जल्द ही केसीएफ में शामिल हो गया था.
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जानकारी के मुताबिक, उसकी पत्नी और बच्चे जर्मनी चले गए थे. भारतीय सुरक्षा बलों के हाथों लाभ सिंह के मारे जाने के बाद, 1990 के दशक में पंजवड़ ने केसीएफ की कमान संभाली थी. पाकिस्तान द्वारा शरण दिए जाने वाले मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादियों की सूची में शामिल पंजवड़ सीमा पार हथियारों की तस्करी और हेरोइन की तस्करी के जरिए धन जुटाकर केसीएफ को चलाता था. पाकिस्तान सरकार द्वारा बार-बार इनकार के बावजूद, वह लाहौर में रहता था, जबकि उसकी पत्नी और बच्चे जर्मनी चले गए.
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