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Manipur Violence: हिंसा में 54 लोगों ने गंवाई जान, 10 हजार जवानों की तैनाती के बाद सुधरने लगे हालात, जानिए क्यों भड़की थी हिंसा

Manipur violence: मणिपुर में रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) और सेना की तैनाती के बाद अब हालात धीरे-धीरे काबू में आने लगे हैं. इस बीच मणिपुर सरकार ने हिंसा में जान गंवाने वालों का आधिकारिक आंकड़ा जारी किया है. आकंड़ों के मुताबिक अलग अलग-अलग हिंसा की घटनाओं में 54 लोगों की मौत हुई है. हालांकि, मौत का आंकड़ा इससे ज्यादा बताया जा रहा है. इस बीच राजधानी इंफाल घाटी में शनिवार के दिन बाजारों में दुकानों खुली हुई दिखीं. वहीं प्रदेश में सुरक्षाबलों के 10 हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं. इस कड़ी में भारी सुरक्षा के बीच लोगों ने घरों से बाहर निकलना शुरू कर दिया है.

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, जिन 54 लोगों की मौत हुई है. उन में से 16 लोगों के शव चुराचांदपुर जिला अस्पताल के मुर्दाघर में रखे गए हैं. वहीं 5 शव जवाहरलाल नेहरु इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में रखे गए हैं. सूत्रों के मुताबिक, 2 समुदायों के बीच लड़ाई में कई लोग मारे गए हैं. इसके अलावा करीब 100 लोग जख्मी हो गए हैं. हालांकि पुलिस इसकी पुष्टि करने को तैयार नहीं थी. वहीं गोली लगने से घायल कई लोगों का इलाज रिम्स और जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान संस्थान में भी चल रहा है.

हालात हो रहे हैं समान्य

पीटीआई की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अब इम्फाल घाटी में हालात काबू में आने लगे हैं. लोगों का फिर से सड़कों पर निकलना शुरू हो गया है. वाहन फिर से चलना शुरू हो गए हैं. बाजारों में दुकानें फिर से खुलना शुरू गई हैं. इंफाल पूर्वी और पश्चिमी जिलों में गुरुवार-शुक्रवार की रात को आगजनी की छिटपुट घटनाएं हुई थीं. उपद्रवियों ने नाकेबंदी करने की कोशिश की थी. हालांकि सुरक्षाबलों ने हालात बिगड़ने से रोकने से रोक दिया.

यह भी पढ़ें-  पीटीआई की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अब इम्फाल घाटी में हालात काबू में आने लगे हैं. लोगों का फिर से सड़कों पर निकलना शुरू हो गया है.

13 हजारों लोगों को बचाया गया

रक्षा प्रवक्ता ने कहा कि कुल 13,000 लोगों को बचाया गया और सुरक्षित लोगों को निकालकर सेना के शिविरों में पहुंचा दिया गया है. क्योंकि सेना ने चुराचांदपुर, मोरेह, काकचिंग और कांगपोकपी जिलों को अपने “दृढ़ नियंत्रण” में ले लिया है. रक्षा अधिकारी ने शुक्रवार रात कहा, “पिछले 12 घंटों में, इंफाल पूर्वी और पश्चिमी जिलों में आगजनी की छिटपुट घटनाएं और असामाजिक तत्वों द्वारा नाकेबंदी करने का प्रयास देखा गया. हालांकि, स्थिति को एक दृढ़ और समन्वित प्रतिक्रिया द्वारा नियंत्रित किया गया था.”

किस वजह से हो रही है हिंसा

जानकारी के मुताबिक, हिंसा के दो वजह सामने आ रही हैं. पहली, मणिपुर में कुकी और नागा समुदाय को आजादी के बाद से ही आदिवासी का दर्जा मिला हुआ है. वहीं अब प्रदेश में बहुसंख्यक मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का फैसला किया गया, जिसका कुकी और नागा समुदाय विरोध कर रहे हैं. दूसरी गवर्नमेंट लैंड सर्वे. इस सर्वे के मुताबिक, बीजेपी की अगुआई वाली राज्य सरकार ने रिजर्व्ड फॉरेस्ट यानी आरक्षित वन क्षेत्र को आदिवासी ग्रामीणों से खाली कराने का अभियान चला रही है जिसके कुकी समुदाय विरोध कर रहा है.

– भारत एक्सप्रेस

Rahul Singh

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