Sheikh Hasina: बांग्लादेश में तख्ता पलट के बाद से ही वहां की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत में रह रही हैं. इस बीच एक बड़ा खुलासा सामने आ रहा है. सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर होने का कारण उन्होंने अमेरिका को बताया है और आरोप लगाया है कि सेंट मार्टिन द्वीप न देने के कारण उन्हें सत्ता से हटाने की योजना बनाई गई थी. इस पूरे घटनाक्रम में साजिश का आरोप उन्होंने अमेरिका पर लगाया है.
उन्होंने कहा है कि इस द्वीप के मिलने से अमेरिका को बंगाल की खाड़ी पर प्रभाव जमाने में मदद मिलती. इसी के साथ ही उन्होंने बांग्लादेश के लोगों के चेताया है और कहा है कि वे कट्टरपंथियों के बहकावे में न आएं. मालूम हो कि हसीना के करीबी अवामी लीग नेताओं ने ढाका में सत्ता परिवर्तन के लिए अमेरिका को दोषी ठहराया और मई में ढाका का दौरा करने वाले एक वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है. बता दें कि सूत्रों ने ईटी को दिए बयान में दावा किया है कि नौकरी कोटे का विरोध करने वाले दंगाइयों ने वास्तव में विदेशी तत्वों के हाथों में खेल रहे थे, जो वास्तव में बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन की साजिश रच रहे थे. तो वहीं हसीना की पार्टी के नेताओं ने आरोप लगाया कि अमेरिकी राजनयिक हसीना पर चीन के खिलाफ पहल करने के लिए दबाव बना रहे थे. एक नेता ने ये भी आरोप लगाया है कि अमेरिकी राजदूत पीटर हास ने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी का पक्ष लिया था. बीती जुलाई में उनका कार्यकाल खत्म हुआ था. अमेरिकी सरकार ने मानवाधिकारों और चुनाव प्रक्रिया को लेकर ढाका की लगातार आलोचना की.
मालूम हो कि शेख हसीना ने छात्रों के उग्र विरोध प्रदर्शन के बाद 5 अगस्त को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और देश छोड़कर भारत आ गई थीं और यहां पर वह सुरक्षित स्थान पर रह रही हैं. इसी बीच एक खबर सामने आ रही है कि ये बयान शेख हसीना ने अपने करीबी सहयोगियों के जरिए भेजा है. इकनॉमिक टाइम्स को हसीना का ये बयान प्राप्त हुआ है.
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इस बयान में शेख हसीना ने कहा है कि ‘मैंने इस्तीफा दे दिया, ताकि मुझ लाशों का जुलूस न देखना पड़े. वे छात्रों की लाशों पर सत्ता में आना चाहते थे, लेकिन मैंने ऐसा नहीं होने दिया. मैंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.’ अपने बयान में उन्होंने ये भी कहा है कि ‘मैं सत्ता में बनी रह सकती थी, अगर मैंने सेंट मार्टिन द्वीप की संप्रभुता को त्याग दिया होता और अमेरिका को बंगाल की खाड़ी पर अपना प्रभुत्व कायम करने दिया होता. मैं अपने देश के लोगों से विनती करती हूं, कृपया कट्टरपंथियों के बहकाएं में न आएं.’
शेख हसीना ने अपने बयान में कहा है कि अगर मैं देश में रहती तो और अधिक लोगों की जान चली जाती और अधिक संसाधन नष्ट हो जाते. मैंने देश छोड़ने का बेहद कठिन फैसला लिया. मैं आपकी (बांग्लादेश की जानता) नेता बनी, क्योंकि आपने मुझे चुना, आप मेरी ताकत थे. उन्होंने अवामी लीग के नेताओं की हत्या की निंदा की और भरोसा दिलाया कि जल्द देश लौटेंगी. इसी के साथ ही अन्होंने अपने संदेश में कहा है कि ‘मुझे यह खबर सुनकर बहुत दुख हो रहा है कि कई नेताओं की हत्या कर दी गई है. कार्यकर्ताओं को सताया जा रहा है. उनके घरों में तोड़फोड़ और आगजनी की जा रही है. सर्वशक्तिमान अल्लाह की कृपा से मैं जल्द ही वापस आउंगी.’ अवामी लीग बार-बार उठ खड़ी हुई है. मैं हमेशा बांग्लादेश के भविष्य के लिए प्रार्थना करूंगी.
शेख हसीना ने अपने बयान में बांग्लादेश के आरक्षण आंदोलन और छात्रों के विरोध का जिक्र करते हुए कहा, ‘मैं बांग्लादेश के युवा छात्रों से दोहराना चाहूंगी. मैंने आपको कभी रजाकार नहीं कहा. आपको भड़काने के लिए मेरे शब्दों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया. मैं आपसे पूरा विडियो देखने का अनुरोध करती हूं. साजिशकर्ताओं ने आपकी मासूमियत का फायदा उठाया है और देश को अस्थिर करने के लिए आपका इस्तेमाल किया है.’
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी आंदोलन शुरू होने से पहले ही शेख हसीना ने संसद को बताया था कि अमेरिका उनके देश में सत्ता परिवर्तन की रणनीति बना रहा है. पार्टी नेताओं की एक बैठक में हसीना ने अमेरिका का नाम लिए बिना कहा था कि उनसे कहा गया है कि अगर मैं उन्हें बंगाल की खाड़ी में सैन्य अड्डा बनाने देती हूं तो उनकी सरकार को कोई समस्या नहीं होगी. हसीना ने यह भी कहा था कि वे बंगाल की खाड़ी को युद्ध का मैदान नहीं बनने देंगी.
-भारत एक्सप्रेस
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