जब से मानव प्रजाति ने इस धरती पर कदम रखा है बदलाव ही स्थायी है और बदलाव से तालमेल बैठाना एक निरंतर प्रक्रिया है. आज अपने चारों ओर ध्यान से नजर दौड़ाने पर हम पाते हैं कि सब कुछ अप्रत्याशित तेज गति से बदल रहा है. हमारे पहनने वाले कपड़ों से लेकर हम एक जगह से दूसरी जगह कैसे जाते हैं, और यहां तक कि हम अपने साथीयों के साथ कैसे मिलते हैं, संवाद करते हैं, काम करते हैं और खेलते हैं, सब कुछ परिवर्तन के अचंभित कर देने वाले दौर से गुजर रहा है. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि बदलाव की गति दिनों दिन बढ़ती जा रही है. हम वर्तमान में परिवर्तन के एक त्वरित दौर के बीच में हैं जिसे चौथी औद्योगिक क्रांति कहा जाता है. पिछली तीन औद्योगिक क्रांतियों के कारक थे मशीनीकरण, विद्युतीकरण और कम्प्यूटरीकरण और अब यह चौथी औद्योगिक क्रांति स्वचालन और स्मार्ट सोच वाली मशीनों यानि एआई के नाम है.
एआई या मशीन लर्निंग, अपनी कार्य क्षमता बढ़ाने के लिए डेटा या जानकारी पर निर्भर होता है क्योंकि एआई इस जानकारी का उपयोग निर्णय लेने के तरीके को “सीखने” के लिए करता है. प्रशिक्षण के दौरान और उसके बाद एआई मॉडल को जितनी अधिक जानकारी मिलती है उसका प्रदर्शन वास्तविक दुनिया के वातावरण में उतना ही बेहतर होता जाता है. अपने एआई मॉडल को सबसे बेहतरीन बनाने के बढ़ते दबाव ने एआई अग्रणी प्रतिस्पर्धी कम्पनीयों के बीच अपने अपने मॉडल को अधिकतम संभव डाटा सेट्स पर प्रशिक्षित करने का जूनून पैदा कर दिया है. जिसके चलते अब दुनिया सॉफ्टवेयर से डेटा की ओर स्थानांतरित हो रही है क्योंकि डाटा ही वो नया तत्व है जो एआई प्रशिक्षण की जीवनरेखा है.
एआई को अगली औद्योगिक क्रांति 4.0 का जनक माना जा रहा है, लेकिन वो एक अलग कहानी है. इधर बड़ी तकनीकी कम्पनीयों, वित्तीय क्षेत्र के अग्रणी खिलाड़ियों और सरकारों के गठजोड़ ने एक नई डेटा संस्कृति आधारित अर्थव्यवस्था का रास्ता खोला है. जिसमें डेटा परिपक्वता का अपेक्षित स्तर विकसित करना प्रमुखता से शामिल है. इसका अर्थ यह समझना है कि किसी संगठन के लिए कौन सा डेटा उपलब्ध है, उसके साथ क्या किया जा सकता है, और उस डेटा का सार्थक उपयोग करने के लिए किन उपकरणों और प्रौद्योगिकियों की आवश्यकता है. इन सब में सबसे महत्वपूर्ण बात है पूरे संगठन में डेटा साक्षरता की संस्कृति का निर्माण करना. बोर्डरूम से लेकर फैक्ट्री तक, उत्पाद के परिवहन से लेकर रिटेल काउंटर तक, हर व्यक्ति और परिचालन क्षेत्र को डेटा का मूल्य, नवाचार और दक्षता को बढ़ावा देने की उसकी शक्ति और उसे संग्रहीत करने, भंडारण करने और उपयोग करने की सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में पता होना चाहिए.
आज की दुनिया में, कोई भी संगठन जो अधिक कुशल तरीके से काम करने में सक्षम होना चाहता है, उन्हें इस बारे में सोचने की जरूरत है कि वो डेटा का उपयोग कैसे कर सकते हैं. चाहे उनके पास ऑन-प्रिमाइसेस, निजी क्लाउड या सार्वजनिक क्लाउड ऐप्स हों, फिर भी एक कनेक्टेड एंटरप्राइज़ के रूप मे काम करने के लिए उनके पास इन विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त डेटा को एक साथ लाने की क्षमता होना आवश्यक है. आज की दुनिया मे सफल उद्यम वही होंगे जिन्होंने डेटा द्वारा संचालित व्यवसाय के नए मॉडल को अपनाने के लिए डिजिटल रूपांतरण की चुनौतियों का सामना करने के लिए आवश्यक संसाधनों में निवेश किया है.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के संसार में, डेटा की बादशाहत से इनकार नहीं किया जा सकता है. यह एआई की जीवन-ऊर्जा है, जो किसी भी एआई आधारित उद्यम के कार्यशील रहने और निरंतर विकास के लिए आवश्यक है. यदि एआई दिमाग है तो डाटा उसका दिल और आत्मा है, जिसकी गुणवत्ता उसकी सफलता और विफलता का निर्धारण करती है. हम एक ऐसे युग में आगे बढ़ रहे हैं, जहां एआई उद्योगों, अर्थव्यवस्थाओं और समाज को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, ऐसे में त्रुटिरहित, वैध और उच्च-गुणवत्ता वाले स्वीकार्य डेटा की आवश्यकता अनिवार्य रूप से तेजी से बढ़ रही है.
यूं तो एआई के विकास और विस्तार की सफलता को विफल या बाधित करने वाले कई कारक हैं जैसे नीतिगत कार्यकारी समर्थन और धन की कमी, खराब परियोजनाएं, सुरक्षा और नियामक जोखिम आदि. फिर भी, डेटा से संबंधित मुद्दे सभी उद्योगों और भौगोलिक क्षेत्रों में आ रही एआई चुनौतियों के शिखर पर बने हुए हैं. एआई को सफल और मूल्यवान साबित होने के लिए एक भरोसेमंद और उच्च गुणवत्ता वाले डेटा स्रोत की आवश्यकता होती है. अपनी इसी अनूठी ताकत के चलते डाटा आज वो ईंधन बन चुका है जो एआई को परिकल्पना से वास्तविकता में ढालता है. यह एक बेजान एआई सिस्टम में जान फूंक देता है, जिससे उन्हें सीखने, अनुकूलन करने और विकसित होने में मदद मिलती है. डेटा की गुणवत्ता और उपलब्धता एक उत्कृष्ट एआई सिस्टम को बना या बिगाड़ सकती है. किसी बेआवाज फिल्म की तरह डाटा के बगैर दुनिया का सर्वश्रेष्ठ एआई सिस्टम भी प्रोद्योगिकी की एक मनभावन लेकिन भावहीन और बेजान मूरत मात्र रह जाती है.
-भारत एक्सप्रेस
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