तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी द्वारा INDIA गठबंधन का नेतृत्व करने की इच्छा जाहिर करने के बाद सियासी घमासान मच गया है. गठबंधन में शामिल तमाम दलों नेताओं के बयान आने लगे हैं. राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव जैसे कुछ नेताओं ने उनका खुलेमाल समर्थन किया है, वहीं कुछ नेताओं ने इस इच्छा पर विचार करने की बात कही है.
इस साल हुए लोकसभा चुनावों में ममता बनर्जी इंडिया गठबंधन में शामिल थीं, लेकिन पश्चिम बंगाल में उन्होंने बिना गठबंधन के अकेले ही चुनाव लड़ा था. ममता मानती हैं कि इंडिया गठबंधन की कमान मिलते ही संदेश जाएगा कि वो बंगाल तक सीमित नहीं हैं. बनर्जी इंडिया गठबंधन की कमान संभालकर अपनी पार्टी का विस्तार देना चाहती हैं. अगर ममता इंडिया गठबंधन की कैप्टन बनीं तो 2026 विधानसभा चुनाव जीतना आसान होगा. इतना ही नहीं 2029 के लोकसभा चुनाव में वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चेहरा भी बन सकती हैं.
विपक्ष के 26 दलों ने मिलकर पीएम मोदी को हराने के लिए INDIA गठबंधन बनाया था. जब बीजेपी लोकसभा में पूर्ण बहुमत के आंकड़े से 32 सीट दूर रह गई, तब INDIA गठबंधन को लगा कि फॉर्मूला काम कर गया, लेकिन विधानसभा चुनावों के बाद अब ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस INDIA गठबंधन में विलेन बन गई है.
ऐसा लग रहा है कि जैसे हर कोई कांग्रेस से किनारा करना चाहता है. जून 2023 में INDIA गठबंधन के 16 दलों की बैठक पटना में हुई थी. तब ऐसा लगा कि अबकी बार लोकसभा में पीएम मोदी को ये गठबंधन हराकर ही दम लेगा. INDIA गठबंधन में एकता, एकजुटता और मोदी के खिलाफ एकरूपता रैलियों में दिखी, लेकिन पीएम मोदी से लेकर पूरी बीजेपी और NDA वाले यही कहते रहे, INDIA गठबंधन बहुत दिन चलने वाला नहीं है.
INDIA गठबंधन की बैठक में लालू यादव ने राहुल गांधी को दूल्हा और बाकी दलों को बाराती बता दिया. इस तरह से INDIA गठबंधन की कमान कांग्रेस के पास आ गई. नीतीश कुमार जिनकी अगुवाई में INDIA गठबंधन बना, वही बीच में पाला बदलकर पराए हो गए. लोकसभा चुनाव के दौरान जब पश्चिम बंगाल में सीट शेयरिंग की बात आई तो ममता बनर्जी ने अकेले ही चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. राहुल गांधी भले ये कहते रहे कि ममता बनर्जी INDIA गठबंधन के साथ हैं, लेकिन बीजेपी कहती रही कि ये INDIA गठबंधन चलने वाला नहीं है.
टीएमसी क्या दावा कर रही है
♦ पहला दावा: कांग्रेस सभी दलों को साथ लेकर चलने में सक्षम नहीं.
♦ दूसरा दावा: राज्यों में मिली हार के बाद भी कांग्रेस का अहंकार नहीं टूटा.
♦ तीसरा दावा: ममता बनर्जी इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करने में सक्षम हैं.
♦ चौथा दावा: BJP के खिलाफ ममता का स्ट्राइक रेट 70 प्रतिशत और राहुल का 10 प्रतिशत.
♦ पांचवां दावा: इंडिया गठबंधन नाम ममता बनर्जी ने ही दिया था.
राहुल गांधी पर क्यों उठ रहे सवाल
♦ जम्मू-कश्मीर: इंडिया गठबंधन जीता, लेकिन कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा.
♦ हरियाणा: वन टू वन फाइट हुई और कांग्रेस हार गई.
♦ झारखंड: इंडिया गठबंधन जीता, लेकिन जीत के नायक हेमत सोरेन रहे.
♦ महाराष्ट्र: कांग्रेस सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ी और बुरी तरह हार गई.
हरियाणा विधानसभा चुनावों में AAP को अकेला छोड़ दिया था. नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस अतिआत्मविश्वास में हरियाणा हार गई और उसके बाद महाराष्ट्र में भी. INDIA गठबंधन को बीजेपी ने चारों खाने चित कर दिया. अब INDIA गठबंधन में कांग्रेस विलेन की तरह नजर आ रही है. राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवालों का पुलिंदा सा बंधने लगा है.
जिन जिन राज्यों के राजनीतिक दलों ने मिलकर INDIA गठबंधन बनाया, अब सभी कांग्रेस से किनारा कर रहे हैं. हरियाणा में AAP ने गठबंधन की बात कही, तो कांग्रेस ने किनारा कर लिया. उसके बाद कांग्रेस को INDIA गठबंधन के साथियों ने नसीहत देनी शुरू कर दी.
इस बीच अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली विधानसभा का चुनाव आम आदमी पार्टी अकेले दम पर लड़ेगी. केजरीवाल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के साथ कोई गठबंधन नहीं होगा. मालूम हो कि दिल्ली में विधानसभा का कार्यकाल फरवरी 2025 में खत्म हो रहा है. दिल्ली में लोकसभा चुनाव में 3 पर कांग्रेस और 4 सीटों पर AAP लड़ी थी, लेकिन सभी सीटों पर INDIA गठबंधन हार गया.
साथी दलों का कांग्रेस से किनारा
कांग्रेस का ग्राफ विधानसभा चुनावों में राज्य दर राज्य गिर रहा है. INDIA गठबंधन के अंदर बिहार में दरार दिख रही है. पिछले 25 सालों से कांग्रेस और आरजेडी साथ चल रहे हैं, लेकिन अब सवाल ये है कि क्या 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों में दोनों साथ आएंगे? ऐसा इसलिए क्योंकि तेजस्वी यादव ने कहा है कि अगर INDIA गठबंधन का नेतृत्व ममता बनर्जी करती हैं तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी.
लोकसभा चुनावों में INDIA गठबंधन के तहत बिहार की 40 सीटों में से आरजेडी 23 कांग्रेस 9, वीआईपी 3, लेफ्ट 5 सीटों पर लड़ी, जिसमें कांग्रेस 3, लेफ्ट 2, आरजेडी 4 सीटों पर जीती. जिस तरह से लोकसभा चुनावों के बाद हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस का बुरा हाल हुआ, उसके बाद तेजस्वी भी INDIA गठबंधन में राहुल गांधी का विकल्प बताए जा रहे हैं.
समाजवादी पार्टी (सपा) की महाराष्ट्र यूनिट के प्रमुख अबू आजमी ने कहा है कि विधानसभा चुनाव हारने के बाद उद्धव ठाकरे ने हिंदुत्व की ओर लौटने के संकेत दिए हैं, इसलिए दोनों को साथ में रहना मुश्किल है. आजमी के इस बयान पर उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने भी सपा को महाराष्ट्र में बीजेपी का एजेंट बता दिया. INDIA गठबंधन में सपा की नाराजगी नई नहीं है. महाराष्ट्र चुनाव में अखिलेश की पार्टी ने महाविकास अघाड़ी से 12 सीटों की मांग की थी. बाद में उसकी मांग पांच सीटों तक आ गई.
यूपी में भी इंडिया गठबंधन में रार खुलकर आ रही है. यूपी उपचुनावों में भी अकेले सपा पार्टी ही लड़ी और कांग्रेस ने कहा कि वो बाहर से समर्थन करेगी. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि महाराष्ट्र की तरह यूपी में भी सपा अलग राह पकड़ सकती है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं हो रहे हैं. संसद में तो उन्होंने कांग्रेस से किनारा भी कर लिया है. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की परफॉर्मेंस पर सवाल खड़े किए हैं.
राहुल के नेतृत्व में 89 चुनाव हारी कांग्रेस
राहुल गांधी पहली बार 2004 में अमेठी से सांसद बने. 2013 में उन्हें कांग्रेस का वाइस प्रेसिडेंट बनाया गया था. दिसंबर 2017 से जुलाई 2019 तक वह कांग्रेस के चीफ भी रहे हैं. हालांकि, राहुल 2012 में हुए यूपी चुनाव के समय से ही एक्टिव हो गए थे. तब से लेकर अब तक कांग्रेस 89 चुनाव हार चुकी है. इसमें लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव शामिल हैं. 2014 से 2024 के बीच 62 विधानसभा चुनावों में 47 चुनाव कांग्रेस हार चुकी है. इसमें 2014, 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव भी शामिल हैं. 2011 के बाद यानी पिछले 13 साल में कांग्रेस किसी राज्य में सत्ता रहते प्रो-इन्कम्बेसी के साथ दोबारा नहीं लौटी है.
मोदी लहर में कांग्रेस 2014 का लोकसभा चुनाव हारी. मोदी सरकार बनने के बाद से कांग्रेस की हार का सिलसिला चलता गया. केंद्र के साथ राज्यों में भी पार्टी सिमटती गई. अभी कांग्रेस सिर्फ 3 राज्यों हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में सत्ता में है. 2014 से 2024 के बीच कांग्रेस किसी राज्य में दूसरे दल के शासन के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर बनी. ऐसे में विकल्प के तौर पर कांग्रेस को जीत का मौका मिला, लेकिन वह अपने दम पर जीत हासिल नहीं कर पाई. 2024 का लोकसभा चुनाव, अक्टूबर में हुआ जम्मू-कश्मीर और हरियाणा चुनाव इसका उदाहरण है.
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खुद सत्ता में रहते हुए कांग्रेस ने इस दौरान 40 विधानसभा चुनावों का सामना किया. इनमें सिर्फ 7 पर जीत हासिल कर पाई, जबकि BJP 40 में से 22 चुनाव जीती है. चुनाव में कांग्रेस का सक्सेस रेट 18% है. जबकि BJP का सक्सेस रेट 55% है. कांग्रेस 2019 का लोकसभा चुनाव राहुल गांधी की लीडरशिप में लड़ा था. चुनाव में कांग्रेस महज 52 सीटें जीत पाई थी. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की दावेदारी के लिए पार्टी 10% सीटों का आंकड़ा भी हासिल नहीं कर पाई थी.
वहीं, राहुल गांधी ने 2019 में केरल की वायनाड और उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट से चुनाव लड़ा. लेकिन, BJP की स्मृति ईरानी ने उन्हें अमेठी से हरा दिया. फिर राहुल वायनाड से संसद पहुंचे थे. राहुल गांधी ने 2019 के चुनाव में करारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद से वह फिर कभी कांग्रेस अध्यक्ष बनने के लिए राजी नहीं हुए. कांग्रेस को इस साल के लोकसभा चुनावों में 99 सीटों पर जीत मिली तो कई विश्लेषकों ने इसे कांग्रेस की वापसी माना. हालांकि वर्तमान INDIA गठबंधन में मची घमासान कुछ और ही इशारा कर रही है.
-भारत एक्सप्रेस
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