Delhi Gymkhana Club: दिल्ली जिमखाना क्लब में भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं की जांच के नाम पर नियुक्त सरकारी निदेशकों को एक बार फिर क्लब सदस्यों ने सिरे से नकार दिया है. बीते तीन साल से क्लब के वार्षिक खातों को स्वीकृत कराने की कवायद एक बार फिर नाकाम हो गई. हैरानी की बात तो यह है कि सदस्य क्लब के सरकारी निदेशकों पर ही गंभीर आरोप लगा रहे हैं. मगर न तो मंत्रालय नींद से जाग रहा है और ना ही कारपोरेट कार्य मंत्रालय के अधिकारी. लिहाजा सदस्यों का बड़ा ग्रुप एनसीएलटी पर भरोसा नहीं कर रहा है. यह लोग अब सरकारी निदेशकों के खिलाफ उच्च न्यायालय में रिट लगाने की तैयारी कर रहे हैं.
दिल्ली जिमखाना क्लब में सुशासन के दावों के साथ अपने चहेतों को सरकारी निदेशक बनाने वाला कारपोरेट कार्य मंत्रालय बीते दो साल में एक भी ऐसा कदम नहीं उठा पाया है जिससे पारदर्शिता या भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच होती नजर आए. हालात ऐसे बन गए हैं कि क्लब में नियुक्त निदेशक खुद भ्रष्टाचार के आरोप में फंसते नजर आ रहे हैं. यही वजह है कि क्लब सदस्यों ने लगातार तीसरे साल क्लब के वार्षिक खातों को रद्द कर दिया है. सरकारी निदेशक तमाम हथकंडे अपनाने के बावजूद 358 में से महज 30 हो सदस्यों का समर्थन जुटा पाए.
सूत्रों के अनुसार साल 2022 में खुद वित्त मंत्री निर्मला सीथारमन को क्लब में हुई 50 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय धोखाधड़ी के बारे में जानकारी दी गई थी. कारपोरेट कार्य मंत्रालय के अफसरों ने उन्हें पीएम आवास के साथ अवैध तरीके से ड्रोन उड़ाने की जानकारी भी दी थी, लेकिन खुद मंत्रालय द्वारा नियुक्त क्लब के अध्यक्ष ने इस जानकारी को लगातार छिपा कर रखा. आरोप यह भी है कि वर्तमान अध्यक्ष धोखाधड़ी के उन आरोपियों के खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, जिनके आधार पर सरकार ने 2020 में जिमखाना के खिलाफ एनसीएलटी में मामला दायर किया था.
गौरतलब है कि जिमखाना लब में डेविस कप आयोजन के दौरान स्पॉन्सरशिप के नाम पर तत्कालीन प्रशासक ओम पाठक और सचिव जेपी सिंह पर करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने का आरोप लगा था. पाठक चूंकि भाजपा की अनुशासन समिति के सचिव है तो सरकारी निदेशक उनके खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए मामले की लीपा पोती में ही जुटा रहा. क्लब की एजीएम में करीब 28 करोड़ के घाटे को मंजूरी दिलाने का भरसक प्रयास हुआ. इस दौरान क्लब अध्यक्ष मलय सिन्हा ने लिखित दावा किया कि डेविस कप को लेकर कोई विवाद ही नहीं है. यही वजह रही कि ज्यादातर सदस्यों ने एजीएम को खारिज कर दिया और सीबीआई में एफआईआर दर्ज कराने की मांग भी की.
मई 2023 में क्लब के 570 वरिष्ठ सदस्यों ने भ्रष्टाचार को छिपाने के आरोप के खिलाफ आपात कालीन आम बैठक बुलाने की मांग की. 15 मई को ईजीएम पर सहमति बनी और घोषणा भी कर दी गई. लेकिन अध्यक्ष मलय सिन्हा और एक निदेशक ने भ्रष्टाचार के मामलों में दर्ज एफआईआर के आरोपी मंदीप कपूर, बीएस रंधावा और जी लिब्रहान के साथ मिलकर 570 सदस्यों के खिलाफ ईमेल का उपयोग कर गुपचुप तरीके से 01 जून 2023 को एनसीएलटी के माध्यम से ईजीएम रद्द करा दी.
एनसीएलटी से ईजीएम रद्द करने का मुख्य बहाना था कि घोटालों और सदस्यता को सत्यापित करने के लिए डेलॉइट और मजार फोरेंसिक ऑडिट कराए जा रहे हैं. लेकिन 30.12.2023 को मलय सिन्हा ने फिर से 2020-21, 2021-22 और 2022-23 के लिए केवल ई-वोटिंग के माध्यम से एजीएम आयोजित की। ऐसे में सदस्यों ने सवाल किया कि जब सिन्हा ने ऑडिटर्स, एनसीएलटी या एनसीएलएटी में अंतिम डेलॉइट या मजार फोरेंसिक ऑडिट जमा नहीं की है तो एजीएम कैसे बुलाई जा रही है? एजीएम रिपोर्ट में,वैधानिक लेखा परीक्षक बीजे सिंह ने मजार फोरेंसिक ऑडिट पर 25 लाख खर्च करने पर आपत्ति जताई. इतना ही नहीं उन्हें वह रिपोर्ट भी उपलब्ध नहीं कराई जा रही थी. ऑडिटर ने सभी सदस्यों को यह भी सूचित किया कि जीसी ने एजीएम रिपोर्ट और बैलेंसशीट दाखिल करने के लिए कंपनी कानून का उल्लंघन किया है.
ऑडिटर द्वारा उठाई गई 26 अन्य आपत्तियों में से मुख्य मामला करोड़ों रुपए की डेविस कप धोखाधड़ी और मंत्रालय द्वारा नियुक्त जीसी द्वारा 2 वर्षों में कानूनी मामलों पर लगभग 4 करोड़ रुपए का खर्च था. कई मामलों में ऑडिटर ने लिखा कि उन्हें जानकारी या सत्यापित बिल नहीं दिए गए. ऑडिटर ने यह भी आरोप लगाया कि समिति सदस्यों ने महिला कर्मचारियों के साथ टैक्सी बिल में 7 लाख से अधिक की चपत लगाई है. दिल्ली क्षेत्रीय पीएफ आयुक्त उत्कर्ष जीत सिंह द्वारा 12 नवंबर 2023 को आपराधिक इरादे के लिए लगाए गए 1.5 करोड़ रुपये के जुर्माने के बाद भी भविष्य निधि में बड़े घोटाले को एजीएम से छिपाया गया. चौंकाने वाली बात यह है कि 15.12.2023 की एजीएम बैलेंसशीट में इस जुर्माने की जानकारी नहीं दी गई. एजीएम नोटिस में यह घोषित किया गया था कि ऑडिटर ने कार्य जारी रखने से इनकार कर दिया है. लेकिन नया ऑडिटर नियुक्त करने का कोई प्रस्ताव घोषित नहीं किया गया.
सदस्य एनसीएलटी में सरकार द्वारा आरोपित व्यक्तियों द्वारा घोटालों और मलय सिन्हा द्वारा डेविस कप, एजीएम धोखाधड़ी को कवर करने की सीबीआई जांच के लिए व्हाट्सएप फोरम ग्रुप में खुले आम लिख रहे हैं. भारत एक्सप्रेस ने अक्तूबर में फोरेंसिक द्वारा क्लब के शराब लाइसेंस में छेड़छाड़ और जालसाजी के संदर्भ में ईओडब्ल्यू एफआईआर में आरोपियों को नामित करने की खबर भी लिखी थी. सदस्यों का कहना है कि चूंकि एनसीएलटी को पहले से ही 2021 और 2022 एजीएम अस्वीकृति के बारे में पता था लेकिन उसने कुछ नहीं किया. इसलिए सदस्य अब दिल्ली उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर करने की तैयारी कर रहे हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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