विश्लेषण

सोनिया गांधी ने घनघनाए MP के नेताओं को फोन, बड़े नेताओं की रस्साकशी में चुनाव अभियान पर भी असर

मध्यप्रदेश के बड़े नेताओं के बीच चल रहे शीतयुद्ध को समाप्त करवाने के लिए कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को हस्तक्षेप करना पड़ा। चुनावी समर में गुटबाजी से जूझ रही कांग्रेस का प्रचार अभियान भी बड़े नेताओं की नाराजगी की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है।

कुछ विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी चयन के मामले में मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बीच शीतयुद्ध चल रहा है। सिंह प्रदेशव्यापी दौरे छोडकर राजधानी में डेरा डाले हुए थे। कमलनाथ अपने विश्वस्त सहयोगी सिंह के व्यवहार से सन्न बताए जा रहे हैं। प्रभारी महासचिव रणदीपसिंह सूरजेवाला ‘दो पाट’ के बीच पीसने से बचते नजर आ रहे हैं। कांग्रेसी हल्कों में माना जाता है कि कमलनाथ के ऊपर किसी भी नेता का बस नहीं चलता। मध्यप्रदेश की राजनीति में उन्होंने कभी भी किसी नेता के हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं किया है।

कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि जब पूर्व मुख्यमंत्री सिंह की नाराजगी की खबरें आलाकमान तक पहुंची तो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े, संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने इस मामले में सोनिया गांधी से हस्तक्षेप का आग्रह किया। श्रीमती गांधी ने शनिवार रात को पूर्व मुख्यमंत्री सिंह से फोन पर लंबी बातचीत की। उन्होंने अध्यक्ष कमलनाथ और प्रभारी महासचिव रणदीपसिंह सूरजेवाला से भी बातचीत कर समन्वय बनाए रखने को कहा। यहां यह उल्लेखनीय है कि टिकट वितरण की प्रक्रिया में सोनिया गांधी ने कभी मध्यप्रदेश में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं किया।

सोनिया के हस्तक्षेप के बाद बीती रात कमलनाथ-दिग्विजय सिंह के बीच लम्बी चर्चा हुई।इस बातचीत में विवादास्पद मुद्दों का क्या हल निकला यह तो सामने नहीं आया अलबत्ता रविवार को एक वीडियो मैसेज जारी कर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह ने साफ किया कि उनके और कमलनाथ के बीच कोई मतभेद नहीं है। यह सब भाजपा द्वारा फैलाई गई भ्रामक खबरें हैं।

रविवार को सिंह ने अपने दो समर्थक कांग्रेस प्रत्याशियों के चुनाव कार्यालय का शुभारंभ किया। सोमवार दतिया इलाके में रहने के बाद वे नई दिल्ली पहुंच रहे हैं। मंगलवार को कांग्रेस के बड़े नेताओं से उनकी मुलाकात संभव है। खबर तो यह भी है कमलनाथ को भी नई दिल्ली बुलाया जा सकता है।

सूत्रों के मुताबिक अभी तक यह साफ नहीं हुआ है कि सिंह और नाथ की जोड़ी पूर्व की तरह कब से मैदान में नजर आएगी। नाम वापसी में मात्र दो दिन बचे हैं ऐसे में नाराज और बागी प्रत्याशियों को मनाना सबसे बड़ी चुनौती है। खबर है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी कुछ नेताओं को जिलों में तैनात कर नाराज नेताओं से बैठकें करने को कहा है। नाथ खेमे का मानना है कि सिंह के नाराज रहने तक महत्वपूर्ण कामों को रोका नहीं जा सकता।

उधर, पिछले तीन दिनों से प्रदेश कांग्रेस कमेटी में सन्नाटा पसरा हुआ है। अध्यक्ष सहित खास पदाधिकारी भोपाल से बाहर हैं। प्रभारी महासचिव सूरजेवाला सांसद निवास में चल रहे वार रूम में अधिक समय बीता रहे हैं। मीडिया विभाग के अध्यक्ष के.के. मिश्रा और कमलनाथ के मीडिया सलाहकार पीयूष बबेले जरूर मीडिया टीम के साथ सक्रिय नजर आते हैं।
इस बीच यह खबर सामने आई है कि भाजपा की तुलना में प्रदेश कांग्रेस की जमीनी तैयारियां बेहद कम है। प्रियंका गांधी को छोडक़र बड़े नेताओं की सभाएं अभी तक निर्धारित नहीं हुई है। होर्डिंग्स और मीडिया कैम्पेन भी अभी तक फाइनल नहीं हुआ है। अधिकृत प्रत्याशियों को चुनावी फंड भी नहीं पहुंचा है। कुछ नेता दबे स्वरों में बजट की कमी की बात भी कर रहे हैं।

जगजाहिर है कांग्रेस के झगड़े

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता नरेन्द्र सलूजा ने कहा कि कांग्रेस के बड़े नेताओं के बीच टिकट को लेकर झगड़े जगजाहिर हो चुके हैं। एक-दूसरे के कपड़े फाडऩे और प्रचार छोडक़र घर बैठने की घटनाएं भाजपा ने स्थापित नहीं की है। चुनावी समर में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में सन्नाटा छाया हुआ है। सलूजा ने कहा कि भाजपा टिकट वितरण, बड़े नेताओं की सभा, प्रचार अभियान आदि को लेकर इत्मिनान से काम कर रही है। हमें प्रत्याशी बदलने की भी जरूरत नहीं पड़ी। हम कांग्रेस से कई गुना आगे हैं।

-भारत एक्सप्रेस

प्रवीण कुमार खारीवाल, अध्यक्ष, स्टेट प्रेस क्लब, एमपी

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