विश्लेषण

वायरल वीडियो: केवल एक पक्ष न देखें

Viral Video Analysis: जब-जब सोशल मीडिया में किसी मुद्दे पर कोई वीडियो वायरल हो जाता है तो ज़्यादातर लोग उसके एक ही पहलू पर ध्यान देते हैं। जबकि समझदारी इसी में है कि तस्वीर का दूसरा पहलू भी देखा जाए। आजकल के ‘फेक मीडिया’ वाले माहौल में हमें अपना निर्णय लेने से पहले उस वीडियो को गहराई से समझने की आवश्यकता है। हाल ही में दिल्ली व देश के अन्य भागों में कुछ ऐसे वीडियो वायरल हुए जिन्हें देख कर लोगों ने काफ़ी सहानुभूति जताई और कुछ समय बाद जब उसी वीडियो का दूसरा पक्ष सामने आया तो वीडियो को वायरल करने वालों की असलियत पता चली। परंतु हर व्लॉगर (सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट करने वाले प्रोफेशनल) एक जैसे नहीं होते। इनमें कुछ अपवाद भी होते हैं जो मुद्दे की तह तक जाते हैं।

तिलक नगर का वायरल वीडियो

पिछले दिनों दिल्ली के तिलक नगर में एक दस साल के बच्चे का वीडियो इतना वायरल हुआ कि उसके समर्थन में कई जाने-माने लोगों ने सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफ़ार्मों पर उसे खुले आम सहयोग देने की बात कर डाली। इनमें सबसे पहले व्यक्ति थे देश के प्रसिद्ध उद्योगपति आनंद महिंद्रा। इसके बाद फ़िल्म अभिनेता सोनू सूद भी इस बच्चे के समर्थन में उतरे।

कहानी दिल्ली में रहने वाले जसप्रीत सिंह की है। इस दस वर्षीय बालक को वीडियो में दिल्ली के तिलक नगर में एक रेढ़ी पर ‘एग रोल’ बनाते हुए दिखाया गया है। वीडियो बनाने वाले ने जब उस मासूम बालक से पूछा कि वो ये काम क्यों कर रहा है तो उसका जवाब था कि “मुझ पर अपनी बहन की ज़िम्मेदारी है।”जब उससे यह पूछा गया कि उसके माता-पिता कहाँ है तो वो बोला कि, “पिता की मृत्यु हो गई और माँ छोड़ कर चली गई।”बस फिर क्या था वीडियो बनाने वाले ने जो शुरुआत की उसे कई अन्य व्लॉगर्स ने भी खूब वायरल कर डाला।

जसप्रीत पर बने लगभग हर वीडियो ने यही दर्शाया कि ‘दस वर्ष की उम्र में घर चलाने को मजबूर’, ‘पिता की मृत्यु हो गई और माँ छोड़ कर चली गई।’ ऐसे प्रचार होने लगे कि जो भी इस वीडियो को देखे उसका दिल भर आए। जसप्रीत की ख़ुद्दारी ऐसी है कि उसे किसी से भी वित्तीय सहायता नहीं चाहिए। ऐसा सुनकर कुछ लोगों ने उसके स्टाल से सैंकड़ों रोल बनवा कर लंगर में बँटवाए जिससे कि जसप्रीत के स्वाभिमान को ठेस न पहुँचे।

ठेले पर एगरोल बेचने को मजबूर

यदि देश के जाने-माने लोगों ने ऐसे वीडियो को देख कर उस बालक का समर्थन किया है तो इसे ग़लत नहीं माना जा सकता। ये बात सत्य है कि जसप्रीत के पिता की बीमारी के कारण मृत्यु हुई। यह भी सत्य है कि जसप्रीत स्कूल जाने के साथ-साथ एक ठेले पर एग रोल बेचने को मजबूर है। यह भी सत्य है कि उसकी माँ उसके साथ नहीं रहती। परंतु क्या किसी भी व्लॉगर ने इस बात को जानने का प्रयास किया कि ऐसी कौन माँ होगी जो अपने पति की मृत्यु के चार दिन ही बाद अपने छोटे बच्चों को छोड़ कर अपने मायके चली जाएगी? पर क्या किसी ने उस माँ का पक्ष जानने की कोशिश की? दिल्ली में सामाजिक कार्य करने वाले एक शख़्स सरदार हरमीत सिंह पिंका ने इस दिशा में पहल की।

वे जसप्रीत के स्टाल पर गये और उससे बातचीत के दौरान उसकी माँ का पता लिया। इस बीच उन्होंने कुछ स्थानीय लोगों की मदद से जसप्रीत के लिये एक चमचमाता हुआ आधुनिक स्टाल भी बनवाया। सच की खोज में वे पंजाब के राजपुरा पहुँचे। जहां जसप्रीत की माँ सिमरन कौर का मायका था। हरमीत सिंह ने सिमरन कौर के साथ बातचीत का वीडियो भी यूट्यूब पर डाला। इतना ही नहीं उन्होंने इस बिखरे हुए परिवार को जोड़ने का भी प्रयास किया। क्योंकि जसप्रीत की माँ किसी मजबूरी में ही घर छोड़ कर गयी थी।

‘बाबा का ढाबा’

आज हर व्लॉगर को सरदार हरमीत सिंह पिंका से सबक़ लेना चाहिए। आपको याद होगा कि किस तरह दक्षिण दिल्ली के एक ढाबा चलाने वाले ‘बाबा’ का वीडियो वायरल कर कुछ व्लॉगर्स ने पैसे इकट्ठा करने शुरू कर दिये थे। ‘बाबा का ढाबा’ के नाम से वायरल हुए वीडियो और उससे जुड़े एक व्लॉगर के गोरख धंधे की पोल भी बहुत जल्द खुल गई और उस व्लॉगर को सरेआम सभी से माफ़ी भी माँगनी पड़ी। उस व्लॉगर द्वारा ‘बाबा के ढाबा’ के नाम पर इकट्ठा किए पैसे भी लौटाने पड़े। दरअसल बहुत जल्दी और बहुत ज़्यादा प्रसिद्धि पाने की नीयत से कुछ लोग जनता को गुमराह कर देते हैं। बिना इस बात को सोचे कि ऐसा करने से जो सच्चे और सुपात्र लोग होते हैं उन्हें भी शक की नज़र से देखा जाता है।

इसी श्रृंखला में दिल्ली में ‘वायरल वड़ा-पाव’ के नाम से जाने जाने वाली चंद्रिका दीक्षित हैं। ये भी बहुत जल्द प्रसिद्ध होने वाली एक और सोशल मीडिया की शख़्सियत हैं। ये जितनी जल्दी प्रसिद्ध हुईं उतनी ही जल्दी विवाद में भी आईं। इनके दोनों तरह के वीडियो आज सोशल मीडिया पर वायरल हैं। परंतु सोचने वाली बात यह है कि पहले प्रसिद्ध होने पर और फिर दूसरा पहलू सामने आने पर आम जनता को ठगने वाले व्लॉगर्स पर लगाम कैसे लगाई जाए? इसलिए जब भी कभी आपके पास कोई वायरल वीडियो पहुँचता है तो आप इसके दूसरे पहलू की जाँच की माँग अवश्य करें। आज के दौर में वायरल वीडियो का दूसरा पहलू उजागर करने वाले व फैक्ट चेक करने वाले व्लॉगर की संख्या गिनी-चुनी अवश्य है परंतु जब तक ऐसे व्लॉगर हमारे समाज में सक्रिय रहेंगे तब तक मासूम जनता की भावनाओं से खिलवाड़ करना आसान नहीं होगा।

*लेखक दिल्ली स्थित कालचक्र समाचार ब्यूरो के प्रबंध संपादक हैं।

रजनीश कपूर, वरिष्ठ पत्रकार

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