रोज़गारपरक शिक्षा कैसे हो?
Employment Oriented Education: आय दिन अख़बारों में पढ़ने में आता है जिसमें देश में चपरासी की नौकरी के लिए लाखों ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट, बी.टेक व एमबीए जैसी डिग्री धारकों की दुर्दशा का वर्णन किया जाता है.
वायु प्रदूषण: सही कारण का हल ही करेगा नियंत्रण
Air Pollution: हर वर्ष नवम्बर के महीने में दिल्ली सरकार अपने आदेश के तहत बिना वैध प्रदूषण प्रमाण पत्र के चलने वाले वाहनों पर 10,000 का मोटा जुर्माना लगाने के आदेश जारी कर देती है.
कैसे बने देश अपराध मुक्त ?
How Country Become Crime Free: सच्चाई तो ये है कि जितने अपराध होते हैं, उसके नगण्य मामले पुलिस के रजिस्टरों में दर्ज होते हैं। ज्यादातर अपराध प्रकाश में ही नहीं आने दिये जाते. फिर गुड गवर्नेंस कैसे सुनिश्चित होगी?
चुनाव आयोग के फ़ैसले निष्पक्ष दिखाई दें!
2024 के लोकसभा चुनावों के बाद होने वाले कई विधान सभा के चुनावों में केंद्रीय चुनाव आयोग की भूमिका पर कई सवाल उठे हैं. परंतु चुनाव आयोग अपने फ़ैसलों को बदलना तो दूर, अपनी प्रतिक्रिया भी नहीं दी.
त्योहारों की तिथियों में विवाद क्यों?
Festivals Controversy: बीते कुछ वर्षों में यह देखा गया है कि जब भी कोई त्योहार आता है तो उसकी स्थिति को लेकर काफ़ी विवाद पैदा हो जाते हैं। इन विवादों को बढ़ावा देने में सोशल मीडिया की भूमिका को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता
ऐसा देश है मेरा
Aisa Desh Hai Mera: आज हम जिस विषय को इस कॉलम में उठाएँगे वह हमारे देश की गंगा - जमुनी तहज़ीब की विशेषता पर आधारित है.
अपने क्या सच में अपने होते हैं?
Bharat Express Analysis: आए दिन हमें यह देखने को मिलता है कि किसी बुजुर्ग को, पैसे और संपत्ति के लालच में उसी की संतान ने घर से बेघर कर दिया. ऐसा अक्सर उन परिस्थितियों में होता है जब बच्चों को सही संस्कार नहीं दिये जाते.
वर्कलोड: टेंशन लेने का नहीं देने का!
Analysis on Workload Tension: संजय दत्त की बहुचर्चित फ़िल्म ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ का एक डायलॉग काफ़ी हिट हुआ था जिसमें वो हर किसी को न घबराने की सलाह देते हुए कहते थे ‘टेंशन लेने का नहीं - देने का’.
आवारा पशुओं की बढ़ती समस्या
शहरों में आवारा कुत्तों व गौवंश की समस्या हर दिन बढ़ती जा रही है. आम जनता को हर गली मोहल्ले में आवारा कुत्तों व गौवंश से खुद को बचा कर निकलना पड़ता है.
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है
हृदय रोग से संबंधित बीमारियों और उनसे होने वाली जवान मौतों के बढ़ते हुए आँकड़े हम सभी के मन में कुछ अहम सवाल पैदा कर रहे हैं.