MP Election 2023: कांग्रेस ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपना ‘वचन पत्र’ यानी घोषणा पत्र जारी कर दिया है. कांग्रेस ने अपनी घोषणा पत्र में वादों की झड़ी लगा दी है. देश की सबसे पुरानी पार्टी ने राज्य में जातीय जनगणना कराने, ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण, कृषि ऋण माफी और राज्य के सभी लोगों के लिए 25 लाख रुपये का चिकित्सा बीमा जैसे कई वादे किए . वहीं, पत्रकारों के कल्याण के लिए वरिष्ठ पत्रकार सम्मान निधि की राशि बढ़ाकर 25,000 रुपये करने, मुफ्त स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराने जैसे कई वादे किए गए हैं. इतना ही नहीं महिला पत्रकारों के लिए 2 लाख रुपये के इनाम के साथ सुभद्रा कुमारी चौहान पत्रकारिता पुरस्कार शुरू करने की भी घोषणा की गई.
कांग्रेस ने अपने ‘वचन पत्र’ में कहा कि पत्रकारों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए मध्य प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू किया जाएगा. एक भव्य प्रेस क्लब एवं संयुक्त पत्रकार परिवार भवन बनाया जायेगा जो आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित होगा. कांग्रेस के इन वादों के बाद राज्य की राजनीति गर्मा गई है. बीते छह महीने में कांग्रेस ने दूसरी बार कवयित्री का जिक्र किया है. अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान का जिक्र करके कांग्रेस कौन सी राजनीति साधने में जुटी है?
दरअसल, सुभद्रा कुमारी चौहान ने अपनी कविता ‘झांसी की रानी’ में ग्वालियर के सिंधिया राजवंश को ब्रिटिश हुकूमत का मित्र बताया था. इसी वजह से 1857 क्रांति में सिंधिया राजवंश पर रानी लक्ष्मीबाई से गद्दारी के आरोप लगते रहते हैं. दिलचस्प बात ये है कि जब तक सिंधिया कांग्रेस में थे तो बीजेपी नेता उन पर आरोप लगाते थे. अब जब वह बीजेपी में चले गए हैं तो कांग्रेस उन पर निशाना साध रही है.
इससे पहले भी कांग्रेस नेता जयराम रमेश और सिंधिया के बीच कहा सुनी हुई थी. जयराम रमेश ने आरोप लगाया था कि सिंधिया वंश ने रानी लक्ष्मी बाई के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया था. रमेश ने उस वक्त एक्स पर एक ट्वीट किया था. उस ट्वीट के कैप्शन में लिखा था, “अंग्रेजों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी.”
तब सिंधिया ने जयराम रमेश पर पलटवार करते हुए कहा था कि कविता कम और इतिहास ज्यादा पढ़ें. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि जवाहरलाल नेहरू की किताब ‘ग्लिम्पसेज ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री’ में कहा गया है-इस प्रकार उन्होंने मराठों ने दिल्ली साम्राज्य जीता. मराठा ब्रिटिश वर्चस्व को चुनौती देते रहे, लेकिन मराठा शक्ति महादजी सिंधिया की मौत के बाद टुकड़े-टुकड़े हो गई.
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इसके ठीक बाद रमेश ने एक और ट्वीट किया था. उन्होंने इस ट्वीट के कैप्शन में लिखा था, “इतिहास के किसी भी किताब में रानी लक्ष्मीबाई से गद्दारी करने के लिए सिंधिया वंश को दोषी ठहराया गया है. आपके नए भगवान सावरकर ने भी अपनी किताब ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ में रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे और अन्य लोगों के खिलाफ सिंधिया वंश की गद्दारी की बात कही है. इतिहास आप पढ़िए.” दोनों नेताओं के बीच खूब ट्विटर वॉर चला था. अब कांग्रेस ने एक बार फिर से सुभद्रा कुमारी चौहान का जिक्र करके सियासी समर में चर्चा छेड़ दिया है.
बता दें कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ और दिग्विजय सिंह से ज्योतिरादित्य सिंधिया की नहीं बनती ये बात किसी से छिपी नहीं है. साल 2018 में जब राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई और कमलनाथ को सीएम बनाया गया तो ज्योतिरादित्य सिंधिया नाराज हो गए. उन्होंने पार्टी के कई विधायकों को अपने साथ भाजपा में शामिल करा दिया. राज्य में कांग्रेस की सरकार गिर गई. बीजेपी ने सिंधिया के सहयोग से राज्य में सरकार बनाई. शिवराज सिंह चौहान सीएम बने. अब सुभद्रा कुमारी चौहान के बहाने कांग्रेस सिंधिया पर नए सिरे से निशाना साध रही है.
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