MP Election: तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के साथ-साथ मध्य प्रदेश में साल के अंत में चुनाव होने वाले हैं. सभी राजनीतिक पार्टियां जोर-शोर से प्रचार अभियान में जुटी हुई हैं. बीजेपी की ओर से पीएम मोदी खुद प्रचार तंत्र का नेतृत्व कर रहे हैं. लेकिन दूसरी ओर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जनता के बीच ‘इमोशनल कार्ड’ खेल रहे हैं. पिछले तीन दिनों में शिवराज सिंह दो बार चुनाव प्रचार के दौरान भावुक हो गए. खास बात ये कि उन्होंने जनता से पूछ लिया कि मैं चुनाव लड़ूं या न लड़ूं? शिवराज ने कहा कि उन्होंने मध्य प्रदेश में लोगों की परवाह करने वाली सरकार बनाकर राजनीति की परिभाषा ही बदल दी है. उन्होंने कहा कि जब मैं चला जाऊंगा तो मेरी कमी खलेगी.
जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आती जा रही है सीएम शिवराज सिंह ताबड़तोड़ कार्यक्रम कर रहे हैं. कहीं कार्यक्रम में लोकार्पण तो कहीं सम्मेलन में जनता को संबोधित करना सीएम शिवराज की दिनचर्या बन गई है. इन सबके अलावा शिवराज सिंह चौहान इमोशनल कार्ड भी खेल रहे हैं. 1 अक्टूबर को शिवराज सिंह चौहान अपने गृह जिले के सीहोर में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान वो भावुक हो गए. उन्होंने जनता से कहा जब मैं चला जाऊंगा तो याद आऊंगा तुम्हें.
मुख्यमंत्री ने मतदाताओं को अपना परिवार और महिलाओं को अपनी बहनें बताया है. उन्होंने कहा कि मेरे लिए राजनीति का मतलब जनता की सेवा करना है और जनता की सेवा करना मेरे लिए भगवान की पूजा करने जैसा है. मैंने मध्य प्रदेश में राजनीति की परिभाषा बदल दी. हमारे गरीब भाई-बहन, किसान भाई-बहन, आपने वर्षों तक कांग्रेस का शासन देखा है. बताइए, क्या कभी जनता के लिए ऐसी चिंता थी? क्या होता था ? मैं सरकार नहीं चलाता. मैं एक परिवार चलाता हूं. आप सभी मेरा परिवार हैं. ”
बता दें कि केंद्रीय नेतृत्व के हाथों में मध्य प्रदेश की कमान देख सीएम शिवराज सिंह चौहान दुखी हैं. चुनाव प्रचार करने जहां भी जाते हैं भावुक हो जाते हैं. हाल ही में ‘मध्य प्रदेश के मामा’ अपनी विधानसभा में भावुक हो गए. बुधनी विधानसभा के ग्राम सातदेव में जनता को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जनता से पूछा कि वे इस बार का चुनाव लड़ें या न लड़ें? वहीं जनता की तरफ से हां में जवाब आया. जनसभा में मौजूद लोगों ने मामा-मामा कह कर शिवराज से चुनाव लड़ने के लिए कहा.
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दिल्ली से मध्य प्रदेश कंट्रोल की कोशिश
बता दें कि भाजपा ने मध्य प्रदेश की जिम्मेदारी 3 केंद्रीय मंत्री और पार्टी महासचिव के साथ-साथ 3 सांसदों को दी है. शिवराज सिंह ओपनिंग करते दिख तो रहे हैं लेकिन पिच पर कंट्रोल केंद्र का है. कहीं न कहीं शिवराज इसी बात पर भावुक हो जा रहे हैं. दरअसल, एमपी के लिए भाजपा ने मोदी सरकार के तीन मंत्रियों-नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद सिंह पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते और साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को मैदान में उतारा है. इसके साथ ही राज्य में मुख्यमंत्री पद के दावेदारों के लिए जगह लगभग खाली हो गई है.
बीजेपी ने अब तक कहा है कि वह सामूहिक नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ेगी, लेकिन पार्टी ने यह बताने से हमेशा इनकार किया है कि अगर वह सत्ता में आती है तो मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे या नहीं. तोमर को पहले एमपी चुनाव के लिए पार्टी की चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक नियुक्त किया गया था.
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