भोपाल में सरकारी जमीन पर अवैध रूप से वक्फ कॉम्प्लेक्स बनाया गया था, और 125 पंजीकृत कब्रिस्तानों में से 101 कब्रिस्तान रहस्यमय तरीके से गायब हो गए हैं, जिनकी जमीन पर निजी व्यक्तियों ने कब्जा कर लिया है. इसके अलावा, भोपाल के सराय सिकंदरी में 24,450 वर्ग फुट वक्फ संपत्ति में से 1,800 वर्ग फुट जमीन पर एक स्थानीय नेता ने अवैध कब्जा कर लिया है. हैदराबाद में 2021 में ही वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने वालों को 765 नोटिस जारी किए गए थे. तेलंगाना वक्फ बोर्ड, जो भारत के सबसे अमीर वक्फ बोर्डों में से एक है और जिसकी संपत्ति की अनुमानित कीमत 5 लाख करोड़ रुपये है, उसकी 75 प्रतिशत जमीन पर अवैध कब्जा हो चुका है.
अकबरुद्दीन ओवैसी ने भी बयान दिया कि हैदराबाद में 82 प्रतिशत वक्फ जमीन पर निजी व्यक्तियों ने कब्जा कर लिया है. मुंबई में महाराष्ट्र की 60 प्रतिशत से अधिक वक्फ जमीन अवैध कब्जे में है. परेल स्थित लाल शाह बाबा दरगाह, जो कभी 72 एकड़ में फैली थी, अब उसके चारों ओर वक्फ जमीन पर बनी रिहायशी इमारतें खड़ी हैं. लखनऊ में उत्तर प्रदेश सरकार ने रिपोर्ट दी कि वक्फ बोर्ड द्वारा दावा की गई 78 प्रतिशत जमीन वास्तव में सरकारी है और उस पर कोई वैध वक्फ अधिकार नहीं है. 1989 के एक आदेश के तहत बंजर जमीन को अवैध रूप से वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज किया गया था जिसे अब रद्द कर दिया गया है.
पटना में बिहार सुन्नी वक्फ बोर्ड ने हिंदू बहुल गोविंदपुर गांव में सात हिंदू परिवारों की जमीन पर मालिकाना दावा करते हुए नोटिस जारी किया था. केरल के एर्नाकुलम में, सितंबर 2024 में, चेरी और मुनामबम क्षेत्रों के लगभग 600 ईसाई परिवारों ने वक्फ बोर्ड के भूमि दावे का विरोध किया, यह कहते हुए कि यह भूमि पीढ़ियों से उनके कब्जे में है.
ये सभी उदाहरण इस बात की गंभीर याद दिलाते हैं कि 1995 का वक्फ अधिनियम कितना अपारदर्शी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला था, जिससे गरीब मुसलमानों का शोषण हुआ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस स्थिति को सुधारने के लिए साहसिक कदम उठाए और गरीब मुसलमानों को सशक्त किया.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को अपनी मंजूरी दी है. यह नया अधिनियम ‘उम्मीद’ (Unified Waqf Management Empowerment, Efficiency and Development) के अनुरूप है. राज्यसभा ने 128 मतों के पक्ष और 95 के विरोध में तथा लोकसभा ने 288 मतों के पक्ष और 232 के विरोध में इस विधेयक को पारित किया.
वक्फ, चल या अचल संपत्ति का धार्मिक, पुण्य या परोपकारी उद्देश्यों के लिए स्थायी समर्पण है. वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद के माध्यम से होता है. वहीं, सार्वजनिक न्यास (Public Trusts) को विभिन्न राज्य सार्वजनिक न्यास अधिनियमों के तहत चैरिटी कमिश्नर द्वारा नियंत्रित किया जाता है.
अब राज्य वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्य भी हो सकते हैं, क्योंकि वक्फ बोर्ड एक प्रशासनिक संस्था है, धार्मिक नहीं.
वक्फ बोर्ड और चैरिटी कमिश्नर का कार्य पूरी तरह प्रशासनिक है, धार्मिक नहीं.
वक्फ बोर्ड के सदस्यों में हाशिए पर पड़े मुस्लिम समुदायों (जैसे बोहरा और आगा खानी मुसलमानों) को भी प्रतिनिधित्व मिलेगा.
वक्फ संपत्तियों के बेहतर उपयोग के लिए एक सिंगल-विंडो डिजिटल प्लेटफॉर्म बनेगा, जो पंजीकरण से लेकर किराया निर्धारण और लेखा परीक्षण तक की निगरानी करेगा.
वक्फ संपत्तियों को भूमि राजस्व रिकॉर्ड से जोड़ा जाएगा जिससे स्वामित्व स्पष्ट होगा और विवाद कम होंगे.
नए प्रावधानों के अनुसार वक्फ संपत्तियों के लिए वक्फ डीड (Waqf Deed) अनिवार्य होगी.
संपत्ति का वक्फ तभी मान्य होगा जब वक्फ करने वाला व्यक्ति कम से कम पांच वर्षों से इस्लाम का अनुयायी हो और संपत्ति का वैध मालिक हो.
नया अधिनियम वक्फ के धार्मिक स्वरूप को नहीं छेड़ता, बल्कि उसके प्रशासनिक पक्ष को सशक्त करता है. वक्फ बोर्ड की भूमिका संपत्ति प्रबंधन, लेखा परीक्षण, कानूनी अनुपालन और विवाद निपटान की है — ये सभी कार्य धर्मनिरपेक्ष हैं.
सैयद फजल पूकॉय थंगल बनाम भारत संघ (केरल हाई कोर्ट, 1993) — वक्फ बोर्ड एक सरकारी नियामक निकाय है, न कि धार्मिक प्रतिनिधि.
हाफिज मोहम्मद ज़फर अहमद बनाम यूपी केंद्रीय सुन्नी वक्फ बोर्ड (इलाहाबाद हाई कोर्ट, 1965) — मुतवल्ली (प्रबंधक) संपत्ति का मालिक नहीं होता.
तिलकायत श्री गोविंदलालजी महाराज बनाम राजस्थान राज्य (सुप्रीम कोर्ट, 1964) — धार्मिक संपत्ति का प्रबंधन एक धर्मनिरपेक्ष कार्य है.
समस्या कहाँ थी?
WAMSI पोर्टल के अनुसार, वक्फ संपत्तियों पर 58,890 अतिक्रमण के मामले दर्ज हैं और 31,999 मामले वक्फ ट्रिब्यूनल और वक्फ बोर्ड के समक्ष लंबित हैं. इनमें से लगभग 9,000 मुकदमे खुद मुस्लिम पक्षों के हैं, जो दिखाता है कि वक्फ भूमि विवाद केवल एक समुदाय तक सीमित नहीं है.
नया अधिनियम इन सभी समस्याओं को दूर करने और पारदर्शिता व जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
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-भारत एक्सप्रेस
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