बैंक ऑफ बड़ौदा की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2024 में भारत की खुदरा महंगाई दर (CPI- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) घटकर 5% रहने का अनुमान है. नवंबर 2024 में यह दर 5.5% थी. यह गिरावट मुख्य रूप से खाद्य और ऊर्जा कीमतों में स्थिरता और सरकार के महंगाई पर नियंत्रण उपायों के चलते हुई है.
महंगाई में गिरावट के कारण
रिपोर्ट में बताया गया है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर में कमी के पीछे कई प्रमुख कारण हैं:
1. खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी: खाद्य वस्तुओं, विशेषकर सब्जियों और दालों की कीमतों में स्थिरता देखी गई है.
2. तेल की कीमतों में गिरावट: कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में कमी के चलते भारत में ईंधन की लागत में गिरावट आई है.
3. सरकारी उपाय: केंद्र और राज्य सरकारों ने महंगाई को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न उपाय किए हैं, जिनका असर अब दिखने लगा है.
नवंबर 2024 में खुदरा महंगाई दर 5.5% थी, जो भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के सहनशीलता बैंड (2%-6%) के दायरे में थी. दिसंबर में 5% तक की संभावित गिरावट यह दर्शाती है कि महंगाई पर काबू पाने के लिए उठाए गए कदम प्रभावी साबित हो रहे हैं.
यह गिरावट भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के लिए एक सकारात्मक संकेत है. महंगाई दर में कमी से केंद्रीय बैंक के लिए ब्याज दरों को स्थिर रखने का रास्ता साफ हो सकता है. आरबीआई पहले ही महंगाई दर को 4% के करीब लाने के लिए प्रतिबद्ध है और यह सुधार उस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि मौजूदा स्थिति बनी रहती है, तो आने वाले महीनों में महंगाई दर और घट सकती है. यह उपभोक्ताओं के लिए राहत भरा कदम होगा और भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने में सहायक हो सकता है.
महंगाई में गिरावट का मतलब है कि उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति (purchasing power) बढ़ेगी. इससे बाजार में मांग बढ़ने की संभावना है, जो आर्थिक विकास को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है.
हालांकि, रिपोर्ट ने यह भी चेतावनी दी है कि वैश्विक अनिश्चितताओं, जैसे कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों के कारण महंगाई पर पूरी तरह नियंत्रण बनाए रखना एक चुनौती हो सकती है.
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बैंक ऑफ बड़ौदा की यह रिपोर्ट दर्शाती है कि दिसंबर 2024 में महंगाई दर में कमी भारत के आर्थिक स्थिरता की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है. इससे न केवल उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी बल्कि केंद्रीय बैंक और सरकार के लिए नीतिगत निर्णयों में भी सहूलियत होगी.
-भारत एक्सप्रेस
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