भारतीय लोकतंत्र में चुनाव प्रक्रिया को लेकर बहसें और आरोप-प्रत्यारोप कोई नई बात नहीं हैं. लेकिन हर चुनाव परिणाम के बाद ईवीएम पर सवाल उठाना और बैलेट पेपर की वापसी की मांग एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है. हाल ही में कांग्रेस ने इस बहस को एक बार फिर से केंद्र में ला खड़ा किया है.
साल 2018 में राहुल गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस ने ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से चुनाव कराने का प्रस्ताव पारित किया था. हालांकि, इस मुद्दे पर पार्टी कभी पूरी तरह मुखर नहीं हुई और यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया. लेकिन अब, 2024 के लोकसभा चुनाव में 99 सीटें जीतने के बाद, और हरियाणा व महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस ने ईवीएम को लेकर अपनी असहमति दोबारा जाहिर की है.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 26 नवंबर, 2024 को संविधान दिवस के अवसर पर बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग को लेकर आंदोलन की घोषणा की. उन्होंने कहा कि ईवीएम पर जनता का भरोसा टूट रहा है और इसकी पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं. भारत जोड़ो न्याय यात्रा की तर्ज पर कांग्रेस एक बड़ा आंदोलन देशभर में कर सकती है
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस ने अपने इस रुख को लेकर विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन से समर्थन हासिल करने की कोशिश शुरू कर दी है. समाजवादी पार्टी, झारखंड जेएमएम , एनसीपी-शरद गुट, और शिवसेना-यूबीटी जैसे दल इस मुद्दे पर कांग्रेस के साथ सहमति जता चुके हैं.
29 नवंबर को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा होगी. इसमें एक स्पष्ट रोडमैप तैयार किया जाएगा, जिसे बाद में इंडिया गठबंधन के नेताओं के साथ साझा किया जाएगा. राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे व्यक्तिगत रूप से गठबंधन के प्रमुख नेताओं से मुलाकात कर इस मुद्दे पर सहमति बनाने का प्रयास करेंगे.कांग्रेस के भीतर भी इस मुद्दे पर एकता सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं. पार्टी ने अपने नेताओं को हिदायत दी है कि वे सार्वजनिक मंचों पर पार्टी की लाइन का ही पालन करें.
-भारत एक्सप्रेस
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