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Lok Sabha Elections-2024: क्या ‘राम’ लहर के आगे टिक पाएंगे सपा के अतुल प्रधान? जानें क्या है मेरठ की सोशल इंजीनियरिंग

Lok Sabha Elections-2024: लोकसभा चुनाव-2024 को लेकर राजनीतिक दल प्रचार-प्रसार करने में जुटे हैं. तो इसी के साथ ही नामांकन की भी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. आज मेरठ में भाजपा प्रत्याशी व रामानंद सागर की रामायण धारावाहिक के ‘राम’ अरुण गोविल नामांकन दाखिल करेंगे. इसके लिए भाजपा रोड शो निकाल रही है. शुभकामना बैंक्वेट हॉल में सभा होगी और इसके बाद रोड शो होगा.

इस मौके पर उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य सभा को संबोधित करेंगे. फिर रोड शो करते हुए सभी कलेक्टरेट जाएंगे. रोड शो एफ 57, शास्त्रीनगर से शुरू होगा. तो वहीं यहां से सपा ने गुर्जर कार्ड खेला है और अरुण गोविल को टक्कर देने के लिए 41 साल के अतुल प्रधान को उतारा है तो वहीं बसपा की ओर से यहां पर देवव्रत त्यागी को अपना प्रत्याशी बनाया है. बता दें कि मेरठ में 4 अप्रैल को नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख है तो वहीं यहां पर दूसरे चरण में 26 अप्रैल को वोटिंग होगी.

बता दें कि सोमवार को गोविल के लोकसभा चुनाव कार्यालय का शुभारंभ मेरठ में किया गया है. इस मौके पर कल अरुण गोविल ने पत्नी श्रीलेखा और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ हवन पूजन किया था. इस मौके पर पार्टी कार्यकर्ता भी मौजूद रहे.

बता दें कि इस बार भाजपा के विजय रथ को रोकने के लिए सपा और कांग्रेस इंडिया गठबंधन के तहत एकजुट हैं. इसलिए यहां पर सपा उम्मीदवार अतुल प्रधान को कांग्रेस की ओर से पूरा समर्थन रहेगा. बता दें कि अरुण गोविल का नाम सामने आने के बाद ही सपा गठबंधन ने अपने उम्मीदवार को बदल दिया था और सरधना से विधायक अतुल प्रधान को उनके खिलाफ उतारा है.

इससे पहले सपा ने भानु प्रताप को अपना प्रत्याशी बनाया था. फिलहाल भाजपा के अरुण गोविल को राष्ट्रीय लोकदल, अपना दल, सुभासपा और निषाद पार्टी का समर्थन प्राप्त है. बता दें कि राजनीति में मेरठ को एक अहम हिस्सा माना जाता है. ऐसे में भाजपा द्वारा अरुण गोविल को अपना प्रत्याशी बनाए जाने के बाद यहां पर हर किसी की नजर है.

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जानें कौन हैं अरुण गोविल?

66 साल के अरुण गोविल वैसे किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. मेरठ उनका गृह नगर है. उन्होंने हिंदी के साथ ही उड़िया, तेलुगु, भोजपुरी और ब्रज भाषा की फिल्मों में भी काम किया लेकिन सबसे अधिक उनको लोकप्रियता रामानंद सागर के टीवी धारावाहिक रामायण से मिली. इसमें उन्होंने भगवान राम की भूमिका निभाई. गोविल ने फिल्म ‘आर्टिकल 370’ में पीएम मोदी का रोल निभाया था. तो वहीं वह लगातार भगवान राम के आदर्शों को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट भी शेयर करते रहते हैं. वह न केवल बड़ों बल्कि बच्चों के भी आदर्श हैं. जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन में भी पहुंचे थे. 2021 में वह भाजपा में शामिल हुए थे और तभी से लगातार भाजपा सरकार की योजनाओं की जानकारी लोगों को देते रहते हैं. गोविल की पहली फिल्म पहेली 1977 में रिलीज हुई थी. इसके बाद 1980 के दशक के अंत में शुरू हुए रामायण धारावाहिक ने उनको घर-घर में पहुंचा दिया था. उनकी लोकप्रियता इस तरह थी कि जब कि कोई उनको कहीं पर भी देखता तो उनकी पूजा करने लगता था.

जानें कौन हैं अतुल प्रधान?

सपा प्रमुख अखिलेश यादव के सबसे करीबी माने जाते हैं अतुल प्रधान. उन्होंने 2012 के विधानसभा चुनाव में राजनीति में कदम रखा था. वेस्ट यूपी के बड़े नेताओ में प्रधान का नाम लिया जाता है. वह गुर्जर समाज से आते हैं. अखिलेश ने उन पर भरोसा किया और सरधाना विधानसभा सीट से उतारा था. तब वह तीसरे नंबर पर आए थे. इस चुनाव में भाजपा के संगीत सिंह सोम चुनाव जीत गए थे, लेकिन सपा ने उन पर 2017 में फिर दांव खेला लेकिन इस चुनाव में भी प्रधान को सोम से हार मिली, लेकिन उनका वोट प्रतिशत बढ़ा था और दूसरे नंबर पर आए थे. दूसरी ओर अखिलेश ने लगातार उनके ऊपर भरोसा बनाए रखा और 2022 में फिर से उतारा. इस बार सपा और रालोद के गठबंधन के तहत उन्होंने चुनाव लड़ा था. इसका उनको फायदा मिला और फिर दो बार के विधायक संगीत सिंह सोम को हराकर उन्होंने सरधना सीट से जीत हासिल की और पहली बार विधायक बने.

इस चुनाव में सोम को अतुल ने 18 हजार से अधिक वोटों से हराया था. इसी के बाद अतुल पूरे प्रदेश में चर्चा में आ गए थे. वह छात्र राजनीति से जुड़े रहे हैं. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है. प्रधान मेरठ जिले से मवाना तहसील के गडीना गांव के रहने वाले हैं. सीएम बनने के बाद अखिलेश ने उनको सपा छात्र सपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था. उनकी पत्नी सीमा प्रधान भी मेरठ में जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं. 2022 के चुनाव में प्रधान ने शपथ पत्र दाखिल किया था, जिसके मुताबिक अतुल प्रधान का पेशा खेती है. वे ग्रेजुएट हैं और पिछड़ी जाति से आते हैं. उनके ऊपर अलग-अलग थानों में 38 मुकदमे दर्ज हैं.

जानें क्या है मेरठ की सोशल इंजीनियरिंग?

बता दें कि पश्चिमी यूपी की राजनीति में मेरठ को अहम हिस्सा माना जाता रहा है. 2009 से मेरठ की सीट पर भाजपा का कब्जा है. 1990 के दौर में जब पूरे देश में राम मंदिर को लेकर आंदोलन छिड़ा था तब मेरठ में सीधा असर देखने को मिला था और तभी से ये भाजपा का गढ़ बन गया था. तो इस बार राम मंदिर उद्घाटन के बाद से पूरे यूपी में भाजपा की लहर बह रही है. ऐसे में राजनीतिक जानकार मानते हैं कि मेरठ में अरुण गोविल के सामने किसी का भी टिक पाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है. हालांकि मेरठ-हापुड़ सीट पर मुस्लिम मतदाताओं का अहम रोल रहा है. मुस्लिम समाज का एक बड़ा हिस्सा यहां पर रहता है. तो इसी के साथ ही दलितों की भी एक बड़ी आबादी है. 2011 के आंकड़ों के मुताबिक मेरठ में करीब 35 लाख आबादी है, जिसमें 36 फीसदी मुस्लिम और 65 फीसदी हिंदू आबादी शामिल हैं. यहां पर कुल मतदाताओं की संख्या 1964388 है जिसमें से 44.91 फीसदी महिला और 55.09 फीसदी पुरुष वोटर्स हैं. कुल मिलाकर यहां 5 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिसमें से किठौर, मेरठ कैंट, मेरठ शहर, मेरठ दक्षिण और हापुड़ की सीट शामिल हैं. बता दें कि मेरठ लोकसभा के साथ ही हापुड़ का भी कुछ हिस्सा जुड़ता है.

-भारत एक्सप्रेस

 

Archana Sharma

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