मशहूर डायरेक्टर अनुराग कश्यप अपने बयानों को लेकर आए दिन चर्चा का विषय बने रहते हैं. हाल ही में कोलकाता में एक इवेंट में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पर बात की. उन्होंने कहा कि राम मंदिर के उद्घाटन को प्रचार बताया. अनुराग कश्यप ने कहा कि यह आने वाले समय और देश में अभी क्या हो रहा है, इसका एक ‘प्रचार’ था. डायरेक्टर ने यह भी कहा कि पावर में जो लोग हैं, वो जनता के गुस्से का फायदा उठा रहे हैं, और लोकतंत्र के नाम पर देश में अब सिर्फ फासिज्म हो रहा है. अनुराग कश्यप के मुताबिक, लोकतंत्र अब फासिज्म के लिए बस एक मोर्चा मात्र है. अब इसने पूरी तरह सत्ता संभाल ली है.
अनुराग कश्यप को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन दिखावा लगा. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘कलकत्ता में हुए एक इवेंट में उन्होंने इस पर अपने विचार रखे. अनुराग बोले, 22 जनवरी को जो भी हुआ वह सिर्फ विज्ञापन था. मैं इसको ऐसे ही देखता हूं. वैसा ही ऐडवर्टीजमेंट जैसा कि खबरों के बीच में चलता है. यह 24 घंटे का ऐड था. मेरे नास्तिक होने का बड़ा कारण यह है कि मैं वाराणसी में पैदा हुआ. मैंने धर्म के धंधे को बहुत पास से देखा है.’
अनुराग बोले, ‘आप इसे राम मंदिर कहते हैं, यह कभी राम मंदिर नहीं था. यह लला का मंदिर था और पूरा देश इसमें अंतर नहीं बता सकता. किसी ने कहा है दुष्टों का धर्म ही आखिरी सहारा है. जब आपके पास कुछ नहीं बचता तो धर्म पर आ जाते हो. मैंने खुद को हमेशा नास्तिक कहा क्योंकि मैंने बड़े होते वक्त देखा है, कैसे निराश लोग रक्षा के लिए मंदिर जाते हैं जैसे वहां कोई बटन हो जिसे दबाकर वे सारी परेशानियां दूर कर लेंगे. क्या वजह है कि अब आंदोलन नहीं होते? लोग दिखने से डरते हैं.’
अनुराग ने कहा कि जिस तरह से हम लड़ रहे हैं उसका तरीका बदलना चाहिए. बोले कि सूचनाएं एल्गोरिदम से बदली जा रही हैं. लोगों को फोन पर वही मिलता है जो वे सुनना चाहते हैं और जिनके कंट्रोल में ये सब है वे हमसे चार कदम आगे हैं.
अनुराग बोले, उनकी टेक्नॉलजी कहीं ज्यादा अडवांस है, वे बहुत स्मार्ट हैं, उनमें समझ है. हम सब अभी भी इमोशनल फूल हैं. अनुराग ने कहा कि क्रांति तभी संभव है जब लोग अपने फोन फेंक दें. जैसे स्वदेशी आंदोलन में विदेशी कपड़े जलाए गए थे. उन्होंने कहा कि लोग पोस्टर फाड़ने में ऊर्जा खर्च कर रहे हैं
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