Doordarshan Tv Show Surbhi Created World Record: एक दौर था जब टीवी पर आने वाले शोज लोगों को इतने पसंद थे कि उन्हें देखने के लिए घरों में भीड़ जमा हो जाती थी. लोग टीवी पर अपना नाम देखने के लिए इतने पागल रहते थे कि लगातार टीवी शो के पते पर पोस्टकार्ड भेज देते थे. दूरदर्शन पर 90 के दशक में कई ऐसे शोज आए जो लोगों के दिलों में आज तक बसे हुए हैं.
शक्तिमान, महाभारत से लेकर रामायण तक की सारे ऐसे शोज आए थे, जिन्होंने फैंस के दिलों पर सालों तक राज किया है और आज भी लोग इन्हें याद करते हैं. इसी में से एक शो था ‘सुरभि’ जिसमें मराठी और बॉलीवुड एक्ट्रेस रेणुका शहाणे और सिद्धार्थ काक ने अपना जबरदस्त काम दिखाया था. इस शो ने रेणुका शहाणे को घर -घर तक मशहूर कर दिया था. ये शो इतना मशहूर हुआ था कि इसने वर्ल्ड रिकॉर्ड बना लिया था.
दरअसल, 90 के दशक में दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले लोकप्रिय शो ‘सुरभि’ की बात हो रही है, जिसके होस्ट सिद्धार्थ काक ने शो को लेकर ये बात कही है. उन्होंने बताया कि ये शो इतना मशहूर हुआ करता था कि इसे देखने वाले दर्शक हर हफ्ते 14 लाख से अधिक चिट्ठियां भेजे थे, जिसकी वजह से ‘सुरभि’ का नाम ‘लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में दर्ज हुआ था. इतना ही नहीं उन्होंने ये भी बताया कि उन्हें मिलने वाले पोस्टकार्ड की इतनी ज्यादा संख्या के बाद संचार मंत्रालय ने पोस्टकार्ड की कीमत बढ़ा दी थी. यह शो 1990 से 2001 तक 10 साल चला और इसके 415 एपिसोड्स प्रसारित हुए.
बता दें कि सिद्धार्थ काक ने रेणुका शहाणे के साथ इस शो को होस्ट किया था. सिद्धार्थ ने अपने इंटरव्यू में बताया कि देश के लोग ही हमारी रिसर्च टीम थे, जो भी आप जानना चाहते थे वो सब आपको बता देते थे. आपको सिर्फ पूछना था और वो आपको इसकी जानकारी दे देते थे.
उन्होंने कहा कि हमने कभी नहीं सोचा था कि शो को ऐसा रिस्पॉन्स मिलेगा. शो के पहले कुछ महीनों में तो करीब 10-15 और 100 से 200 चिट्ठियां मिलीं, लेकिन चार से पांच महीने बाद हमें लगभग पांच हजार पोस्टकार्ड मिलने लगे. ये हमारे लिए बहुत मुश्किल हो गया था, क्योंकि हर चिट्ठी को पढ़ना था, इसलिए हमने दर्शकों से हमें एक पोस्टकार्ड भेजने की अपील की.
सुरभि के होस्ट सिद्धार्थ काक ने बताया कि उस वक्त एक पोस्टकार्ड की कीमत करीब 15 पैसे थी. सरकार इस पर सब्सिडी देती थी, क्योंकि इसकी असली कीमत 50 से 60 पैसा थी. शो के लिए लोग इतने पोस्टकार्ड भेजने लगे थे कि पोस्ट ऑफिस वाले भी परेशान हो गए थे.
काक ने बताया कि एक बार उनके पास अंधेरी पोस्ट ऑफिस से फोन आया कि हमारे पास न तो पोस्टकार्ड रखने की जगह है और न ही इतनी सारी चिट्ठियां पहुंचाने का कोई साधन है. उन्होंने कहा कि आप खुद आकर पोस्टकार्ड ले जाइए, इतनी चिट्ठियों को एक साथ लाने के लिए हमें टेंपो करना पड़ा था. क्योंकि वहां पर सैकड़ों बैग पोस्टकार्ड से भरे हुए पड़े थे.
-भारत एक्सप्रेस
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