पश्चिम बंगाल में 77 जातियों को OBC में शामिल करने के मामले में पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से दायर याचिका पर 27 अगस्त को सुनवाई करेगा. पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के वकील सिब्बल ने कहा कोलकाता हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई रोक से एनईईटी परीक्षाएं प्रभावित होंगी.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से आरक्षण देने का आधार से संबंधित जानकारी मांगी थी. जिन 77 समुदायों को ओबीसी का दर्जा दिया गया है, उसमें अधिकतर मुस्लिम है. कोलकाता हाई कोर्ट ने आदेश पर राज्य के करीब 1.2 लाख ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द कर दिया था.
बता दें कि कोलकाता हाईकोर्ट में राज्य के आरक्षण अधिनियम 2012 के प्रावधानों को चुनौती दो गई थी. इन याचिकाओं पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने आदेश दिया था. याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने दावा किया कि 2010 के बाद पश्चिम बंगाल में ओबीसी के तहत सूचीबद्ध व्यक्तियों की संख्या पांच लाख से अधिक होने का अनुमान है.
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सर्टिफिकेट का इस्तेमाल किसी भी नौकरी आरक्षण या अन्य आरक्षण के लिए नहीं किया जा सकता है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाई कोर्ट द्वारा दिये गए आदेश पर आपत्ति जताई थी. जिसके बाद राज्य सरकार और राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
-भारत एक्सप्रेस
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