पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ पेपर्स एजमिनेशन (डब्ल्यूबीबीएसई) द्वारा आयोजित माध्यमिक परीक्षा में हिस्ट्री के पेपर में एक विवादास्पद प्रश्न पर विवाद शुरू हो गया है. विवाद निबंध-प्रकार के प्रश्नों पर थे, जहां परीक्षार्थियों को राष्ट्रपिता के बारे में प्रश्न से संबंधित तीन विकल्पों में से एक को चुनने और उस पर एक व्याख्यात्मक निबंध लिखने के लिए कहा गया था. मुख्य प्रश्न यह था कि क्या महात्मा गांधी ने हमेशा देश के मजदूर आंदोलन से खुद को अलग रखा.
इस असहयोग के कारणों पर परीक्षार्थियों को दिए गए तीन विकल्प थे-
1) महात्मा गांधी हमेशा मिल मालिकों की लॉबी का प्रतिनिधित्व करते थे.
2) महात्मा गांधी श्रम और पूंजी के बीच टकराव से बचना चाहते थे.
3) महात्मा गांधी कानून और व्यवस्था की स्थिति पर आंदोलन के प्रभाव से चिंतित थे.
इतिहासकारों और विभिन्न शिक्षक संघों ने विकास की कड़ी आलोचना की है और दावा किया है कि यह प्रश्न न केवल विवादास्पद है बल्कि गलत सूचना का प्रसार भी करता है. ऑल बंगाल टीचर्स एसोसिएशन के एक सदस्य ने कहा, “माध्यमिक पाठ्यक्रम में कहीं भी यह उल्लेख नहीं है कि महात्मा गांधी ने स्वयं को मजदूर आंदोलन से अलग कर लिया था. यह स्पष्ट है कि जिस व्यक्ति ने इस प्रश्न का मसौदा तैयार किया था, उसके पाठ्यक्रम में कभी इतिहास नहीं था.” इतिहासकार ए.के. दास ने बताया कि महात्मा गांधी द्वारा संचालित प्रमुख और सफल आंदोलनों में से एक मार्च 1918 में ‘अहमदाबाद सत्याग्रह’ था.
दास ने कहा, “यह मूल रूप से अहमदाबाद में कपड़ा मिल मजदूरों का आंदोलन था, जहां देश के मोटे मोटे लोगों ने भी मिल मजदूरों की वेतन में 35 प्रतिशत वृद्धि की मांग के समर्थन में भूख हड़ताल की थी. तो, यह और कुछ नहीं बल्कि इतिहास की विकृति है.” डब्ल्यूबीबीएसई के अधिकारियों ने, हालांकि, दावा किया है कि कई बार इस तरह के प्रश्न एक अलग शैली में पूछे जाते हैं ताकि प्रश्न का प्रयास करने वाले छात्रों के बुद्धि भागफल को मापा जा सके. उन्होंने यह भी आश्वासन दिया है कि उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन के दौरान परीक्षार्थियों के हित को ध्यान में रखा जाएगा और किसी भी स्थिति में परीक्षार्थियों को नुकसान नहीं होने दिया जाएगा.
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