गृह मंत्रालय ने बीते 11 मार्च को नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 के नियमों को अधिसूचित किया, जो चार साल पहले संसद द्वारा पारित सीएए के कार्यान्वयन को सक्षम करेगा. हालांकि इसके बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने स्पष्ट तौर कहा है कि उनके राज्य में सीएए को नहीं लागू किया जाएगा.
इसके बाद ये सवाल उठने लगे हैं कि क्या राज्यों के पास ये अधिकार है कि वे केंद्र द्वारा पारित इस कानून को लागू करने से मना कर सकती हैं. इस संबंध में द हिंदू से बात करते हुए सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी का बयान आया है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीएए के तहत नागरिकता आवेदनों की प्रॉसेसिंग का काम डाक विभाग और जनगणना अधिकारियों को सौंपा है, जो केंद्र सरकार के तहत कार्य करते हैं और बीते 11 मार्च को जारी एक अधिसूचना के अनुसार, बैकग्राउंड और सुरक्षा जांच करने की जिम्मेदारी इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) जैसी केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों की है.
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चूंकि आवेदन ऑनलाइन दाखिल किए जाएंगे, इसलिए इस प्रक्रिया में राज्य सरकार के अधिकारियों या स्थानीय पुलिस की भागीदारी की बहुत कम गुंजाइश बचती है.
आवेदनों पर अंतिम निर्णय हर राज्य में निदेशक (जनगणना संचालन) की अध्यक्षता वाली अधिकार प्राप्त समिति द्वारा लिया जाएगा, जिसमें इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी, पोस्ट मास्टर जनरल, राज्य या National Informatics Centre के अधिकारी और राज्य सरकार के गृह विभाग और मंडल रेल प्रबंधक से एक-एक प्रतिनिधि होंगे.
जिला-स्तरीय समिति, जो आवेदनों को छांटने के लिए प्राथमिक निकाय होगी, का नेतृत्व डाक विभाग के अधीक्षक करेंगे और इसमें एक अधिकारी, जो नायब तहसीलदार रैंक से नीचे न हो या राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए जिला कलेक्टर के कार्यालय के समकक्ष एक व्यक्ति होगा.
अधिकारी ने कहा कि 11 मार्च को सीएए के तहत नागरिकता का आवेदन करने के लिए पोर्टल Indiancitizenshiponline.nic.in लॉन्च होने के बाद मंगलवार को कई आवेदकों ने इस पर रजिस्ट्रेशन कराया. इसके लिए 50 रुपये का भुगतान आवश्यक है.
अधिकारी ने कहा, ‘सीएए की धारा 6बी के तहत नागरिकता के लिए कई श्रेणियां हैं, जिन्हें आवेदकों द्वारा भरा जाना है; स्थानीय संस्थानों द्वारा जारी किए जाने वाले शपथ-पत्र और पात्रता प्रमाण-पत्र (विश्वास स्थापित करने के लिए) जमा करने के साथ निश्चित प्रारूप में कई दस्तावेज भी अपलोड किए जाने हैं. आवेदकों की अंतिम संख्या एक बार फॉर्म पूरी तरह से भरने और पोर्टल पर जमा होने के बाद उपलब्ध होगी.’
सीएए नियमों के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई, जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में प्रवेश किया था, अब इन देशों का वैध पासपोर्ट या वैध वीजा प्रस्तुत किए बिना भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं.
सीएए मानता है कि भारत में प्रवेश करने वाले इन समुदायों के सदस्यों को इन देशों में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा. इसमें कहा गया है कि इन समुदायों का कोई भी सदस्य, जिसने 31 दिसंबर 2014 से पहले इन तीन देशों से कानूनी या अवैध रूप से भारत में प्रवेश किया है, वह भारतीय नागरिकता के लिए पात्र होगा. कानून ने देशीयकरण द्वारा नागरिकता की अवधि को भी 11 वर्ष से घटाकर पांच वर्ष कर दिया है.
-भारत एक्सप्रेस
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