पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार 28 दिसंबर को दिल्ली के निगम बोध घाट पर किया गया. राजकीय सम्मान के साथ हुए इस अंतिम संस्कार में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, और कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित कई प्रमुख राजनीतिक हस्तियां शामिल हुईं. पूर्व पीएम की बड़ी बेटी उपिंदर सिंह ने मुखाग्नि दी.
इस अंत्येष्टि से सियासी हलकों में विवाद पैदा हो गया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. राहुल गांधी ने कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह, जो भारत माता के महान सपूत और सिख समुदाय के पहले प्रधानमंत्री थे, का अंतिम संस्कार निगम बोध घाट पर करवाकर सरकार ने उनका अपमान किया है. उन्होंने यह भी कहा कि सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के अंतिम संस्कार सम्मानजनक समाधि स्थलों पर होते आए हैं, लेकिन डॉ. सिंह के साथ ऐसा सम्मानजनक व्यवहार नहीं किया गया.
आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने भी भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार निगम बोध घाट पर किया गया, जबकि इससे पहले सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों का अंतिम संस्कार राजघाट पर किया जाता रहा है. केजरीवाल ने यह भी कहा कि सिख समाज से आने वाले और 10 साल तक प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह के लिए बीजेपी सरकार ने 1000 गज़ भूमि भी नहीं दी.
विपक्षी दलों के नेता राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया कि सरकार ने जानबूझकर डॉ. मनमोहन सिंह के योगदान और उनकी कौम के प्रति सम्मान को नजरअंदाज किया है. उनका कहना था कि डॉ. मनमोहन सिंह के योगदान के कारण वे राजघाट जैसी सम्मानजनक समाधि के हकदार थे, लेकिन उन्हें निगम बोध घाट पर अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर किया गया.
यह मामला राजनीतिक विमर्श का केंद्र बन गया है, जिसमें आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है.
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