लोकसभा चुनाव के लिए देश में राजनीतिक दल जोर-शोर से प्रचार-प्रचार में लगे हुए हैं. पहले चरण के तहत चुनाव 19 अप्रैल को होने वाले हैं. इस बीच चुनाव प्रचार में इस्तेमाल किए जा रहे विपक्षी नेताओं के हेलीकॉप्टर की तलाशी का मामला गर्माया हुआ है.
विपक्ष के नेताओं ने आरोप लगाया है कि ये कार्रवाई केंद्र सरकार के इशारे पर उन्हें प्रताड़ित करने के लिए की जा रही है. हालांकि चुनाव आयोग का कहना है कि ऐसा आयोग के मानक निर्देशों के अनुसार किया गया है, जिसका उद्देश्य आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद से हवाई क्षेत्रों और हेलीपैड के माध्यम से नकदी और मुफ्त वस्तुओं के परिवहन को रोकना है.
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के राष्ट्रीय महासचिव और पश्चिम बंगाल की डायमंड हार्बर लोकसभा सीट से उम्मीदवार अभिषेक बनर्जी ने बीते 14 अप्रैल को आरोप लगाया है कि आयकर विभाग के अधिकारियों ने उनके हेलीकॉप्टर पर छापा मारने का आरोप लगाया था. कोलकाता के बेहला फ्लाइंग क्लब में यह घटना हुई थी.
टीएमसी ने आरोप लगाया था कि अधिकारियों ने हेलीकॉप्टर को लंबे समय तक उड़ने नहीं दिया और उसे अपने कब्जे में लेने की धमकी देते हुए सुरक्षाकर्मियों के साथ बहस भी की. पार्टी ने यह आरोप भी लगाया था कि आयकर अधिकारियों को कुछ नहीं मिला, लेकिन उन्होंने हेलीकॉप्टर में मौजूद उनके सुरक्षाकर्मियों को उनकी तलाशी का वीडियो हटाने के लिए मजबूर किया.
वहीं आयकर अधिकारियों ने इन आरोपों से इनकार किया था. विभाग ने कहा था कि छापेमारी को लेकर मीडिया में आईं सभी खबरें निराधार और भ्रामक हैं. उसका कहना था कि रूटीन प्रक्रिया के तहत जानकारी हासिल करने के लिए विभाग ने हेलीकॉप्टर की जांच की थी.
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इसके अगले दिन 15 मार्च को कांग्रेस नेता और वायनाड से सांसद राहुल गांधी के हेलीकॉप्टर की तमिलनाडु के नीलगिरी पहुंचने पर चुनाव आयोग के अधिकारियों ने तलाशी ली थी. यह मामला भी विवाद का कारण बना था.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पलटवार करते हुए कहा था कि पार्टी को चुनाव आयोग द्वारा राहुल के हेलीकॉप्टर की जांच करने से कोई समस्या नहीं है, लेकिन समान अवसर मिलना चाहिए. चुनाव आयोग को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे हेलीकॉप्टरों की भी जांच करनी चाहिए.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, चुनाव आयोग व्यावसायिक हवाई अड्डों पर चार्टर्ड विमानों और हेलीकॉप्टरों के उड़ान भरने या लैंडिंग के लिए पूर्व अनुमति को अनिवार्य नहीं करता है.
हालांकि, एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) को राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी और जिला निर्वाचन अधिकारी को चार्टर्ड विमानों और हेलीकॉप्टरों की आवाजाही के बारे में ‘जितनी जल्दी हो सके, आदर्श रूप से आधे घंटे पहले’ सूचित करना जरूरी है.
ATC को टेक-ऑफ/लैंडिंग के समय यात्रियों की जानकारी (Passenger Manifest) और रूट प्लान सहित सभी चार्टर्ड उड़ानों का रिकॉर्ड रखना भी अनिवार्य है.
चुनाव आयोग के दिशानिर्देश ऐसी उड़ानों पर सामान की जांच केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) या पुलिस के कर्मचारियों द्वारा ‘बिना किसी छूट के’ करने का आदेश देते हैं. अगर सामान में 10 लाख रुपये से अधिक की नकदी या एक किलोग्राम से अधिक वजन का सोना पाया जाता है तो इनकी सूचना आयकर विभाग को देना अनिवार्य होता है.
चुनाव आयोग के फ्लाइंग स्क्वाड या पुलिस को पायलट के साथ समन्वय में गैर-व्यावसायिक हेलीपैड और हवाई अड्डों पर महिला यात्रियों के हाथ में लिए गए पर्स को छोड़कर विमान में सभी सामान की स्क्रीनिंग या जांच करने की जिम्मेदारी दी गई है.
चुनाव आयोग पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए उम्मीदवार या राजनीतिक दल को विमान/हेलीकॉप्टर के निर्धारित आगमन से कम से कम 24 घंटे पहले संबंधित जिला चुनाव अधिकारी को आवेदन करने का आदेश देता है.
चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार, किसी भी उड़ान में उम्मीदवार या पार्टी पदाधिकारियों की 50,000 रुपये से अधिक मूल्य की कोई भी मुद्रा जांच योग्य है और जब्ती पर विचार किया जा सकता है.
दिशानिर्देशों के अनुसार, ‘हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि ऐसे दूरस्थ अनियंत्रित हवाई अड्डों/हेलीपैडों पर उतरते समय किसी भी यात्री के शरीर की तलाशी नहीं ली जाएगी, जब तक कि उस व्यक्ति द्वारा ले जाए जा रहे अनधिकृत हथियारों या प्रतिबंधित सामान आदि के बारे में विशेष जानकारी न हो.’
नेताओं की तलाशी और उनके हेलीकॉप्टरों की जांच को लेकर पहले भी विवाद हो चुका है. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव पर्यवेक्षक की हैसियत से कर्नाटक कैडर के आईएएस अधिकारी मोहम्मद मोहसिन ने ओडिशा के संभलपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हेलीकॉप्टर की तलाशी का आदेश दिया था.
चुनाव आयोग ने बाद में मोहसिन को निलंबित कर दिया और तर्क दिया था कि चूंकि पीएम की सुरक्षा विशेष सुरक्षा समूह (SPG) द्वारा संभाली गई थी, इसलिए उन्हें इस तरह की जांच से छूट दी गई थी.
हालांकि, केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) ने यह कहते हुए उनके निलंबन पर रोक लगा दी थी कि ‘यह नहीं कहा जा सकता है कि SPG सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति किसी भी चीज के लिए पात्र हैं’. बाद में चुनाव आयोग ने मोहसिन का निलंबन रद्द कर दिया था.
-भारत एक्सप्रेस
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