भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन को दिल्ली हाई कोर्ट से राहत मिल गई है। कोर्ट ने शाहनवाज हुसैन के खिलाफ दर्ज दुष्कर्म के मामले में पिछले साल दिल्ली पुलिस द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करने वाले निचली अदालत कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।
न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि जांच के दौरान एकत्र किए गए दस्तावेजी और वैज्ञानिक साक्ष्रों से पता चलता है कि कथित घटना की तारीख पर हुसैन और शिकायतकर्ता की कथित घटना के स्थान पर मौजूदगी पूरी तरह से साबित नहीं होती।
अदालत ने कहा कि कथित अपराध के होने की संभावना शून्य है। अदालत ने कहा इसलिए क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करने में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के निष्कर्ष को बरकरार रखा जाना चाहिए।
यह मामला एक महिला की शिकायत पर दर्ज किया गया था। शिकायत में हुसैन द्वारा अन्य अपराधों के अलावा दुष्कर्म और आपराधिक धमकी का आरोप लगाया गया था। जांच पूरी होने के बाद दिल्ली पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट दायर की जिसमें कहा गया कि कोई भी मामला नहीं बनता है। इसके बाद शिकायतकर्ता ने क्लोजर रिपोर्ट का विरोध करते हुए एसीएमएम अदालत में याचिका दायर की थी।
शिकायतकर्ता ने क्लोजर रिपोर्ट की स्वीकृति को चुनौती दी
एसीएमएम ने याचिका को स्वीकार करते हुए सैयद शाहनवाज हुसैन के खिलाफ धारा 376, 328 और 506 के तहत अपराधों का संज्ञान लिया और हुसैन को मुकदमे का सामना करने के लिए बुलाया। इसके बाद सत्र न्यायालय ने इस आदेश को रद्द कर दिया था। इसके बाद शिकायतकर्ता ने क्लोजर रिपोर्ट की स्वीकृति को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया।
जज ने महिला की पुनरीक्षण याचिका को खारिज किया
न्यायमूर्ति कृष्णा ने महिला की पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए सत्र न्यायालय के इस निष्कर्ष को बरकरार रखा कि उसे किसी दवा या नशीले पदार्थ के सेवन के बाद दुष्कर्म की घटना का होना स्पष्ट नहीं है। न्यायालय ने उल्लेख किया कि जांच के दौरान जांच अधिकारी द्वारा एकत्र किए गए मौखिक और अन्य दस्तावेजी या वैज्ञानिक साक्ष्यों से पता चलता है कि अभियोक्ता और हुसैन कभी एक-दूसरे से नहीं मिले या कथित घटना के दिन एक ही स्थान पर नहीं थे।
फार्म हाउस में ले जाकर दुष्कर्म करने का आरोप था
महिला ने आरोप लगाया था कि सैयद शाहनवाज हुसैन उसे एक फार्म हाउस में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया और उसे गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दी, यह कहते हुए कि उसने एक वीडियो तैयार किया है। उसकी शिकायत पर, जो 2018 में दायर की गई थी। अदालत के आदेश पर 2018 में मामला दर्ज किया गया था। हुसैन ने मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश को हाईकोर्ट व फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती लेकिन दोनों ने मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था।
— भारत एक्सप्रेस
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