देश के शीर्ष खाद्य सुरक्षा नियामक ‘भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण’ (FSSAI) ने पिछले महीने मसालों में कीटनाशक अवशेषों (Pesticide Residues) की डिफॉल्ट सीमा (एक निश्चित सीमा) को बढ़ाकर 0.1 मिलीग्राम/किलोग्राम कर दिया है, जो पिछले 0.01 मिलीग्राम/किग्रा से 10 गुना अधिक है.
यह केवल उन मामलों में लागू होगा, जहां भारतीय विनियमन में फसल के लिए कीटनाशक के लिए अधिकतम अवशेष सीमा (MRL) का विशेष रूप से उल्लेख नहीं किया गया है. हालांकि, अन्य खाद्य उत्पादों के लिए डिफॉल्ट एमआरएल 0.01 मिलीग्राम/किग्रा पर समान है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, यह बदलाव ऐसे समय में आया है, जब कुछ भारतीय मसालों में एथिलीन ऑक्साइड (Ethylene Oxide) नामक कीटनाशक स्वीकार्य सीमा से अधिक मात्रा पाए जाने के बाद उन्हें सिंगापुर और हांगकांग के बाजारों से हटा दिया गया है.
FSSAI को इस उपाय की सिफारिश करने वाले पैनल के वैज्ञानिकों में से एक ने कहा कि बढ़ी हुई सीमा के साथ भी कीटनाशक अवशेष थोड़ी मात्रा में रहते हैं, जिससे मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचने की संभावना नहीं है.
उन्होंने कहा कि MRL का निर्णय मसाला निर्माताओं द्वारा केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति (CIB & RC) को प्रस्तुत किए गए क्षेत्रीय परीक्षणों के परिणामों के आधार पर एक गतिशील अभ्यास है. विशेषज्ञ ने कहा, ‘क्षेत्रीय परीक्षणों के आंकड़ों और मानव स्वास्थ्य पर कीटनाशकों के प्रभाव पर उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर सीमाएं तय और संशोधित की जाती हैं.’
1. मसालों में बड़ी संख्या में मौजूद फिनोल (Phenols) के जटिल प्रभाव के कारण सीमा को 0.01 मिलीग्राम/किग्रा की सीमा से नीचे रखना मुश्किल है. (Phenols एक एंटीसेप्टिक और कीटाणुनाशक है, जिसका उपयोग विभिन्न उद्योगों में किया जाता है.) विशेषज्ञ ने कहा, ‘यहां तक कि संवेदनशील उच्च गुणवत्ता वाले उपकरण भी लगभग 0.1 मिलीग्राम/किलोग्राम पर इसका पता लगा सकते हैं.’
2. अन्य देशों से आयात में ऐसे कीटनाशक शामिल हो सकते हैं, जिनकी उन देशों में उपयोग की अनुमति है, लेकिन भारत में नहीं. डिफॉल्ट एमआरएल का उपयोग उन मामलों में किया जाता है, जहां किसी विशेष फसल के लिए कीटनाशक की सीमा भारत में मौजूद नहीं है.
3. अन्य फसलों के मसालों में उन कीटनाशकों का रिसाव हो सकता है, जहां इनकी अनुमति हो सकती है, जिनकी यहां अनुमति नहीं है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, एक्टिविस्ट्स का कहना है कि उच्च सीमा हमारे शरीर को कीटनाशकों को प्रभावित करने की अधिक अनुमति दे सकती है. वहीं, FSSAI के विशेषज्ञों ने कहा है कि यौगिकों (Compounds) का प्रभावी ढंग से पता लगाने के परीक्षणों के लिए ही सीमाएं बढ़ाई गई हैं. अगर तय सीमा से अधिक कीटनाशकों का प्रयोग किया गया तो कार्रवाई की जाएगी. दूसरी ओर सरकार का कहना है कि भारत द्वारा निर्धारित सीमाएं दुनिया में सबसे कम बनी हुई हैं.
एक्टिविस्ट्स ने यह भी सवाल किया है कि जिन यौगिकों का भारत में इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी गई हैं तो वे मौजूद क्यों हैं? विशेषज्ञ ने कहा, ‘तकनीकी रूप से रजिस्टर (पंजीकृत) नहीं किए गए कीटनाशकों का उपयोग अवैध है, लेकिन वास्तविकता यह है कि किसान को जो भी उपलब्ध है, वह उसका उपयोग करते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘मसालों के साथ समस्या यह है कि बहुत कम यौगिकों को मंजूरी दी गई है. लगभग 40 अवयवों (Molecules) पर, संभवत: मिर्च के लिए कीटनाशकों की अधिकतम संख्या की अनुमति है, जिसकी खेती बड़े क्षेत्रों में की जाती है और इसमें बहुत अधिक व्यावसायिक रुचि है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि कंपनियां छोटी फसलों के लिए फील्ड ट्रायल करने में बहुत अधिक पैसा निवेश नहीं करना चाहती हैं.’
सरकार ने कहा कि भारत में रजिस्टर कीटनाशकों की कुल संख्या 295 से अधिक हैं, जिनमें से 139 कीटनाशक मसालों में उपयोग के लिए रजिस्टर हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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