Hanuman Chalisa in English: ‘हनुमान चालीसा’ की काव्यात्मक लय और शाश्वत दर्शन से प्रभावित होने वाले जाने-माने उपन्यासकार-कवि विक्रम सेठ ने उसका अंग्रेजी में अनुवाद किया है और कहा है कि “चाहे आप ‘अंध भक्त’ हों या ‘अर्ध भक्त’, हनुमान चालीसा आपको प्रभावित करेगा. इसके अलावा उन्होंने ये भी बताया है कि उनका परिचय हनुमान चालीसा से कब हुआ था.
विक्रम सेठ ने बताया कि ‘हनुमान चालीसा’ से उनका परिचय तब हुआ, जब वे 1993 में ‘ए सूटेबल बॉय’ में कपूर परिवार के प्रतिभाशाली बालक भास्कर टंडन का चरित्र लिख रहे थे, जिसने पांच वर्ष की आयु में तुलसीदास की इस रचना को याद कर लिया था. फिलहाल सेठ की महान कृति की अगली कड़ी ‘ए सूटेबल गर्ल’ में गणित के विश्व-प्रसिद्ध एमेरिटस प्रोफेसर के रूप में भास्कर फिर से दिखने को तैयार हैं और हनुमान चालीसा का अनुवाद करने को इच्छुक हैं.
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गुरुवार शाम नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में इसका अनुवाद करते हुए विक्रम सेठ ने कहा कि यह मानव इतिहास की एकमात्र कविता है, जो सदियों बाद भी लाखों लोगों के दिलों में जिंदा है और जिसे लोग रोजाना पढ़ते हैं. उन्होंने अपनी मामी उषा का जिक्र करते हुए कहा कि 90 साल से अधिक की आयु होने पर भी वह नोएडा स्थित अपने घर में रोज कम से कम दो बार ‘हनुमान चालीसा’ सुनने के बाद ही सोती हैं.
विक्रम सेठ ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मूल रूप से 16वीं शताब्दी में अवधी में लिखा गया ‘हनुमान चालीसा’, का पूरी मानवता के लिए महत्व है. न कि किसी खास धर्म या किसी खास तरह की राजनीति करने वाले लोगों तक यह सीमित है. इसलिए इसका अनुवाद किया जाना जरूरी था. उन्होंने ये भी कहा कि ‘यूजीन वनगिन’ के अनुवाद के कारण प्रसिद्धि मिली. यूजीन वनगिन’ 19वीं सदी के रूसी नाटककार अलेक्जेंडर पुश्किन द्वारा कविता में लिखा गया उपन्यास है. पुश्किन की प्रतिमा नई दिल्ली में रवींद्र भवन के बाहर स्थापित है. गुरुवार शाम कार्यक्रम स्थल पर सेठ ने प्रतिमा का दर्शन किया. गौरतलब है कि ‘यूजीन वनगिन’ के कारण ही सेठ अपनी पहली विश्व-प्रशंसित पुस्तक ‘द गोल्डन गेट’ लिखने के लिए प्रेरित हुए. उनकी इस पुस्तक को ‘आयंबिक पेंटामीटर’ के रूप में जाना जाता है.
विक्रम सेठ ने कहा कि तुलसीदास की “मंत्रमुग्ध करने वाली कविता और लय” का अनुवाद करने का काम “जंजीरों से नाचना सीखने” जैसा था. इसा के साथ ही उन्होंने इस पतली सी पुस्तक के परिचय में स्वीकार किया है, “मूल में मौजूद अद्भुत संगीतमय प्रतिध्वनियों और अनुप्रासों को फिर से बनाना संभव नहीं था.” वह संक्षिप्त परिचय में लिखते हैं, “यह चाहे कितना भी अपूर्ण क्यों न हो, लोगों को एक जादुई और आनंददायक कृति से परिचित कराने या फिर से परिचित कराने का एक प्रयास है. यह रचना लाखों लोगों की यादों में अंकित है, जो नब्बे से भी कम पंक्तियों में एक पूरी संस्कृति को समेटे हुए है.” वह कहते हैं कि ये कार्य चुनौतियों से भरा था. वह कहते हैं कि ‘हनुमान चालीसा’ का अनुवाद करने को लेकर वह खुद के लिए एक पुरस्कार मानते हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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